नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने कोटा समेत देशभर में छात्र आत्महत्या की घटनाओं के लिए माता-पिता को जिम्मेदार बताया है। कोर्ट ने कहा कि छात्रों के बीच जबरदस्त कम्पटीशन और पेरेंट्स के बनाए दबाव के कारण भी छात्र आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई बेस्ड एक डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही। इस याचिका में बच्चों की आत्महत्या के लिए कोचिंग सेंटर्स को जिम्मेदार ठहराया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माता पिता की चाहत की वजह से बच्चे मौत को गले लगा रहे हैं। माता-पिता बच्चों से उसकी क्षमता से ज्यादा उम्मीद लगा लेते हैं। इसके कारण बच्चे दबाव में आ जाते हैं और खुदकुशी जैसे कदम उठने को मजबूर हो जाते हैं।
वहीं, याचिका में कोचिंग संस्थानों में मिनिमम स्टैंडर्ड रखने को कहा गया था। हालांकि कोर्ट ने इसको लेकर कानून बनाने वाली बात से इनकार कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “गलती बच्चों के माता पिता की है, कोचिंग संस्थानों की नहीं है। बता दें कि कोटा में जिन बच्चों ने खुदकुशी की है, उनकी उम्र 14-16 साल के बीच है।”
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट मे मुंबई के रहने वाले डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी के द्वारा दर्ज की गई याचिका लोगो को इस मुद्दे पर जागरूक करने हेतु प्रस्तुत की गई जिसमे याची का कहना है कि छात्रों को कोचिंग सेंटर वाले ही अपने फायदे के मुताबिक उनका इस्तेमाल करते है और फिर उन्हें मौत के मुँह मे छोड़ आते है।
जानकारी के अनुसार डॉक्टर नारायण की ओर से लड़ रही अधिवक्ता मोहिनी प्रिया का कहना है कि कोटा अपनी छात्रों के आत्महत्याओं को लेकर सुर्खियां पर रहता है , निजी कोचिंग वालो के लिए ये आम बात है और अब तक ऐसा ना तो कोई क़ानून है और ना ही कोई रेगुलेशन जिससे इन कोचिंग वालो को इस बात के लिए जवाबदेह माना जाए।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2020 के आंकड़ों का जिक्र करते हुए प्रिया ने बताया कि इसके अनुसार देश में लगभग 8.2 प्रतिशत छात्र आत्महत्या से मर जाते हैं। पीठ ने कहा कि वह स्थिति के बारे में जानती है, लेकिन अदालत निर्देश पारित नहीं कर सकती। पीठ ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता अपने सुझावों के साथ सरकार से संपर्क करे। प्रिया ने उचित मंच पर जाने के लिए याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी, जिसकी अदालत ने अनुमति दे दी।
बता दें कि राजस्थान के कोटा में हर साल बड़ी संख्या में नीट (NEET) और जेईई (JEE) की कोचिंग करने के लिए बच्चे जाते है। इस साल करीब 24 छात्र सुसाइड कर चुके हैं। यह आंकड़ा पिछले 8 सालों में सबसे ज्यादा है। सुसाइड के मामलों पर रोक लगाने के लिए कोचिंग संस्थानों से खास सिफारिशें भी की गई थी।
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