लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक कोटे से फर्जी बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट बनवाकर MBBS एडमिशन लेने में बड़ा घोटाला सामने आया है। डॉक्टर बनने के लिए अभ्यर्थियों ने बौद्ध धर्म अपना लिया। जिलों से बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट भी बनवा लिया। मेरठ के सुभारती यूनिवर्सिटी में ऐसे ही 20 मामले सामने आए हैं। शिकायत के बाद जांच कराई गई तो पूरा मामला सामने आया। अब सभी के बौद्ध धर्म के सर्टिफिकेट को डीएम ने रद्द कर दिया है।
बता दें कि यूपी में MBBS के एडमिशन की काउंसिलिंग चल रही है। इसी दौरान यह घोटाला सामने आया है। इसमें यूनिवर्सिटी पर डोनेशन लेकर एडमिशन देने का भी आरोप है। इसकी भी जांच चल रही है।
अल्पसंख्यक कॉलेजों में अल्पसंख्यक कोटे के तहत एडमिशन की परमिशन है। सुभारती को बौद्ध अल्पसंख्यक संस्था है। अल्पसंख्यक कोटे को लेकर सुभारती विश्वविद्यालय और चिकित्सा शिक्षा विभाग के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला। अदालत से सुभारती विश्वविद्यालय को 50% अल्पसंख्यक कोटे की सीट भरने का आदेश जारी हुआ। सुभारती विश्वविद्यालय में MBBS की 200 सीट हैं, जिनमें से 100 सीटें अल्पसंख्यक कोटे के लिए रिजर्व की गई। सुभारती प्राइवेट यूनिवर्सिटी है। अल्पसंख्यक कोटे में मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी और सिख आते हैं।
पहले चरण की काउंसिलिंग में सुभारती मेडिकल यूनिवर्सिटी में 22 एडिमशन अल्पसंख्यक कोटे से होने थे। 20 कैंडिडेट ने एडमिशन इस कोटे के तहत लिए। सभी कैंडिडेट ने बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट लगाया। इसकी वॉट्सऐप पर किसी ने शिकायत चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक से की। लिखा- उत्तर प्रदेश में मेडिकल के छात्रों की काउंसिलिंग में अल्पसंख्यक दर्जे के नाम पर बड़ा घोटाला चल रहा है। मेरठ के सुभारती विश्वविद्यालय में बौद्ध अल्पसंख्यक के नाम पर ट्यूशन फीस और अन्य शुल्क के अलावा लाखों रुपए लेकर सामान्य उम्मीदवारों को सीट दी जा रही है। इसमें मित्तल सरनेम वाले उम्मीदवारों को अल्पसंख्यक कोटे से एडमिशन दिए जा रहे हैं।
चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक किंजल सिंह ने पूरे मामले की जांच कराई। जांच के दौरान पता चला कि सिर्फ सुभारती मेडिकल यूनिवर्सिटी में अल्पसंख्यक कोटे से बौद्ध धर्म से जुड़े लोगों के एडमिशन हुए हैं। सभी के सर्टिफिकेट मंगाए गए। जांच में यह भी पता चला कि सभी सर्टिफिकेट हाल ही में जारी किए गए हैं।
ये सभी सर्टिफिकेट मेरठ, बिजनौर, सहारनपुर, गौतमबुद्ध नगर, प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, मुजफ्फरपुर और हापुड़ जिले से जारी किए गए थे। महानिदेशक किंजल सिंह ने इन जिले के डीएम को सर्टिफिकेट की जांच के लिए आदेश किया। आदेश की एक कॉपी अल्पसंख्यक विभाग के डायरेक्टर को भी भेजी गई है।
आदेश के बाद सभी जिलों के डीएम ने माना है कि सर्टिफिकेट गलत तरीके से जारी किए गए हैं। इनमें नियमों का पालन नहीं किया गया। वाराणसी को छोड़कर सभी डीएम ने कैंडिडेट्स को जारी सर्टिफिकेट कैंसिल करने का आदेश दे दिया है। वाराणसी के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारी छुट्टी पर हैं। इसलिए वहां से जारी एक सर्टिफिकेट कैंसिल नहीं किया गया है।
बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट लगाकर अल्पसंख्यक कोटे से एडमिशन पाने वाले सभी हिंदू धर्म से हैं। एडमिशन के लिए इन्होंने बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट तैयार करा लिया। ये सर्टिफिकेट डीएम, एसडीएम और अल्पसंख्यक अधिकारी के यहां से जारी हुए हैं, लेकिन इसमें उत्तर प्रदेश के विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन एक्ट 2021 का पालन नहीं किया गया है। जांच के दौरान धर्म परिवर्तन के दो नियमों का पालन नहीं किया गया है।
पहला नियम- 60 दिन पहले धर्म परिवर्तन का घोषणा पत्र संबंधित डीएम के यहां नहीं दिया गया है।
दूसरा नियम- जिस जिले के कैंडिडेट हैं, उस जिले से सर्टिफिकेट नहीं बना है।
उत्तर प्रदेश के विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन एक्ट 2021 के सेक्शन 8 और 9 में यह साफ तौर पर लिखा है कि अपना धर्म परिवर्तन करना चाहने वाले व्यक्ति को कम से कम 60 दिन पहले अपने जिले के जिला मजिस्ट्रेट या अपर जिला मजिस्ट्रेट के सामने लिखित में यह घोषणा करनी होगी कि वह अपनी स्वतंत्र सहमति से और बिना किसी बल, प्रताड़ना या प्रलोभन के अपना धर्म परिवर्तित करना चाहता है।
नोट- उक्त रिपोर्ट मूल रूप से दैनिक भास्कर द्वारा प्रकाशित की जा चुकी है।
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