जयपुर। राजस्थान में पर्यावरण संरक्षण और रीन्यूबल एनर्जी के लिए सोलर प्लांट लगाने के लिए प्रोत्सहित किया जा रहा है। वहीं प्लांट लगाने के लिए हरे वृक्षों को काटा जा रहा है। हाल में सोलर प्लांट कंपनियों ने 300 खेजड़ी के पेड़ काट दिए। राज्य वृक्ष का दर्जा प्राप्त खेजड़ी लोक आस्था के लिए भी जाना जाता है।
इधर, राजस्थान के बीकानेर जिले में लम्बे समय से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही अनेक संस्थाएं आंदोलन कर रही है। जीव रक्षा संस्था बीकानेर के बैनर तले कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न ग्राम पंचायतों के सरपंच और अखिल भारतीय विश्नोई महासभा के कार्यकर्ताओं ने गत शुक्रवार को बीकानेर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर पेड़ों को काट रही कंपनियों के खिलाफ वन अधिनियम सहित विभिन्न आपराधिक धाराओं में कार्रवाई करते हुए कंपनी के दोषी प्रतिनिधियों को गिरफ्तार करने की मांग की है। कार्रवाई नहीं होने पर पर्यावरण प्रेमियों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
ग्रामीणों का कहना है कि बीकानेर जिले में अब तक दर्जनों सोलर कंपनियों ने सैकड़ों खेजड़ी वृक्षों की बली दे दी है, लेकिन सरकार आंखे मूंदे बैठी है।
जीव रक्षा संस्था बीकानेर अध्यक्ष मोखाराम धारणिया और अखिल भारतीय विश्नाई महासभा अध्यक्ष देवेन्द्र बुडिया ने जोधपुर उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सोलर प्लांट कंपनियों द्वारा राज्य वृक्ष खेजड़ी काटने पर रोक लगाने की मांग की थी। सुनवाई के बाद जोधपुर उच्च न्यायालय ने एक मई 2023 को उप संरक्षक वन द्वित्तीय चरण आईजीएनपी बीकानेर को वृक्षों की कटाई रोकने और मॉनेटरिंग करने तथा वृक्षों की कटाई का कोई मामला सामने आने पर हाइकोर्ट को अवगत करवाने के निर्देश दिए थे। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि न्यायालय के आदेश के बाद भी राज्य वृक्ष खेजड़ी की लगतार कटाई हो रही है। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन सोलर प्लांट कंपनियों के सामने बेबस नजर आ रहा है। पेड़ों की कटाई रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
बीकानेर के ग्राम पंचायत नालबड़ी के किसान सुमेर सिंह और उसके ताऊ ने सोलर कंपनी प्रेरक ग्रीनटेक प्रा.लि. को अपनी 60 बीघा जमीन सोलर प्लांट लगाने के लिए सशर्त अनुबंध पर दी थी। सोलर प्लांट लगाने की आड में कंपनी प्रतिनिधि खातेदारी खेत में खड़े तीन सौ खेजड़ी के पेड काट कर ले गए।
किसान सुमेर सिंह ने बताया कि हमने सोलर कंपनी प्रेरक ग्रीनटेक को प्लांट लगाने के लिए अनुबंध पर दी थी। भूमि अनुंबध पर दी उस वक्त दोनों खेतों में 375 खेजड़ी के बड़े-बड़े वृक्ष थे।
11 जुलाई की सुबह जब खेतों पर पहुंचे तो वहां 300 खेजड़ी के पेड़ कटे हुए थे। काटे गए पेड़ों में से 270 पेड़ों की लकड़ी आरोपी भरकर अन्यंत्र ले गए। कुछ पेड़ों के तने मौके पर ऊंट गाड़े में भरे हुए थे।
