एक महीने से एनओएस पोर्टल (NOS Portal) में तकनीकी खामियों के कारण छात्र नहीं कर पा रहे आवेदन। 30 जुलाई 2022 आवेदन की अंतिम तारीख। आदिवासी छात्रों के विदेशों में पढ़ने के सपनों पर लग सकता है ब्रेक।
नई दिल्ली। जनजातीय कार्य मंत्रालय की ओर से विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए दी जाने वाली NOS [नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप] (National Overseas Scholarship) को पाने के लिए महाराष्ट्र के बीड जिले के जनजातीय छात्र प्रशांत ठाकुर प्रयासरत हैं। एक महीने पहले उन्होंने स्कॉलरशिप के लिए पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया था लेकिन पोर्टल में तकनीकी खामी के चलते आवेदन प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी।
एक हफ्ते बाद प्रशांत ने पोर्टल पर फिर से आवेदन के लिए लॉगिन किया लेकिन इस बार भी एज्युकेशनल डाक्यूमेंटस अटैच करते समय तकनीकी खामी आने से आवेदन प्रकिया पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद उन्होंने पोर्टल पर उपलब्ध कराए गए हेल्पलाइन नम्बर पर फोन किया। वहीं समस्या से संबंधित मेल भी किया लेकिन पोर्टल की तकनीकी खामी को दूर नहीं किया गया। प्रशांत काफी परेशान हैं क्योंकि आवेदन की अंतिम तारीख 30 जुलाई 2022 काफी नजदीक है। अगर पोर्टल की तकनीकी खामी समय रहते दूर नहीं की गई तो इस साल विदेश में जाकर पढ़ाई करने का मौका उनके हाथ से निकल जाएगा।
प्रशांत ने बताया कि, समस्या को लेकर उन्होंने हेल्पलाइन नम्बर से लेकर पोर्टल पर दिए संबंधित अधिकारियों के दूरभाष नम्बर पर सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन समस्या का हल नहीं निकला। कई बार तो अधिकारियों ने फोन भी रिसीव नहीं किया।
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप (National Overseas Scholarship) के तहत पात्र छात्रों से 1 मई 2022 से आवेदन मांगे थे। आवेदन एनओएस पोर्टल की मदद से ऑनलाइन करना है। आवेदन की अंतिम तारीख 30 जुलाई 2022 है। पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों की स्क्रूटनी व डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद चुने गए छात्रों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। अंतिम रूप से चयनित छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी जाती है। इसके तहत 15400 यूएस डॉलर शैक्षिक कार्यों व रहने-खाने व 1532 यूएस डॉलर अन्य खर्चों के लिए दिए जाते हैं।
20 जनजातीय छात्रों को मिलती है स्कॉलरशिप
भारत सरकार ने SC ST समुदाय से आने वाले छात्र-छात्राओं को विदेश में पढ़ाई करने में मदद करने के लिए दो योजनाएं स्थापित की हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति और अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति जो जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा दी जाती है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय जहां कुल 100 स्कॉलरशिप देता है। इनमें 90 अनुसूचित जाति, छः डी-नोटिफाइड घुमंतू जनजाति, चार भूमिहीन खेतिहर मजदूर और पारंपरिक कारीगर समुदाय से आने वाले छात्र-छात्राओं को दी जाती है। वहीं जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा हर साल सिर्फ 20 स्कॉलरशिप दी जाती है। इनमें 17 अनुसूचित जनजाति और तीन विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह के छात्रों को दी जाती है।
पूर्व छात्रों ने जताई आशंका
एनओएस स्कॉलरशिप पा चुके व वर्तमान छात्रों के लिए अशोक ने आशंका जताई है कि एनओएस पोर्टल में आवेदन की ऑनलाइन प्रक्रिया के समय अक्सर तकनीकी खराबी रहती है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, पिछले कुछ सालों में भी ऐसी समस्या आई थी।
अशोक आगे कहते है कि, जनजातीय छात्र अक्सर देश के दूर-दराज इलाकों से आते हैं। वहां इंटरनेट की उपलब्धता अभी भी सहज नहीं है। खास कर जनजातीय छात्राओं को गांव से निकलकर शहर में आकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। ऐसे में पोर्टल के खराब रहने से बहुत से इच्छुक छात्र-छात्राएं आवेदन प्रक्रिया से छूट जाते हैं।
अशोक ने बताया, "आवेदन से लेकर चयन प्रकिया का सरलीकरण नहीं होने से प्रत्येक वर्ष महज 8 जनजातीय छात्रों का ही चयन हो पाता है। इससे बहुत सारे पात्र छात्र-छात्राएं योजना का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं।"
आरटीआई में भी सामने आई हकीकत
अशोक ने बताया कि, आरटीआई से मिली सूचना में 2012-13 से 2018-19 तक औसतन सिर्फ आठ छात्र विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ने गए हैं। इसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि आदिवासी छात्र स्कॉलरशिप मिलने के बावजूद इसका फायदा नहीं उठा पाते हैं। यह भी पता चला है कि 2012-2013, 2013-14, 2015-16 और 2016-17 में स्कॉलरशिप देने के लिए 20 योग्य आदिवासी छात्र भी नहीं मिले। जबकि, स्कॉलरशिप के लिए आवेदन चुने गए छात्रों की संख्या से कहीं ज्यादा है।
सुनवाई की है व्यवस्था
द मूकनायक को एनओएस पोर्टल की ग्रिवेंस रिडरेसल सेल के आरएस मीना ने बताया कि, अगर पोर्टल पर आवेदन करने में दिक्कत आ रही है तो हेल्पलाइन नम्बर या पोर्टल पर दिए गए तकनीकी सहायता प्रभारी के दूरभाष नम्बर पर फोन कर मदद ली जा सकती है। हालांकि पोर्टल में तकनीकी समस्या को ठीक किया गया है या नहीं इसका वे जवाब नहीं दे पाए।
मीना ने बताया कि, अभी हाल में मेरा स्थानांतरण मंत्रालय की दूसरी विंग में हो गया है। इसलिए मैं अधिकृत रूप से जवाब नहीं दे सकता। इस संबंध में एनओएस पोर्टल प्रभारी मनोज कुमार सिंह से सम्पर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।
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