राजस्थान: स्कूल में उर्दू की पढ़ाई शुरू हुई तो सैकड़ों बच्चों के पेरेंट्स ने लगा दी टीसी की अर्जी, जानिए क्या है पूरा मामला!

राजस्थान के ब्यावर खास के सरकारी स्कूल में उर्दू विषय पढ़ाने के विरोध में उतरे ग्रामीण। उर्दू अध्यापक को हटाकर इस विषय को बंद करने की मांग को लेकर कर रहे हैं प्रदर्शन। दो सौ बच्चों की टीसी काटने के लिए प्रधानाचार्या के नाम दिया सामूहिक आवेदन।
ब्यावर खास स्कूल, राजस्थान
ब्यावर खास स्कूल, राजस्थान
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जयपुर। उर्दू भारतीय भाषा है। इसका जन्म भारत में हुआ। उर्दू इस मुल्क में गंगा-जमुनी तहजीब के लिए पहचानी जाती है। यह बात अलग है कि राजस्थान में उर्दू भाषा को अब धर्म से जोड़ कर प्रदर्शित किया जाने लगा है। प्रदेश के सरकारी स्कूल में उर्दू विषय पढ़ाने का भी विरोध होने लगा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या प्रदेश के सरकारी स्कूलों में तृतीय भाषा के रूप में पढ़ाया जा रहा उर्दू विषय धर्म विशेष की शिक्षा दे रहा है? क्या मुस्लिमों के अलावा अन्य धर्म, जाति व मजहब के लोग उर्दू नहीं पढ़ते? उर्दू विषय पढ़कर मुस्लिमों के अलावा अन्य जाति, धर्म व मजहब के लोग सरकारी सेवा में नहीं है? सरकारी स्कूल में  उर्दू पढ़ाए जाने का विरोध कर रहे लोगों को इन सवालों का जवाब भी देना चाहिए।

यहां हो रहा उर्दू पढ़ाने का विरोध 

राजस्थान के ब्यावर जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय ब्यावर खास में इस सत्र से तृतीय भाषा के रूप में उर्दू विषय शुरू करने पर कुछ लोग विरोध में उतर आए हैं। शिक्षा में एक विषय विशेष को लेकर लोगों का विरोध मासूम विद्यार्थियों के कोमल मन में नफरती विचार उत्पन्न कर सकता है। संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष रहे बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर शिक्षा में समानता के पक्षधर रहे हैं। लेकिन अब उर्दू शिक्षण को लेकर समुदाय विशेष विरोध करने लगे हैं। 

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में ब्यावर खास में तृतीय भाषा के रूप में उर्दू विषय पढ़ाने के विरोध में अभिभावकों के एक धड़े ने दो सौ विाद्यार्थियों की टीसी कटवाने के लिए प्रधानाचार्य के नाम सामूहिक पत्र सौंप कर विद्यार्थियों को स्कूल जाने से रोक दिया है। हालांकि उर्दू पढ़ने वाले विद्यार्थी नियमित स्कूल जाकर पढ़ाई कर रहे हैं। 

गत दिवस सोमवार को उपखण्ड अधिकारी मृदुल सिंह की अध्यक्षता में अभिभावकों व स्कूल स्टाफ की विद्यालय परिसर में एक बैठक हुई। बैठक के दौरान उपखण्ड अधिकारी ने अभिभावकों की मांगों को सुना तथा उनके द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करवाने का आश्वासन दिया। लेकिन उर्दू विषय का विरोध कर रहे अभिभावक स्कूल से मुस्लिम शिक्षिकाओं को हटाने तथा उर्दू विषय बंद करने की मांग पर अड़े रहे। आरोपों की जांच पूरी होने तक कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजने से इनकार कर दिया। 

ब्यावर खास स्कूल में उर्दू विषय संचालन के विरोध के बाद स्कूल पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी ग्रामीणों से चर्चा करते हुए, राजस्थान
ब्यावर खास स्कूल में उर्दू विषय संचालन के विरोध के बाद स्कूल पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी ग्रामीणों से चर्चा करते हुए, राजस्थान

चर्चा के दौरान उपखण्ड अधिकारी ने कहा कि स्कूल में विषय पढ़ाना सरकार का काम है। सरकार ने ही यहां उर्दू विषय शुरू किया है। शिक्षक लगाया है। स्थानीय स्तर पर स्कूल प्रबंधन का काम सरकार के आदेशों की पालना करना है। जिसे उर्दू से एतराज है वो अपनी बात लिख कर दे दे। हम आपकी मांगों को उच्च स्तर पर भेज देंगे। 

ब्यावर खास के सरपंच हरचंद चौधरी ने कहा कि उर्दू विषय खुलने से स्कूल में धार्मिक शिक्षा दी जा रही है। इससे हमारे बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा। हमारी बस एक मांग कि इसे बंद किया जाए। सरपंच का आरोप है कि स्कूल में दो मुस्लिम अध्यापिकाएं धार्मिक गतिविधियों में लिप्त है। यहां नमाज पढ़ी जा रही है। इससे सनातन धर्म को मानने वाले बच्चों पर गलत असर पड़ रहा है। हालांकि स्कूल प्रबंधन ने स्कूल परिसर में नमाज पढ़ने के आरोपों को सिरे से नकार दिया है। 