सुमेर सिंह ने बताया कि जब उन्होंने कंपनी के प्रतिनिधियों को खेजड़ी काटने से मना किया तो आरोपी माने नहीं। अभद्रता कर बाकी बचे पेड़ों को काटने की जिद करने लगे। इस पर गांव से अन्य लोगों को बुलाया तो आरोपी एक जीप में सवार होकर भाग गए। सुमेर सिंह ने बताया कि उसी दिन उसने नाल पुलिस थाने में उक्त कंपनी के कार्मिक प्रदीप सिंह, जंजीर सिंह, दिलीप सिंह, शिशपाल सिंह को नामजद करते हुए अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी, लेकिन अभी तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
जीव रक्षा संस्था बीकानेर, अखिल भारतीय विश्नोई महासभा, ग्राम पंचायत नालबड़ी, ब्लाक कांग्रेस कमेटी छतरगढ़ सहित आमजनता ने पुलिस अधीक्षक बीकानेर को ज्ञापन देकर खेजड़ी काटने पर रोष प्रकट किया। इससे पूर्व एसपी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने ज्ञापन के माध्यम बताया कि सोलर कंपनी प्रेरक ग्रीनटेक प्रा.लि. द्वारा वन अधिनियम का प्रत्यक्ष उलंघन कर नाल बड़ी में सैकड़ों खैजडिय़ों के पेड़ काट दिए। इस सम्बंध में नाल पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज है। ऐसे में आरोपी कंपनी प्रतिनिधियों की गिरफ्तारी कर जेसीबी मशीन, आरा कटर मशीन, खैजड़ परिवहन करने वाले ट्रैक्टर ट्रॉली जब्त किए जाए।
ग्रामीणों ने एसपी को बताया कि कंपनी ने बीकानेर से 10 किलोमीटर दूर सरह गोल प्रतापसिंह नालबड़ी में मोहन सिंह पुत्र मूकनसिंह की खसरा नम्बर 100/1 और 96/1 को लीज पर ली है। खेत में खेजड़ियों की अधिकता होने के कारण कंपनी ने बिना किसी वैद्य अनुमति के खेजड़ियों को अवैध तरीके से काट कर ले जाने के लिए वन माफियाओं को सौंप दिया। खसरा नम्बर 100/1 में 270 और खसरा नम्बर 96/1 में 30 पेड़ को काट दिया गया। यहां केवल तीन खेजड़ी छोड़ी गई है। इससे पूर्व पर्यावरण प्रेमी संस्थाएं खेजड़ी बचाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर राज्य वृक्ष की रक्षा की गुहार लगा चुके हैं।
सीएम को लिखे पत्र में ग्रामीणों ने मांग की है कि जिले की तमाम सोलर कम्पनियों द्वारा आज तक लीज पर ली गई तमाम भूमियों में राजस्व, वन विभाग एवं पुलिस विभाग की एक संयुक्त सर्वे टीम गठित कर वर्तमान में वहां मौजूद तमाम खेजडिय़ों व रोहिड़े आदि के पेड़ों की तत्काल गिनती करवा कर बचे हजारों हरे वृक्षों की सुरक्षा सुनिश्चित करवाएं।
इससे पूर्व 13 जुलाई को बीकानेर के विभिन्न गांवों में सोलर कंपनी द्वारा खेजड़ी काटने की शिकायत पर तहसीलदार के आदेश पर हल्का पटवारी नालबड़ी और गिरदावर शिकायत कर्ता और मोतबिरान लोगों के साथ मौके पर पहुंचे। जहां ग्राम सरह गोलप्रताप सिंह के खसरा नम्बर 96, 97, 96/1, 100, 100/1 का रकबा सुमेरसिंह ने प्रेरक ग्रीनटेक सौलर कंपनी को लीज पर दे रखा है। पटवारी ने तहसीलदार को सोंपी मौका रिपोर्ट में माना कि कंपनी ने उक्त रकबे से खेजड़ी के पेड़ काट लिए हैं। पटवारी ने पाया कि उक्त रकबे में 82 गढ्ढ़े मिले हैं। जिनमें से खेजड़ी के पेड़ काटने के अवशेष मिले हैं। जबकि 66 खेजड़़ी के वृक्ष मौजूद है। गढ्ढ़ों के पास ट्रैक्टर और जेसीबी के निशान मिला है। कटी टहनियां और तने भी मिले हैं।
