भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी और झीलों की नगरी भोपाल के रामसर साइट भोज वेट लैंड 'बड़ा तालाब' के समीप बोट क्लब के पास 10 हजार स्कायर फीट नम भूमि पर टूरिज्म कौंसिल एक निजी कंपनी की मदद से क्रूज रेस्टोरेंट का निर्माण कर रहा है। जहां ये निर्माण किया जा रहा है वह तालाब का वेटलैंड एरिया है। इस निर्माण के लिए न वेटलैंड अथॉरिटी से अनुमति ली गई है न ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल से एनओसी ली गई है।
पर्यावरणविदों का मानना है कि वेटलैंड के लिए किनारों पर इस तरह के निर्माण घातक साबित हो सकते हैं। बोट क्लब पर पहले से ही कई होटल है। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान से 100 मीटर दायरे में इस निर्माण की जगह पर नमभूमि है। यहां किनारे पर दलदली क्षेत्र है। यहीं वेटलैंड को बचाए और बनाए रखने के लिए जरूरी है, लेकिन यहां स्मार्टसिटी के माध्यम से कौंसिल का रेस्त्रां इस स्थिति को खत्म कर देगा।
इस मामले में द मूकनायक ने पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष सी पांडेय से बातचीत की। उन्होंने बताया कि वेटलैंड एरिया पर पक्के निर्माण से तालाब का कैचमेंट भी प्रभावित होगा जिसके कारण तालाब के पानी के स्रोत भी बंद हो सकते हैं। डॉ. पांडेय के मुताबिक अधिकतर जलीय जीव पानी से बाहर आकर वेटलैंड में ही प्रजनन करते हैं। यहीं जीव पानी को साफ रखने में मदद करते है। वेटलैंड पर निर्माण पूरे तालाब के अस्तित्व पर खतरा है। उन्होंने कहा कि वेटलैंड में उगने वाले पेड़-पौधे पानी में ऑक्सीजन को बनाए रखते है। जो जलीय जीव जंतु एवं पेयजल के लिए काफी महत्वपूर्ण है। डॉ. पांडेय ने कहा भोपाल के बड़ा तालाब का पानी पीने लायक है। ऐसे में वेटलैंड पर पक्का निर्माण भविष्य में कई समस्याएं निर्मित कर सकता है। जिसका पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ेगा।
पार्क में ओपन थियेटर का भी हुआ था विरोध-
गौरतलब है कि वाटिका पार्क में ओपन थियेटर का भी विरोध हुआ था। उस समय तालाब में पिलर गाड़कर ये थियेटर बनाया था। दावा था कि फाउंटेन से पानी को उछाला जाएगा, वाटर स्क्रीन पर शहर का इतिहास दिखाया जाएगा। स्थिति ये कि ओपन थियेटर प्रोजेक्ट खत्म हो गया। लेकिन अब फिर से तालाब किनारे निर्माण की राह खोली जा रही है। निजी एजेंसी के माध्यम से ये काम कराया जा रहा है। इसके लिए कोलकाता की एजेंसी को ठेका दिया हुआ है। इसका विरोध शुरू हो चुका है। एक्टिविस्ट प्रदीप खंडेलवाल ने बोट क्लब पर निर्माण स्थल पहुंचकर इसका विरोध भी जताया।
वेटलैंड्स क्या हैं?
वेटलैंड्स, यानी नमभूमि या आद्रभूमि। वैसी भूमि जो पानी से सराबोर हो। आसान भाषा में समझे तो जमीन का वह हिस्सा जहां पानी और भूमि का मिलन हो उसे वेटलैंड कहते हैं। सालभर या साल के कुछ महीने यहां पानी भरा रहता है।
रामसर कन्वेंशन के तहत इसकी एक परिभाषा दी गई है। इसके अनुसार दलदली भूमि, बाढ़ के मैदान, नदियां, झीलें, मैंग्रोव, प्रवाल भित्तियां और अन्य समुद्री क्षेत्र जो कि कम ज्वार पर 6 मीटर से अधिक गहरे न हो- सब वेटलैंड्स की श्रेणी में आते हैं। साथ ही मानव निर्मित तालाब या अपशिष्ट-जल को उपचारित करने वाले तालाब या जलाशय भी इसमें शामिल हैं। वेटलैंड्स की जैविक संरचना में पानी में रहने वाली मछलियां, पानी के आस-पास रहने वाले प्रवासी पक्षी सब शामिल हैं।
बड़ा तालाब के कैचमेंट पर हैं अवैध कब्जे!
भोपाल शहर की लाइफ लाइन बड़े तालाब का जल भराव क्षेत्र 31 वर्ग किलोमीटर और कैचमेंट एरिया 361 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन इसके कैचमेंट एरिया में दो दर्जन से अधिक अवैध मैरिजहाल संचालित हो रहे हैं। लोगों ने अतिक्रमण कर यहां पक्के गोदाम और फार्म हाउस बना लिए हैं। इनमें शहर के रसूखदार और पॉलिटिकल लोगों के साथ सरकार के बड़े अधिकारियों ने भी कैचमेंट एरिया में अवैध कब्जा कर पक्के निर्माण कर लिए हैं। बड़ी और दमदार पैठ के कारण अब तक भोपाल नगर निगम भी नोटिस भेजने के अलावा कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पाया है। जबकि तालाब का तकरीबन 26 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र खाली हो चुका है। आस-पास के लोगों के अलावा भू-माफिया ने भी मौके का फायदा उठाकर अवैध कब्जा कर अधिकांश हिस्से में खेती शुरू कर दी। वेटलैंड के बड़े हिस्से में कब्जा कर पक्के मकान बना लिए गए हैं। फिलहाल निजी कंपनी के हाथों निगम ही यहाँ के बोटक्लब वेटलैंड पर रेस्टोरेंट बना रहा है। जब द मूकनायक ने इस मामले में भोपाल नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी प्रेम शंकर शुक्ल से फोन पर बातचीत की तो उन्होंने मामले में जानकारी नहीं होने की बात कही।
पर्यटकों को लुभाता है बड़ा तालाब
बड़ा तालाब भोपाल की सबसे प्रसिद्ध जगह है। यहां झील के ऊपरी हिस्से में बहुत ही सुंदर पुल का निर्माण भी किया गया है, बोट क्लब तालाब को और भी खास बनाता है। लोग अपनी छुट्टियों का आनंद लेने के लिए अपर लेक पर आते है। भोपाल सहित प्रदेश के अन्य स्थानों से भी यह लोग सैर करने आते है। पर्यटकों के लिए बड़ा तालाब, लेक व्यू खास माना जाता है।
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