नई दिल्ली। जाकिर हुसैन कॉलेज के सहायक प्रोफेसर लक्ष्मण यादव को बर्खास्त किया गया है। उन पर की गई कार्यवाही के बाद यह उजागर हुआ है कि किस तरह संवैधानिक और स्वतंत्र विचारधारा रखने वाले शिक्षकों को केंद्रीय विश्वविद्यालय से बाहर किया जा रहा है। डेमोक्रेटिक यूनाइटेड टीचर्स एलायंस ने 8 दिसंबर, 2023 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस महत्वपूर्ण विषय के बारे में बात की है।
द मूकनायक हिंदू कॉलेज के परिसर में प्रोफेसर रतन लाल के आवास पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शामिल हुआ। इस कार्यक्रम में विभिन्न छात्र एवं शिक्षक शैक्षिक गुणवत्ता में गिरावट और दोषपूर्ण प्रणाली पर चर्चा करने के लिए मौजूद रहे।
पैनलिस्टों ने उन मामलों के बारे में बात की जहां भेदभाव के मामले सामने आए। इनमें आईपी कॉलेज, रामजस कॉलेज और मोतीलाल नेहरू कॉलेज सहित अन्य कॉलेजों के विभिन्न प्रकरणों पर चर्चा की गई। प्रेस वार्ता में बताया गया कि कैसे मोतीलाल नेहरू कॉलेज में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए यूनिवर्सिटी गेस्ट हाउस में नौकरी के लिए इंटरव्यू दिए गए। साथ ही लंबे समय से कार्यरत कुछ शिक्षकों को अलग-अलग विषयों से हटा दिया गया।
डॉ. लक्ष्मण यादव ने बताया कि कैसे साक्षात्कार प्रक्रिया में विषय और संदर्भ से बाहर के प्रश्न पूछे गए। प्रोफेसर ने खुलासा किया, ''इंटरव्यू लेने वाले प्रोफेसर ने मुझसे कहा कि 'बाहर' लोग तुलसीदास के लेखन को जातिवादी कहते हैं। इस पर, मैंने यह कहते हुए प्रतिक्रिया दी कि चर्चा अलग है, और मैं साहित्य और इसके आस-पास के अपने शोध के बारे में बात करना चाहूंगा। फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं जातिवादी हूं. वहां के लोग मेरे कार्य और सक्रियता के स्वभाव को भली-भांति जानते थे। वे जानबूझकर मेरा इंटरव्यू खराब करना चाहते थे। उन्होंने बताया कि नाराज प्रोफेसर ने आगे सवाल किया कि क्या उन्हें उनकी योग्यता या विचारधारा के कारण बर्खास्त किया गया था।"
डॉ. शुभदा चौधरी का आईपी प्रशासन के साथ मतभेद हो गया था। इसका कारण था कि वह यौन उत्पीड़न के पीड़ितों के लिए साथ खड़ी थीं। वह आंतरिक शिकायत समिति के सदस्य थीं और पीड़ितों को न्याय दिलाना चाहती थीं।
रामजस कॉलेज में अंग्रेजी विभाग से स्नातक करने वाली दिव्या, जाकिर हुसैन डे कॉलेज में छात्र संघ सचिव अनामिका, और हिंदू कॉलेज में समाजशास्त्र में पढ़ाई करने वाली ऐश्वर्या ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जब छात्रों को उनके पसंदीदा शिक्षकों को अचानक हटा दिया गया तो उन्हें कैसा महसूस होगा? उन्होंने कहा यह केवल पसंदीदा शिक्षकों से पढ़ने की बात नहीं है। यह मामला शिक्षकों के साथ उनके मजबूत संबंधों टूट जाने की भी बात है जो कि भावनात्मक और मानसिक रूप से छात्र को परेशान करता है। लोग इन मुद्दों पर खुलकर बात नहीं करते हैं और प्रशासन भी समझदारी नहीं दिखाता है। ऐश्वर्या ने खासकर समरवीर की आत्महत्या की दुखद घटना के बाद जाकिर हुसैन डे कॉलेज में छात्रों के गुस्से के बारे में बताया।
द मूकनायक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ प्रोफेसरों से बात की, जिनके साथ भी इसी तरह घटनाएं हुईं थीं। किरोड़ीमल कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर रुद्राशीष चक्रवर्ती ने प्रिंसिपल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शिक्षक ने कहा, “ लगातार एक कॉलेज के बाद दूसरे कॉलेज में, शिक्षकों को बर्खास्त करने का एक ट्रेंड बनता जा रहा है। उन कॉलेजों में यह कार्यवाही सबसे ज्यादा है, जहां प्राचार्यों की नियुक्ति सत्तारूढ़ दल द्वारा की गई है, विशेष रूप से रामजस, दौलत राम, हंसराज और अभी आईपी और जाकिर हुसैन। उन्होंने कहा कि यदि आप प्रिंसिपल के सामाजिक बैकग्राउंड को देखा जाए तो आपको पता चलेगा कि वे कुछ संबद्धता वाले संगठनों के कार्यकर्ता रहे हैं। यह जातीय उत्पीड़न का दूसरा रूप है।"
दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की निर्वाचित सदस्य, जीसस एंड मैरी कॉलेज में इतिहास की प्रोफेसर डॉ. माया जॉन ने कहा, “हम सेवा से बर्खास्त प्रोफेसरों के समूह के साथ एकजुटता से खड़े हैं। संबंधित कॉलेजों द्वारा प्रोफेसरों के अतार्किक साक्षात्कार यह साबित करते हैं कि अकादमिक स्थानों पर विचार प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए यह एक राजनीतिक साजिश है। अधिकारी जानबूझकर आलोचनात्मक सोच वाले प्रोफेसरों या कुछ खास विचारधाराओं से जुड़े कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही कर रहे हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि यह छात्रों को जागरूक नागरिक बनने से रोकता है। इसके साथ ही उनकी पढ़ाई पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है।"
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