लखनऊ। यूपी में योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद एक भी मदरसे को मान्यता नहीं दी गई। उल्टा शासन के आदेश पर मदरसा बोर्ड को प्रदेश के सभी मदरसों का ब्यौरा देने का आदेश हुआ। बोर्ड ने आदेश का पालन किया। प्रदेश में संचालित मदरसों में 8449 मदरसें गैर मान्यता प्राप्त हैं। मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष के मुताबिक पिछले 8 वर्षों से एक भी मदरसे को मान्यता नहीं दी गई है। मान्यता नहीं दिये जाने के कारण इनमें पढ़ रहे लगभग 7.50 लाख बच्चों के भविष्य पर तलवार लटकी हुई है।
दरअसल, हाल ही में मदरसा बोर्ड के चेयरमैन ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मदरसों की मान्यता देने की बात कही है। मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार अहमद जावेद ने सीएम योगी को पत्र लिखकर यूपी के मदरसों के सर्वे का जिक्र करते हुए जल्द से जल्द मान्यता देने का आग्रह किया।
अध्यक्ष के मुताबिक सरकार के आदेश पर मदरसों की गणना कराई गई थी। इनमें कुल 8449 मदरसे बिना मान्यता के ही चल रहे हैं। पूरे आंकड़े तैयार होने के बाद उन्होंने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को भी मान्यता दिये जाने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे हुए एक साल हो गए, लेकिन अभी तक मदरसों को मान्यता नहीं दी गई। पिछले आठ वर्षों से मदरसों की मान्यता का मामला अटका हुआ है। साढ़े आठ हजार मदरसों का सर्वे हो चुका है, इन मदरसों में साढ़े सात लाख बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। मदरसों में 90-95 प्रतिशत बच्चे पसमांदा समाज के है। गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को अवैध कहने से दाग लगता है, मदरसों को मान्यता देकर इन बच्चों को मुख्यधारा में शामिल किया जाये।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का एक हाथ में कुरान व एक हाथ में कंप्यूटर का सपना साकार करने में मदरसा बोर्ड प्रयासरत है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मूलमंत्र के साथ मदरसा बोर्ड काम कर रहा है।
प्रदेश में बोर्ड से तहतानिया कक्षा 1 से 5, फौकानिया कक्षा 5 से 8 और आलिया व उच्च आलिया स्तर यानी हाईस्कूल या इससे ऊपर के 16,460 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं। इनमें सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त 560 मदरसे हैं। इन मदरसों में मुंशी-मौलवी हाईस्कूल समकक्ष, आलिम इंटर समकक्ष, कामिल स्नातक और फाजिल परास्नातक के समकक्ष पढ़ाई होती है, लेकिन मदरसा बोर्ड की परीक्षाओं में हर साल परीक्षार्थियों की संख्या घटती जा रही है। इस साल प्रदेश भर के मदरसों से सिर्फ एक लाख 72 हजार आवेदन आए थे। इसकी वजह मदरसा बोर्ड के नए नियम को माना जा रहा है। इसके तहत अन्य बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए आलिम में आवेदन करने के लिए हाईस्कूल और कामिल में आवेदन करने के लिए इंटरमीडिएट या समकक्ष परीक्षा में उर्दू, अरबी, फारसी से उत्तीर्ण होना अनिवार्य कर दिया है।
मदरसों की मान्यता के लिए नई नियमावली तैयार की गई थी। मदरसा नियमावली 2016 के मुताबिक, तहतानिया से मुंशी-मौलवी तक की मान्यता के लिए मदरसे में कम से कम डेढ़ सौ विद्यार्थियों का होना अनिवार्य है। इनमें मुंशी-मौलवी में 30 से कम विद्यार्थी नहीं होने चाहिए। इसके अलावा आलिम, कामिल और फाजिल की मान्यता के लिए कम से कम 10 विद्यार्थियों का परीक्षाओं में शामिल होना जरूरी है।
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