राजस्थान: दलित महिला शिक्षक के समर्थन में क्यों हैं सामाजिक व शिक्षक संगठन?

शिक्षक हेमलता बैरवा निलंबन प्रकरण में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक बारां के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट में प्रकरण दर्ज कर निलंबित करने की मांग.
ज्ञापन देते शिक्षक संघ कार्यकर्ता।
ज्ञापन देते शिक्षक संघ कार्यकर्ता।The Mooknayak
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जयपुर। राजस्थान के बारां जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई में कार्यरत दलित महिला शिक्षक हेमलता बैरवा के निलंबन का मामला तूल पकड़ने लगा है। विभिन्न सामाजिक व शिक्षक संगठन महिला शिक्षक के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। राजस्थान शिक्षक संघ (अंबेडकर) सहित भीम आर्मी, अजाक व अन्य सामाजिक संगठनों ने निलबंन को नियम विरुद्ध बताया है। वहीं सरकार से निलंबन वापस लेने की मांग की है।

निलंबन नियम विरुद्ध

राजस्थान शिक्षक संघ (अंबेडकर) पदाधिकारियों ने बुधवार को प्रदेश भर में मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर व उपखण्ड अधिकारियों को ज्ञापन सौंप कर दलित महिला शिक्षक के निलंबन को नियम विरुद्ध बताया। संघ जिला व तहसील अध्यक्षों के नेतृत्व में सौंपे ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि काफी समय से आरक्षित वर्ग के शिक्षकों के साथ अत्याचार व अन्याय हो रहा है, जिसकी निष्पक्ष जांच कर मांगों का निस्तारण किया जाए। 

संघ के त्रिलोक चंद मोहर ने बताया कि बारां जिला शिक्षा अधिकारी पीयूष कुमार शर्मा ने 23 फरवरी 2024 को एक आदेश जारी कर महिला शिक्षक हेमलता प्रबोधक लेवल-1 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई किशनगंज, जिला-बारां को निलंबित कर क्षेत्राधिकार के बाहर निदेशालय बीकानेर लगाया है। आरोप है कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा अवैध आदेश जारी कर व आरएसआर के नियमों का उल्लंघन किया है। ऐसे में इस आदेश को निरस्त किया जाए।

मोहर ने मांग की है कि नियमों को उल्लंघन करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर जांच करवाई जाए। शिक्षक हेमलता बैरवा का निलंबन रद्द कर बहाल किया जाए।

दलितों पर हो रही असंवैधानिक कार्रवाई 

भीम आर्मी के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष मुकेश बैरवा ने दलित अधिकार केन्द्र के अधिवक्ताओं के साथ उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा से मुलाकात कर एक हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंपा। मुकेश बैरवा ने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान बारां जिले के लकडाई में पदस्थापित महिला शिक्षक ने सरकारी विद्यालय में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28 एवं अनुच्छेद 51 ए (एच) की पालना में धर्म विशेष का प्रतीक सरस्वती देवी का चित्र नहीं लगा कर अपने संवैधानिक लोक सेवक के उत्तरदायित्वों का निर्वहन किया था।

ज्ञापन देते भीम आर्मी कार्यकर्ता।
ज्ञापन देते भीम आर्मी कार्यकर्ता।The Mooknayak

इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों एवं स्कूल के कुछ स्टाफ द्वारा मिलकर जबरदस्ती कार्यक्रम में व्यवधान डालकर सरस्वती मूर्ति की पूजा करने के लिए महिला शिक्षक को डराया व धमकाया गया। दलित महिला शिक्षक को प्रताड़ित किया गया। इस पर महिला शिक्षक ने 27 जनवरी को नाहरगढ़ पुलिस थाने में आरोपियों को नामजद करते हुए तहरीर दी थी। पुलिस ने धारा 506, 504 आईपीसी व अनुसूचित जाति/ जाति अधिनियम की धारा 3 (1) (त), 3 (2(अ) में प्राथमिकी दर्ज की थी। पुलिस ने मनबढ़ व प्रभावशाली आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

जातीय द्वेष से कार्रवाई करने का आरोप

बैरवा ने आरोप लगाया कि जिला शिक्षा अधिकारी पीयूष कुमार शर्मा द्वारा दलित अध्यापिका के विरूद्ध बिना किसी प्राथमिक जांच के, विद्वेषपूर्ण, मनमानी, जातिगत व असंवैधानिक कार्यवाही करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। यह अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 (1) (पी) के तहत अपराध कारित होना प्रमाणित करता है। भीम आर्मी ने उप मुख्यमंत्री से दलित महिला शिक्षक के निलंबन को निरस्त करने, बारां जिला शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 (1) (पी) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश देने, प्रबोधक लेवल-1 को निलंबित कर क्षेत्राधिकार से बाहर भेजने पर निलंबित कर प्रशासनिक कार्यवाही अमल में लाने की मांग की।  

आदिवासी जन अधिकार एका मंच का मिला समर्थन

आदिवासी जन अधिकार एका मंच राजस्थान ने भी सरस्वती की पूजा विवाद में निलंबित की गई दलित शिक्षिका को बहाल करने की मांग की है। सचिव विमल भगोरा ने कहा कि एक शिक्षक को डंडे के बल पर सत्ताधारी भाजपा, अपना एजेंडा थोपना चाहती है, जो गलत है। प्रदेशाध्यक्ष दुलीचंद मीणा ने कहा कि सरस्वती को विद्या की देवी मानना या पूजा करना, व्यक्तिगत विषय है। प्रत्येक धर्म में धार्मिक मान्यताएं है, यदि सबके अनुसार सरकारी शिक्षण संस्थाओं में लागू किया जाये तो धर्मनिरपेक्ष संविधान का क्या होगा।? यह जरूरी नहीं है कि शिक्षा मंत्री की आस्था, सब पर थोप दी जाए। आदिवासी जन अधिकार एका मंच ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से शिक्षिका को बहाल करने की मांग की है।  

जिला शिक्षा अधिकारी पर एफआईआर की मांग

अखिल भारतीय अनुसूचित जाति परिषद प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व आईपीएस आरपी सिंह ने भी दलित महिला शिक्षक को निलंबित कर मुख्यालय निदेशालय बीकानेर करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 (1) (पी ) के तहत प्रकरण पंजीबद्ध करने, शिक्षिका को बहाल करने की मांग की है।  

शिक्षा मंत्री को संविधान की दिलाई याद

अजाक परामर्शदाता समिति सदस्य एवं संरक्षक राजस्थान पूर्व आईपीएस सत्यवीर सिंह ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिखकर संविधान की याद दिलाई है।  पूर्व आईपीएस ने कहा कि इस देश का शासन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के द्वारा बनाए संविधान से चलता है। जिसकी प्रस्तावना में ही पंथ निरपेक्ष शब्द लिखा हुआ है। दलित महिला शिक्षक को निलंबित करने का आदेश संविधान के विरुद्ध है। साथ ही शिक्षा मंत्री को याद दिलाया कि संविधान और उसी महामानव (डॉ. भीमराव अंबेडकर) की वजह से आज आप मंत्री बने हैं।

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