जयपुर। हाल ही में विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट-2021 जारी की गई, रिपोर्ट में वर्ष 2021 की वैश्विक वायु गुणवत्ता स्थिति का अवलोकन प्रस्तुत किया गया। वायु प्रदूषण के हिसाब से प्रदेश के कई शहर रेड जोन में है। भिवाड़ी दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है। ग्लोबल एयर क्वालिटी रिपोर्ट- 2021 में 117 देशों के 6475 शहरों की वायु प्रदूषण जांच में भिवाड़ी में 2021 में पीएम- 2.5 का औसत स्तर 106.2 दर्ज किया गया। जबकि दिल्ली का पीएम-2.5 स्तर 96.4 ही था।
आंकड़ों के मुताबिक भारत के टॉप 100 प्रदूषित शहरों में राजस्थान के 7 शहर हैं। सभी शहरों में प्रदूषण का प्रमुख कारण पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 यानी धूल कणों की अधिकता है, जो तय मानकों से 10 गुणा से भी अधिक हवा में तैर रहे है।
यह है आंकड़े
भिवाड़ी एक्यूआई 106.20, जोधपुर 67.8, कोटा 57.0, जयपुर 56.6, पाली 55.9, अजमेर 43.7 व अलवर 42.9 एक्यू आई है।
क्या है आईक्यू एयर
आइक्यू एयर एक स्विस समूह है जो पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 की सांद्रता के आधार पर वायु गुणवत्ता के स्तर को मापता है। यह सरकारों, शोधकर्त्ताओं, गैर-सरकारी संगठनों, कंपनियों और नागरिकों को शामिल करने, शिक्षित करने और प्रेरित करने का प्रयास करता है। ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार और स्वस्थ समुदायों और शहरों का निर्माण किया जा सके।
पीएम-2.5 का मापन
यह रिपोर्ट दुनिया भर के 117 देशों के 6,475 शहरों के पीएम-2.5 वायु गुणवत्ता डेटा पर आधारित है।
2.5 माइक्रोन या उससे छोटे व्यास वाले महीन एयरोसोल कणों से युक्त पार्टिकुलेट मैटर, छह नियमित रूप से मापे गए वायु प्रदूषकों में से एक है। जिसे आमतौर पर स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव और पर्यावरण में व्यापकता के कारण मानव स्वास्थ्य के लिये सबसे हानिकारक कणों के रूप माना गया है।
पीएम-2.5 कई स्रोतों से उत्पन्न होते है
पीएम-2.5 के सामान्य रासायनिक घटकों में सल्फेट्स, नाइट्रेट्स, ब्लैक कार्बन और अमोनियम शामिल हैं।
सामान्यतः मानव निर्मित स्रोतों में आंतरिक दहन इंजन, बिजली उत्पादन, औद्योगिक प्रक्रियाएँ, कृषि प्रक्रियाएँ, निर्माण व आवासीय लकड़ी तथा कोयला का जलना शामिल हैं। पीएम-2.5 के सबसे आम प्राकृतिक स्रोत धूल भरी आंधी, बालू के तूफान और जंगल की आग हैं।
भारत के समक्ष चुनौतियां
भारत में वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। यह रोगों का दूसरा सबसे बड़ा जोखिम कारक है। साथ ही वायु प्रदूषण की आर्थिक लागत सालाना 150 बिलियन अमेरीकी डाॅलर से अधिक होने का अनुमान है। भारत में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में वाहन उत्सर्जन, विद्युत उत्पादन, औद्योगिक अपशिष्ट, खाना पकाने हेतु बायोमास दहन, निर्माण क्षेत्र और फसल जलने जैसी प्रासंगिक घटनाएंँ शामिल हैं।
वर्ष 2019 में भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ( Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEF & CC) द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Program- NCAP) अधिनियमित किया गया।
वर्ष 2024 तक यह योजना सभी पहचाने गए गैर-लाभप्रद शहरों में पीएम सांद्रता को 20% से 30% तक कम करने, वायु गुणवत्ता निगरानी में वृद्धि करने तथा एक शहर, क्षेत्रीय और राज्य-विशिष्ट स्वच्छ वायु कार्य योजना को लागू करने के साथ-साथ संचालन स्रोत विभाजन के अध्ययन पर आधारित है।
स्रोत-राजस्थान पत्रिका
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