MP के महानगरों में शिक्षकों की भरमार, ग्रामीण स्कूलों में टोटा, अब अतिशेष शिक्षकों के तबादले की तैयारी!

प्रदेश के करीब 22,000 सरकारी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, और लगभग 3,500 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी बच्चा नहीं है, लेकिन शिक्षक तैनात हैं। शिक्षा विभाग ने अब इन समस्याओं को हल करने के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया के तहत अतिशेष शिक्षकों को शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में स्थानांतरित करने की योजना बनाई है।
भोपाल स्थित शिक्षण संचालनालय कार्यालय परिसर.
भोपाल स्थित शिक्षण संचालनालय कार्यालय परिसर. The Mooknayak
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भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की असमानता एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। प्रदेश के कई जिलों के स्कूलों में शिक्षकों की भरमार है, जबकि अन्य जिलों के स्कूल खाली पड़े हैं। इस असमानता के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है। अब इस समस्या को दूर करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने अतिशेष शिक्षकों को काउंसलिंग के माध्यम से शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में पदस्थ करने का निर्णय लिया है।

2022 में स्कूल शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया को अपनाया था, जिसके तहत करीब 36,000 शिक्षकों का स्वैच्छिक आनलाइन स्थानांतरण किया गया। हालांकि, इस प्रक्रिया से कई ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षक बड़े शहरों में स्थानांतरित हो गए, जहां पहले से ही पर्याप्त शिक्षक मौजूद थे। नतीजतन, महानगरों के स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की संख्या दोगुनी हो गई। इन शिक्षकों को स्कूलों में ज्वाइनिंग नहीं मिल पाई, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।

इस स्थानांतरण प्रक्रिया के बाद, ग्रामीण क्षेत्रों के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो गई, जिससे शैक्षणिक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। दो साल बीत जाने के बाद भी, विभाग इन अतिशेष शिक्षकों को सही स्कूलों में भेजने में असफल रहा है। इसके अलावा, शिक्षा पोर्टल को भी अपडेट नहीं किया गया है, जिसके कारण कई विसंगतियां अब भी बनी हुई हैं।

मध्य प्रदेश के कई बड़े शहरों में शिक्षकों की संख्या आवश्यकता से अधिक है। इसमें, इंदौर में 1,337, ग्वालियर में 1,153, भोपाल में 1,115, और जबलपुर में 887 अतिशेष शिक्षक पदस्थ हैं। वहीं, बालाघाट, सतना, रीवा, सागर, छिंदवाड़ा, उज्जैन, राजगढ़, भिंड, मुरैना, और देवास जैसे जिलों में शिक्षकों की संख्या अत्यधिक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल खाली पड़े हैं। प्रदेश के करीब 22,000 सरकारी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, और लगभग 3,500 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी बच्चा नहीं है, लेकिन शिक्षक तैनात हैं।

काउंसलिग के बाद होंगे ट्रांसफर

शिक्षा विभाग ने अब इन समस्याओं को हल करने के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया के तहत अतिशेष शिक्षकों को शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में स्थानांतरित करने की योजना बनाई है। इस प्रक्रिया में, उन स्कूलों के शिक्षकों को भी शामिल किया जाएगा, जहां बच्चे नहीं हैं। इन्हें अन्य स्कूलों में भेजा जाएगा, जहां उनकी जरूरत है।

लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने बताया, कि अतिशेष शिक्षकों को काउंसलिंग के माध्यम से उन स्कूलों में भेजा जाएगा, जहां शिक्षकों की कमी है। इसके अलावा, जिन स्कूलों में बच्चे नहीं हैं, उन स्कूलों के शिक्षकों को भी अन्य स्कूलों में स्थानांतरित किया जा रहा है। विभाग का उद्देश्य है कि सभी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या समान हो, ताकि प्रदेश के सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।

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