इलाहाबाद यूनिवर्सिटी: फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों के समर्थन में आए दलित प्रोफेसर पर विश्वविद्यालय प्रशासन हुआ सख्त

फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों के समर्थन में आए दलित प्रोफेसर
फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों के समर्थन में आए दलित प्रोफेसर
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नई दिल्ली। पूर्व के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन जारी है, जिसमें सभी छात्र संगठनों ने हिस्सा लिया है। विरोध पिछलों दिनों इतना तेज हो गया है कि पुलिस ने यूनिवर्सिटी के मेन गेट में ताला लगा दिया, जिसके बाद छात्रों ने ताला तोड़ दिया। अब लगातार विरोध प्रदर्शन के बीच एक दलित प्रोफेसर छात्रों को समर्थन देने के लिए आगे आए हैं।

कला संकाय में मध्यकालीन आधुनिक इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. व्रिकम ने छात्रों का समर्थन किया है, जिससे छात्रों में काफी उत्साह है। वहीं दूसरी ओर इस समर्थन के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी उनसे संपर्क करने की बात कही है।

फीस वृद्धि संविधान विरोधी!

द मूकनायक की टीम ने डॉ. विक्रम से मामले में विस्तार से बात की है। डॉ. विक्रम ने बताया कि, यह वह समय है जब स्टूडेंट्स के साथ खड़े होने की जरूरत है। ताकि सस्ती शिक्षा को बचाया जा सके। वह कहते हैं, "यह फीस वृद्धि संविधान विरोधी है। कोई भी शिक्षा से वंचित नहीं रह जाए इसलिए बाबा साहब ने संविधान सभा में शिक्षा के राष्ट्रीयकरण की बात कही थी। ताकि एससी/एसटी समाज के बच्चे शिक्षा को ग्रहण कर सकें। इसी को बचाने के लिए ही मैं अपने छात्रों के साथ खड़ा हूं।"

फीस वृद्घि के बाद शिक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर डॉ. विक्रम का कहना है कि प्रशासन द्वारा लगातार कहा जा रहा है कि फीस वृद्धि बहुत ज्यादा नहीं है। प्रोफेसर सवाल करते हुए कहते हैं कि, क्या इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एक छात्र की जिंदगी सिर्फ फीस भरना ही है। एक स्टूडेंटस की 100 जरूरतें हैं। "गरीब बच्चे उम्मीद से सरकारी शिक्षा संस्थानों में शिक्षा लेने आते हैं कि पढ़ लिखकर अपनी जिंदगी को बदलेंगे, लेकिन शिक्षा ही महंगी हो जाएगी तो गरीब कहां जाएगा।" उन्होने कहा।

फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों के समर्थन में आए दलित प्रोफेसर
फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों के समर्थन में आए दलित प्रोफेसर

जेएनयू प्रशासन ने फीस वृद्धि वापस ली थी

साल 2020 में जेएनयू की बढ़ी फीस का जिक्र करते हुए वह कहते हैं कि अगर वहां फीस वृद्धि वापस हो सकती है तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में क्यों नहीं?

प्रोफेसर के छात्रों के समर्थन में आने के बाद विश्वविद्यालय के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर व प्रोफेसर जया कपूर ने एक स्थानीय समाचार पत्र को दिए अपने बयान में कहा है कि, हमें प्रोफेसर विक्रम के छात्रों के समर्थन के बारे में पता चला है। विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द ही उनसे इस बारे में संपर्क करेगा और उनका पक्ष जानने की कोशिश करेगा।

मुझे पागल कहा जा रहा है- प्रोफेसर

वहीं दूसरी ओर प्रोफेसर विक्रम का कहना है कि, उनके इस समर्थन के कारण उन्हें कुछ साथी सहकर्मी पागल कह रहे हैं। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन इसे अनुशासनहीनता मान रहा है। वह कहते हैं कि, "छात्रों का समर्थन करने पर मेरे ही सहयोगी प्रोफेसर मुझे और छात्रों को लुम्पेन कह रहे हैं। अगर ऐसा हो तो स्टूडेंट्स किसके पास अपनी परेशानी को लेकर जाएंगे। मेरे खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है।"

"लेकिन मैं अपने वक्तव्य पर कायम हूं। बिना किसी डर के, मुझसे जब भी इस बारे में कुछ पूछा जाएगा तो मेरा जवाब वहीं होगा जो आज है कि निशुल्क शिक्षा दी जानी चाहिए और फीस वृद्धि वापस होनी चाहिए। ताकि हर कोई शिक्षा को ग्रहण कर आगे बढ़ सके।" उन्होने कहा।

आपको बता दें कि, 21 सितंबर 2022 से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस वृद्धि के लेकर लगातार चल रहे आमरण अनशन में छात्रों के समर्थन में प्रोफेसर विक्रम धरना प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे थे। जहां स्टूडेंट्स ने उनके समर्थन के लिए नारे भी लगाए थे। अब इस समर्थन के कारण उन पर कार्रवाई की बात कही जा रही है।

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