उपखण्ड अधिकारी बीकानेर के निर्देशें पर 17 नवम्बर 2022 को तहसीलदार (राजस्व) बीकानेर, उपनिवेशन तहसीलदार गजनेर, कोलायत, वनविभा रंज 682 आरडी की टीम भूअभिलेख निरीक्षक उपनिवेशन जयमलसर और हल्का पटवारी के साथ जयमलसर के खसरा नम्बर 1, 2, 26/8, के मौके पर पुहंचे। खसरा नम्बर 1 और 2 पर एम प्लस कंपनी (सौलर पॉवर) के द्वाारा तारबंदी की गई है। खसरा नम्बर 26/8 में तारबंदी नहीं है। खसरा नम्बर 26/8 खातेदार के ही कब्जा काश्त में है। खसरा नम्बर 1 में लगभग 40 खेजड़ी के वृक्षों की छंगाई की गई है। खसरा नम्बर 2 में लगभग खेजड़ी के 10 वृक्षों की छंगाई की गई है। 12 वृक्षों को भूमि की सतह से काट कर खुदाई की गई है। खसरा नम्बर 26/8 में लगभग 10 से अधिक वृक्षों की कटाई की गई है। उक्त तीनों खसरो में खेजड़ी वृक्षों की कटाई का काम एम प्लस सौलर कम्पनी के नियोजित कर्मचारियों के द्वारा किया गया है।
मौके पर पहुंची संयुक्त सर्वे टीम अपनी रिपोर्ट में लिखा कि वन विभाग ने उपवन संरक्षक बीकानेर को लिखे पत्र में बताया गया था कि खसरा नम्बर 5, 6, 13, 17, 18, 21, 23, 24, 25, 26, 29 में वृक्षों की दिनांक 29,30 सितम्बर 2022 को गणना की गई। गण्ना के दौरान खेजड़ी के नम्बरिंग किए गए वृक्षों की संख्या 1340 पूर्व में काटे गए ठूंट 20 कुल 1360 बताए गए हैं। मौका निरीक्ष्ण के दौरान आधे से अधिक वृक्ष काटे गए हैं। मौके पर जो वृक्ष खड़े हैं उनके तने पर वनविभाग द्वारा नम्बर अंकित किए गए हैं। कंपनी के प्रतिनिधि को बिना कोई वैधानिक अनुमति के खेजड़ी का कोई भी वृक्ष नहीं काटने की हिदायत दी गई। पटवारी व गिरदावर को काटे गए वृक्षों पर राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की सुसंगत धाराओं में कार्रवाई अमल में लाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
शिक्षक विक्रम मीना (मलारना चौड़) ने बताया कि खेजड़ी वृक्ष का नाम आते ही मन में शांति, पराक्रम और बलिदान की बातें आती है। खेजड़ी को शमी भी कहा जाता है। विक्रम मीना ने द मूकनायक को बताया कि राज्य सरकार द्वारा खेजड़ी के वृक्ष को संरक्षण प्रदान किया गया है। खेजड़ी "रेगिस्तान का गौरव" अथवा "थार का कल्पवृक्ष" जिसका वैज्ञानिक नाम "प्रोसेसिप-सिनेरेरिया" है। इसे 1983 में राज्य वृक्ष घोषित किया गया था। खेजड़ी से खेजड़ली आंदोलन भी जुड़ा हुआ है। जिसका उदाहरण है जोधपुर का खेजड़ली गांव। इस गांव के लोगों ने 232 साल पूर्व तत्कालीन महाराजा के कारिन्दों (कर्मचारी) द्वारा हरे पेड़ों को काटने का विरोध किया था। एक महिला अमृता देवी के नेतृत्व में बारी-बारी से 363 लोग पेड़ों को पकड़ कर खड़े हो गए और महाराजा अभय सिंह के कारिन्दों ने पेड़ों की रक्षा के लिए तनो से चिपटे सभी ग्रामीणों को तने के साथ काट दिया था। राजस्थान के खेजड़ली गांव में प्रति वर्ष 12 सितम्बर को ट्री फेस्टिवल मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि खेजड़ी के धार्मिक महत्व के अलावा औषधीय महत्व भी है। इसकी छाल, फली, फूल और पत्तियां औषधीय गुण लिए होती है। इससे किसानों की आय भी होती है।
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