दिल्ली। दिल्ली एनसीआर के वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक एनसीआर में 8 सालों में सबसे साफ हवा दर्ज की गई है। विज्ञान और पर्यावरण केंद्र के अनुसार सर्दियों में अबतक किसी भी दिन गंभीर श्रेणी में स्मॉग दर्ज नहीं किया गया है। इतनी साफ हवा 8 साल बाद अक्टूबर-नवंबर में दर्ज की गई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की लगातार एनसीआर की वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है। सीएक्यूएम वायु की गुणवत्ता खराब होने के पहले ही कार्यवाही कर उसे रोक लेता है।
रिपोर्ट की मानें तो अक्टूबर-नवंबर के महीनों में राजधानी का औसत एक्यूआई 142 एमजीसीएम रहा। 2018 की तुलना में यह 18 प्रतिशत तक कम रहा, जबकि 2016 की तुलना में यह 38 प्रतिशत तक कम है। 2016 के अक्टूबर-नवंबर अब तक के सबसे प्रदूषित दो महीने रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, गाजियाबाद में इन दो महीनों के प्रदूषण स्तर में 2020 की तुलना में 36 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं, ग्रेटर नोएडा में 28 प्रतिशत, फरीदाबाद में 22 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। इस दौरान 19 प्रतिशत, गुरुग्राम में 15 प्रतिशत और नोएडा में 40 प्रतिशत की कमी आई है। दिल्ली-एनसीआर में सबसे प्रदूषित क्षेत्र राजधानी दिल्ली रही है। दूसरे नंबर पर गुरुग्राम और तीसरे पर गाजियाबाद रहा।
अक्टूबर-नवंबर के दौरान आमतौर पर दिल्ली-एनसीआर में 6 से 10 दिन स्मॉग के रहते हैं, लेकिन इस बार सर्दी में अब तक एक भी स्मॉग जैसी स्थिति नहीं बनी है। पिछले 5 सालों में यह पहला स्मॉग फ्री अक्टूबर-नवंबर रहा। 2021 में नवंबर में 2 और दिसंबर में एक स्मॉग एपिसोड आया था।
इस बार अक्टूबर-नवंबर में पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में पराली जलाने की 54391 घटनाएं हुईं। यह पिछले साल से 37 प्रतिशत कम है। सफर के अनुसार इस बार पराली जलाने का सिलसिला 53 दिन और पिछले साल 56 दिनों तक रहा। इस बार पराली के कारण पीएम 2.5 में 4.1 टन की हिस्सेदारी रही।
द मूकनायक ने इसे समझने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के तकनीकी सदस्य नर्मदा प्रसाद शुक्ला से बातचीत की। उन्होंने बताया कि, पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार पराली जलाने में कमी आई है। हरियाणा में 40 और पंजाब में 30 प्रतिशत तक पलारी इस बार कम जलाई गई। इसके अलावा आयोग लगातार वायु प्रदूषित कर रहे कारकों पर लगाम लगा रही है।
उन्होंने बताया कि, "आयोग की अनुशंसा पर दिल्ली में कोयला प्रतिबंध पहले ही किया जा चुका है। वहीं अब 1 जनवरी 2023 से संपूर्ण एनसीआर में कोयले पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। नर्मदा प्रसाद शुक्ला ने बताया कि अभी तक परिणाम बहुत सकारात्मक है। लेकिन फरवरी 2023 तक स्थिति और भी साफ होगी।"
इलेक्ट्रिक और सीएनजी गाड़ियों पर फोकस
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग दिल्ली एनसीआर में इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाले व्हीकल्स को ही चलाने की सिफारिश कर रहा है। आयोग ने केंद्र और राज्य सरकार को इलेक्ट्रिक वाहनों का ज्यादातर इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है। आयोग के तकनीकी सदस्य नर्मदा प्रसाद शुक्ला ने बताया कि प्रदूषण को कम करने के लिए आयोग कठोर निर्णय ले रही है।
उन्होंने बताया, आने वाले समय में डीजल से चलने वाले वाहनों को धीरे-धीरे एनसीआर से बाहर कर दिया जाएगा। सिर्फ इलेक्ट्रिक और सीएनजी से चलने वाले वाहन दिल्ली में रहेंगे।
पराली से बन रही खाद
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का मुख्यकारण पराली जलाने को माना जाता है। लेकिन इस बार पराली जलाने में कमी आई है। दरअसल अब पंजाब और हरियाणा में ग्राम स्तर पर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। किसानों को पराली से देशी खाद बनाने की प्रक्रिया सिखाई जा रही है, जिससे किसान पराली को जलाने की बजाय उससे खाद निर्मित कर सकें।
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