आंध्रप्रदेश: परिवार में पहली मास्टर्स डिग्री पाने वाले इस दलित युवा को मिला यूके में पीएचडी का मौक़ा लेकिन...

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को भेजे पत्र में संद्रापति ने ओवरसीज स्कॉलरशिप योजना के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करने की गुहार लगाई है ताकि वो अपना पीएचडी का सपना पूरा कर सके।
 पीएचडी के लिए यूके जाने की पूरी लागत, जिसमें ट्यूशन फीस और रहने का खर्च शामिल है, संद्रापति के परिवार के लिए वहन करना असंभव है।
पीएचडी के लिए यूके जाने की पूरी लागत, जिसमें ट्यूशन फीस और रहने का खर्च शामिल है, संद्रापति के परिवार के लिए वहन करना असंभव है।
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प्रकाशम ,आंध्र प्रदेश – आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के येर्रागोंडा पालेम गांव के रहने वाले जोसेफ आनंद पॉल संद्रापति ने राज्य सरकार से यूनिवर्सिटी ऑफ लैंकेस्टर, यूके में पीएचडी करने के लिए वित्तीय सहायता की अपील की है। आर्थिक रूप से कमजोर दलित परिवार से आने वाले संद्रापति अपने परिवार के पहले सदस्य हैं जिन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय से इतिहास में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। अब उन्होंने यूके की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ लैंकेस्टर में पीएचडी के लिए चयनित होकर एक नया मील का पत्थर हासिल किया है।

संद्रापति का परिवार अत्यंत गरीबी में जीवनयापन करता है, जहां आर्थिक तंगी ने हमेशा उनके सपनों को सीमित करने की कोशिश की। उन्होंने सभी आर्थिक बाधाओं को पार कर मास्टर डिग्री पूरी की और अब पीएचडी के लिए चयनित हुए हैं, जो उनके और उनके परिवार के लिए गर्व की बात है। लेकिन आर्थिक कठिनाइयों के कारण यह सफर उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। पीएचडी के लिए यूके जाने की पूरी लागत, जिसमें ट्यूशन फीस और रहने का खर्च शामिल है, उनके परिवार के लिए वहन करना असंभव है।

शोध का विषय: औपनिवेशिक आंध्र में स्वच्छता का इतिहास

संद्रापति का शोध “औपनिवेशिक आंध्र में स्वच्छता का इतिहास 1858-1947” के विषय पर आधारित है, जो आंध्र प्रदेश के सार्वजनिक स्वास्थ्य के ऐतिहासिक संदर्भ को उजागर करेगा। यह अध्ययन औपनिवेशिक काल के दौरान ब्रिटिश पश्चिमी चिकित्सा और स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों के बीच संबंधों की गहन पड़ताल करेगा। इस शोध का उद्देश्य यह समझना है कि किस तरह से उस दौर में महामारी और बीमारियों का प्रबंधन किया गया और स्वदेशी समाज ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर क्या-क्या प्रयास किए।

उनका शोध आंध्र प्रदेश सरकार की वर्तमान कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी उपयोगी हो सकता है, क्योंकि यह राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता नीतियों के ऐतिहासिक विकास को समझने में मदद करेगा।

अपने x हैंडल से किये एक पोस्ट में जोसेफ संद्रापति ने कहा, "मैं माननीय शिक्षा मंत्री नारा लोकेश गरु से आग्रह करता हूं कि वे आंध्र प्रदेश सरकार की ओवरसीज स्कॉलरशिप योजना के तहत मुझे वित्तीय सहायता प्रदान करें, जिससे मैं अपना पीएचडी का सपना पूरा कर सकूं। मेरे जैसे गरीब दलित छात्रों के लिए यह स्कॉलरशिप एक वरदान की तरह है, जो हमें आर्थिक तंगी से बाहर निकलने और उच्च शिक्षा के सपने को साकार करने का मौका देती है।"

उन्होंने आगे बताया कि विश्वविद्यालय ने उन्हें एक महीने से भी कम समय का समय दिया है, जिसमें उन्हें आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से एक आधिकारिक समर्थन पत्र सबमिट करना है, जो उनके ट्यूशन फीस और रहने के खर्च को कवर करेगा। बिना इस सहायता के उनके लिए पीएचडी करना असंभव हो जाएगा।

जोसेफ की कहानी सिर्फ व्यक्तिगत संघर्ष की नहीं है, बल्कि यह हाशिए पर रहने वाले समुदायों से आने वाले छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह कहानी उन सभी छात्रों की है, जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने का हौसला रखते हैं। सरकार की सहायता न केवल जोसेफ को शिक्षा प्राप्त करने में मदद करेगी, बल्कि यह उनके जैसे अनगिनत छात्रों के लिए उम्मीद की किरण भी बनेगी।

जोसेफ की अपील ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर किया है: आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित समुदायों के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच बेहद कठिन है। ऐसे में सरकार की संवेदनशील और त्वरित कार्रवाई न केवल जोसेफ के लिए, बल्कि उनके समुदाय के लिए भी नई संभावनाओं के द्वार खोल सकती है।

जोसेफ का कहना है कि पीएचडी हासिल करना उनके लिए सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि यह अपने राज्य और समाज के लिए भी कुछ उपयोगी योगदान देने का एक सुनहरा अवसर है। अब उनकी उम्मीदें आंध्र प्रदेश सरकार की सहानुभूति और त्वरित सहायता पर टिकी हैं, जो उनके इस सपने को सच करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।

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