मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे दलित शोधार्थी को साउथ एशियन यूनिवर्सिटी ने किया निष्कासित, जानिए क्या थीं मांगें..

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]
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साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (South Asian University) में पिछले डेढ़ महीने से स्टूडेंट्स अपनी मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अपनी मांगों को लेकर छात्रों और शोधार्थियों ने भूख हड़ताल भी की है। इसी दौरान यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा पांच छात्रों को निष्कासित कर दिया गया है। लेकिन भूख हड़लात के कारण छात्रों की तबीयत बिगड़ने के बाद तीन छात्रों के निष्कासन को वापस ले लिया है। नंवबर महीने में प्रशासन द्वारा जारी नोटिस के अनुसार उन्हें कुछ समय के निष्कासन के साथ-साथ कुछ हर्जाना देने को कहा गया है। हालांकि, दो शोधार्थियों को यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया है। जिसके बाद वह धरना प्रदर्शन वाले क्षेत्र में रहने को मजबूर हैं।

द मूकनायक ने एक यूनिवर्सिटी से बाहर निकाले गए शोधार्थी भीमराज एम से बात की। भीमराज तमिलनाडु से ताल्लुक रखते हैं और वह यहां लॉ में पीएचडी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रोटेस्ट के पहले दिन ही वह छात्रों के साथ हैं। "इसी दौरान नवंबर महीने के पहले सप्ताह में ही पांच छात्रों को निष्कासित कर दिया। जिसके बाद छात्रों ने भूख हड़ताल कर दी। इसी दौरान कुछ छात्रों की स्थिति खराब होने लगी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसमें मैं भी था। स्थिति ऐसी हो गई थी की एक छात्र को तो हार्ट अटैक की स्थिति बन गई थी।"

"घटना के दौरान यूनिवर्सिटी में एक बार फिर सभी लोगों ने प्रशासन से मिलकर स्थिति के बारे में अवगत कराया। जिसका नतीजा यह हुआ कि निष्कासन की अवधि को कम कर दिया गया।" भीमराज बताते हैं, "यह सारी घटना नवंबर के आखिरी सप्ताह की है। 25 नवंबर को यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा एक और नोटिस जारी की जाती हैं जिसमें मुझे और उमेश जोशी को निकाल दिया गया।"

नोटिस वापस नहीं हुई तो ऑक्सफोर्ड नहीं जा पाएंगे

यूनिवर्सिटी से निकाले जाने के बाद छात्रों ने कई प्रतिष्ठित लोगों से इस घटना के बारे में बात की लेकिन कहीं से भी कोई सकारात्मक कारवाई नहीं सामने आई। भीमराज कहते हैं कि, इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी होने के कारण पहले ही यहां आरक्षण की पॉलिसी लागू नहीं होते हैं। जिसके कारण शोषित वर्ग से बहुत कम लोग ही यहां पहुंच पाते हैं। यूनिवर्सिटी में लगभग चार सौ छात्रों में सिर्फ दो दलित छात्र हैं। जिसमें से एक मैं हूं और मुझे इन्होंने निकाल दिया है।"

भीमराज एक जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) हैं। उनकी सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर उन्हें वापस नहीं लिया जाता है तो उनका करियर तो खत्म होगा ही साथ ही उन्हें तीन साल के फेलोशिप के पैसे भी वापस करने पड़ेगे। जिसे कर पाना संभव नहीं हैं। चूंकि वह जेआरएफ हैं इसलिए उनकी फेलोशिप की राशि भी ज्यादा है। भीमराज को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से भी एक फेलोशिप मिली है। वह कहते हैं कि, अगर यह नोटिस वापस नहीं ली गई तो वह साल 2023 में ऑक्सफोर्ड नहीं जा पाएंगे।

आपको बता दें कि, छात्रों द्वारा की जा रही प्रमुख मांग में एमए के स्टूडेंट्स और विदेशी शोधर्थियों के स्टॉइपन (छात्रवृत्ति) में बढ़ोतरी हो। कोरोना का सबसे अधिक प्रभाव शिक्षा पर ही पड़ हैं। कई शोधार्थी इस दौरान अपने शोध का काम नहीं कर पाए थे। जिसे लेकर अब एक्सटेंशन की मांग की जा रही  हैं। साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में भी शोधार्थियों की मांग है किं उन्हें पेड एक्सटेंशन दिया जाए। साथ ही उनकी मांग है कि स्टूडेंट्स पर हो रही प्रताड़ना के लिए बनाई गई टीम में एक छात्र प्रतिनिधि हो जो उनकी मांग रख सके।

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में सार्क देशों के स्टूडेंट्स पढ़ाई करने के लिए आते हैं। जिसका मुख्य मकसद दूसरे देश के साथ-सामजिक और संस्कृतिक आदान-प्रदान करना है। लेकिन अब यह यूनिवर्सिटी पिछली दो महीने से सुर्खियों में बनी हुई है। अक्टूबर महीने से स्टूडेंट्स अपनी मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन के तरफ से किसी तरह का सहयोग नहीं मिल पा रहा है।

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