Climate Change: तितलियों की 35 प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट, तितली पार्क बना कर संरक्षण के प्रयास

Climate Change: तितलियों की 35 प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट, तितली पार्क बना कर संरक्षण के प्रयास
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भोपाल। जलवायु परिवर्तन से मौसम चक्र के साथ ही जीव-जंतुओं पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। रंग-बिरंगी तितलियां भी इनमें से एक है। इस नन्हें जीव को पर्यावरण की सेहत जांचने वाला माना जाता है। परागण, खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिक तंत्र में भी तितलियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। प्रदूषण, कीटनाशकों के उपयोग, जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन की मार पड़ने से तितलियों की आबादी पर संकट मंडरा रहा है। साथ ही कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है। द मूकनायक ने तितलियों की घटती आबादी और इसके कारणों को लेकर पड़ताल की, पढि़ए पूरी रिपोर्ट।

समझते है तितली क्या है?

तितली कीट वर्ग में आती है और यह सामान्य रूप से हर जगह पाया जानेवाला कीट है। तितलियां बहुत सुन्दर और आकर्षक होती है। दिन के समय जब यह एक फूल से दूसरे फूल पर उड़ती है और मधुपान करती है तब इसके रंग-बिरंगे पंख बाहर दिखाई पड़ते हैं। इसके शरीर के मुख्य तीन भाग हैं सिर, वक्ष तथा उदर। इनके दो जोड़ी पंख और तीन जोड़ी सन्धियुक्त पैर होते हैं। इसके सिर पर एक जोड़ी संयुक्त आँख होती हैं तथा मुँह में घड़ी के स्प्रिंग की तरह 'प्रोवोसिस' नामक खोखली लम्बी सूँड़नुमा जीभ होती है जिससे यह फूलों का रस (नेक्टर) को चूसती है। ये एन्टिना की मदद से किसी वस्तु एवं उसकी गंध का पता लगाती है।

तितली का जीवनकाल बहुत छोटा होता है। ये ठोस भोजन नहीं खातीं, हालाँकि कुछ तितलियाँ फूलों का रस पीती हैं। दुनिया की सबसे तेज उड़ने वाली तितली मोनार्च है। यह एक घंटे में 17 मील की दूरी तय कर लेती है। कोस्टा रीका में तितलियों की 1300 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। दुनिया की सबसे बड़ी तितली जायंट बर्डविंग है, जो सोलमन आईलैंड्स पर पाई जाती है। इस मादा तितली के पंखों का फैलाव 12 इंच से ज्यादा होता है।

द मूकनायक ने इस मामले में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर बिपिन व्यास से बातचीत की उन्होंने बताया कि तितलियां की विभिन्न प्रजातियां अलग-अलग पौधों पर अंडे देती है। वर्तमान में ऐसे पौधे नष्ट हो रहे है, इसके कारण इनके प्रजनन पर असर पड़ा है। इसके साथ ही प्रोफेसर ने बताया कि खेती में रासायनिक दवाओं का प्रयोग भी इन्हें तेजी से खत्म कर रहा है। प्रोफेसर के मुताबिक तितलियां खाद्य श्रृंखला को चलाने के लिए बहुत जरूरी है। इनकी घटती आबादी कई फलों के स्वाद को भी फीका कर सकती है।

तितलियों के खत्म होने से यह पड़ेगा प्रभाव

फसलों में लगातार रासायनिक इस्तेमाल और कीटनाशक के उपयोग के कारण तितलियों की आबादी कम हो रही है। अगर तितलियां पृथ्वी से खत्म हो जाएंगी तो सेब से लेकर कॉफी तक कई खाद्य फसलों के स्वाद से हम वंचित हो जाएंगे। तितलियाँ जब फूलों का रस पीकर परागण करती हैं तो फूलों का रूपांतरण फल में संभव हो पाता है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की 75 फीसदी खेती परागण पर निर्भर करती है

पर्यावरणविदों का मानना है कि तितलियों के खत्म होने का असर दूसरे जीवों पर भी पड़ सकता है क्योंकि उनके अंडे से बने लार्वा और प्यूपा कई दूसरे जीवों का भोजन होते हैं। यानी पर्यावरण में दूसरे जीवों की तरह तितली की भी अहम भूमिका है।

भारत में 35 प्रजातियों पर संकट

भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण के अनुसार भारत में तितलियों की 1,318 प्रजातियां दर्ज की गई हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईसीयूएन) के अनुसार भारत में तितलियों की 35 प्रजातियाँ अपने अस्तित्व के लिहाज से गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं। आईसीयूएन ने भारत की तितलियों की 43 प्रजातियों को संकटग्रस्त और तीन तितली प्रजातियों को न्यूनतम रूप से विचारणीय संकटग्रस्त श्रेणियों में रखा है। पूर्व में संसद में एक प्रश्न के उत्तर में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री अश्विनी चौबे ने यह जानकारी प्रदान की है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने लोकसभा में बताया था कि तितलियों की संख्या में सुधार के लिए राज्य सरकारों को तितली पार्कों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र के बाद मध्यप्रदेश के इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में ऐसे पार्क बनाए गए हैं। भोपाल स्थित तितली पार्क में पहले ही साल तकरीबन तीन दर्जन तितलियों की प्रजातियाँ देखी गई हैं। इनमें कॉमन जेजवेल, ग्राम ब्लू, कॉमन बेंडेड ऑल, कॉमन इवनिंग ब्राउन, ब्लू टाइगर, प्लेन टाइगर, स्ट्रिप्ड टाइगर, कॉमन इंडियन क्रो और कॉमन ग्रास येलो जैसी प्रजातियाँ शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने अनुसार भारत में दुर्लभ और संकटग्रस्त तितलियों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए विभिन्न राज्यों में राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्य और जैवमंडल रिजर्व स्थापित किए गए हैं। इसके साथ ही, भारत सरकार के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में तितलियों की 126 प्रजातियाँ, अनुसूची-2 के तहत 299 प्रजातियाँ और अनुसूची-4 के अंतर्गत 18 प्रजातियाँ शामिल हैं।

मध्यप्रदेश में किया जा रहा तितलियों का संरक्षण

मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के गोपालपुर गांव में मौजूद है मध्य प्रदेश का पहला तितली पार्क। पार्क में करीब 54 प्रजातियों की तितलियां हैं। तितलियों के जन्म लेने और पलने बढ़ने के लिए अनुकूल वातावरण पैदा करने वाले 137 तरह के पौधे लगाए गए हैं। इस तितली पार्क के लिए यहां पर 100 गुणा 100 मीटर क्षेत्र में डोम का निर्माण किया गया है, इस डोम में तितलियों को उनकी जीवन के अनुरूप तापमान मिल रहा है। इसके साथ ही तितलियों को यहां पर सभी तरीके के माहौल पैदा करने के लिए यहां पर कई प्रकार के आकर्षक फूलों पौधे लगाए गए हैं ताकि तितलियों को यहां पर उनके रहन-सहन और खान-पान में किसी प्रकार की परेशानी ना आए। इन प्रयासों से तितलियों की संख्या में इजाफा हुआ है।

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