मध्य प्रदेश: हिजाब पहने हिन्दू लड़कियों के वायरल पोस्टर मामले पर कलेक्टर ने दी थी क्लीनचिट, अब सीएम के निर्देश पर स्कूल की मान्यता रद्द

हिजाब पहने हिन्दू लड़कियों का वायरल हुआ था पोस्टर
हिजाब पहने हिन्दू लड़कियों का वायरल हुआ था पोस्टर
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भोपाल। दमोह में निजी स्कूल की कथित हिजाब मामले में मान्यता निलंबित कर दी गई है। मध्य प्रदेश के सयुंक्त संचालक शिक्षा ने आदेश जारी कर स्कूल की मान्यता को सस्पेंड किया है। बीते तीन दिनों से स्कूल की छात्राओं के हिजाब पहने पोस्टर वायरल होने के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

बता दें इस मामले में हिंदू संगठनों के विरोध के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जांच के निर्देश दिए थे। लेकिन इसके पहले कलेक्टर दमोह के द्वारा गठित जांच समिति ने स्कूल को क्लीन चिट दी थी। मगर विवाद बढ़ते देख सीएम ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिसके बाद मौके पहुँचे जिला प्रशासन और बाल आयोग की टीम की जांच के बाद स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी गई है। 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल दमोह में संचालित एक निजी स्कूल गंगा जमुना हायर सेकंडरी पर हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनाने का आरोप लगा है। छात्रों के बोर्ड परीक्षा परिणाम का एक पोस्टर स्कूल में लगाया गया जिसमें छात्राएं हिजाब पहने हुए दिख रही थीं। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बुधवार को जांच के आदेश दिए थे। कलेक्टर ने इस मामले में जांच समिति गठित की थी। जांच समिति में जिला शिक्षा अधिकारी की जांच रिपोर्ट में क्लीन चिट दी थी। स्कूल को क्लीन चिट मिलने के बाद हिन्दू संगठनों ने विरोध तेज कर दिया। जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुनः कलेक्टर को जांच के निर्देश दिए थे। कलेक्टर ने इस मामले में दोबारा जांच कराई, इधर बाल आयोग की टीम भी स्कूल में जांच करने के लिए पहुचीं। स्कूल प्रबंधन से पूछताछ के बाद जांच कलेक्टर को भेजी गई। जिसे कार्यवाही के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को अग्रेषित किया गया और स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी गई है। 

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वायरल पोस्टर में छात्राओं ने बांधा था हिजाब

निजी स्कूल में लगे पोस्टर में छात्र-छात्राओं के जो फोटो लगे हुए थे, उनमें सभी छात्राओं ने हिजाब की तरह दिखने वाला एक कपड़ा अपने सिर पर लपेटा है। मुस्लिम छात्राओं के साथ चार हिंदू छात्राएं भी हिजाब पहने दिख रही थीं। जिसके बाद स्कूल विवादों में घिर गया। 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि दमोह का एक स्कूल जो बच्चियों को सर पर कपड़ा बांधकर आने के लिए दबाव बना रहा था, और भारत का विभाजन करने वाले कविता पढ़ा रहा था। ऐसे स्कूल को हम मध्य प्रदेश में चलने नहीं देंगे। सीएम ने कहा कि सभी स्कूलों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई शिक्षा नीति के अनुसार स्कूलों में पढ़ना होगा। 

राष्ट्रीय बाल आयोग भेजेगा कलेक्टर को नोटिस

मामला तूल पकड़ने के बाद राष्ट्रीय बाल अध‍िकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो को इस मामले की जानकारी लगी तो उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हिंदू और अन्य ग़ैर मुस्लिम बच्चों को इस्लामिक प्रथाओं का अभ्यास करवाना भारत के संविधान के अनुच्छेद 28 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि वे दमोह कलेक्टर को नोटिस भेज रहे हैं।

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पहले दी क्लीन चिट, सीएम से निर्देश के बाद पुनः जांच में की मान्यता निलंबित

दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने जांच समिति गठित कर अधिकारियों से जांच कराई। जांच में रिपोर्ट के अनुसार कलेक्टर ने स्कूल पर लग रहे सभी आरोप निराधार बताकर क्लीन चिट दे दी। बाद में मामला जब मुख्यमंत्री तक पहुँचा तब पुनः जांच के बाद स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी गई। बताया जा रहा है कि हिन्दू संगठनों ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया। वहीं इस पूरी कार्रवाई को आगामी विधानसभा चुनाव से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। कलेक्टर के द्वारा की गई जांच के बाद मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी इस मामले को निराधार बताया था। 

स्कूल संचालक ने कहा किसी पर दबाव नहीं डाला

गंगा- जमुना स्कूल के संचालक मुस्ताक खान ने बताया कि स्कूल की यूनिफार्म में स्कार्फ शामिल है। लेकिन इसे पहनने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जाता है। स्कार्फ को हिजाब समझा जा रहा है। एसपी राकेश कुमार सिंह का कहना है कि अभी तक स्कूल के किसी भी अभिभावक या छात्रा ने शिकायत दर्ज नहीं कराई है। 

राज्य बाल सरंक्षण आयोग ने की जांच

मध्य प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम ने दमोह के स्कूल में जाकर जांच की है। बताया जा रहा है कि स्कूल में कुल 1208 छात्र अध्ययन कर रहे है जिनमें 378 हिन्दू बच्चे है। द मूकनायक से बातचीत बाल आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि हमने मौके पर जाकर जांच की है। जांच के दौरान स्कूल से उर्दू साहित्य और बच्चों को हिजाब पहनने के लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा दवाब बनाये जाने की बात सामने आई है। वहीं अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में उर्दू में एक विशेष धर्म के साहित्य को पढ़ाया जा रहा था। स्कूल से उर्दू की किताबें बरामद हुईं है। सदस्य ओंकार सिंह ने कहा कि आयोग स्कूल प्रबंधन की मान्यता रद्द करने के साथ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के लिए संबंधित को पत्र लिखेगा।

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