इस दौरान ब्यावर सदर पुलिस थानाधिकारी सहित विकास अधिकारी जवाजा, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी जवाजा, जनप्रतिनिधि सहित स्कूल स्टाफ, अभिभावक व ग्रामीण मौजूद रहे। एसडीएम ने पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवाने का आश्वान दिया है। अभिभावकों ने नमाज पढ़ने वाली अध्यापिकाओं को हटाने तथा उर्दू विषय बंद नहीं होने तक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से साफ मना कर दिया है।

एसडीएमसी सदस्य एवं स्थानीय स्तर पर पत्रकारिता से जुड़े नन्दकिशोर जांगिड़ ने द मूकनायक को बताया कि अभिभावकों या विद्यार्थियों को उर्दू विषय से कोई एतराज नहीं है। असल में यहां बीच सत्र में उर्दू पढ़ाना शुरू कर दिया गया है। यह नियम विरुद्ध है।

जांगिड़ कहते हैं कि स्थानीय कस्बे विद्यार्थियों से किसी को कोई एतराज नहीं है। अभिभावक बाहरी बच्चों के बढ़ते नामांकन को लेकर चिंतित है। यह स्कूल के वातारण को दूषित कर रहे हैं। इससे पहले स्कूल में क्या हुआ किसी से छिपा नहीं। दोषी छात्र-छात्राओं की टीसी काटना पड़ा था। ब्यावर खास के सभी लोग स्कूल में स्वच्छ वातारण चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उर्दू के नाम पर धामिक गतिविधियां शुरू करने की शिकायत मिली है। अभिभावक इसकी जांच की मांग कर रहे हैं।

उर्दू हिन्दु-मुस्लिम नहीं, हिन्दुस्तान की जबान है

कौमी उर्दू शिक्षक कर्मचारी संघ राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सीमा भाटी ने द मूकनायक से कहा कि उर्दू विषय धर्म विशेष, हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई की जुबान नहीं है। यह केवल हिन्दुस्तान की जुबान है। ब्यावर ही नहीं देश व प्रदेश के सरकारी स्कूल में उर्दू के हवाले से तालीम दी जा रही है। तारीख गवाह है  कि कृष्णचंद, प्रेमचंद व गौरख ने भी उर्दू तालीम हासिल की थी। आप विद्वानों के बारे में पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि कितने हिन्दु विद्वानों ने उर्दू पढ़ी और मुस्लिमों ने संस्कृत की तालीम हासिल की है। 1947 में आजादी की जंग में उर्दू के योगदान को कोई छिपा नहीं सकता। 

डॉ. भाटी ने कहा, "मैं बहुत सुकून व इमानदारी से कह सकती हूं किसी भी स्कूल में मजहबी तौर पर उर्दू जुबान को नहीं पढ़ाया जाता है। जैसे हिन्दी, गणित, इंग्लिश पढ़ाया जाता है, इसी तरह उर्दू विषय को भी नहीं पढ़ाया जाता है। मैं दावे के साथ कह सकती हूं किसी भी स्कूल में उर्दू के साथ इस्लामिक शिक्षा को जोड़ के तालीम नहीं दी जाती है। यह केवल एक भाषायी विषय है। इसी आधार पर इसकी तालीम दी जाती है। चाहे ब्यावर हो या बीकानरे या फिर कोटा।"

उन्होंने बेबाकी से कहा कि," मैं हिन्दु हूं। मैंने उर्दू की तालीम हासिल की और अब बच्चों को पढ़ा रही हूं। उर्दू के लिए बहुत सारी लड़ाईयां भी लड़ रही हूं। स्कूलों में विषय के साथ इस्लाम से प्रभावित चीजें होती तो क्या कोई हमें उर्दू की तालीम देता? ऐसा कुछ नहीं है। यह हिन्दुस्तान की जुबान है। इस पर हर उस नागरिक का हक है जो इस विषय में तालीम हासिल करना चाहता है। इस दौर में इसका मैं सबसे बड़ा उदहारण हूं। इसलिए इस भाषा को ना तो मुस्लिम कौम से जोड़िए ना मजहब या किसी वर्ग विशेष से। यह बहुत खूबसूरत जुबान है। इसकी तरक्की के लिए जितना काम करें कम है।" डॉ. सीमा आगे कहती हैं कि "मैंने भी उर्दू में पीएचडी पूर्ण की है। बीकानेर में उर्दू अदब का इर्तिका (विकास) विषय पर पीएचडी है। अभी मैं बीकानेर के एक स्कूल में तृतीय श्रेणी शिक्षक के रूप में कार्यरत हूं।" डॉ. सीमा कहती है कि शिक्षा में धर्म को शामिल नहीं कर मासूम विद्यार्थियों को स्वच्छ शिक्षा हासिल करने दें।

इस पूरे मामले को लेकर द मूकनायक संवाददाता अब्दुल माहिर ने ब्यावर जिला शिक्षा अधिकारी मांगीलाल सोलंकी से बात की, लेकिन उन्होंने इस मसले पर बात करने से मना कर दिया। इसके बाद द मूकनायक ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्या कविता मौर्य से बात की। प्रधानाचार्या कविता मौर्य ने बताया कि "स्थानीय विद्यालय में 768 स्टूडेंट्स का नामांकन है। कक्षा 8 से 12वीं तक इस सत्र में 48 बच्चे उर्दू पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां उर्दू विषय बीच सत्र से शुरू हुआ है। अक्टूबर में ही इसका विषयाध्यापक लगाया गया है। यह सच है कि कुछ लोगों ने लगभग दौ सौ बच्चों के टीसी देने के लिए आवेदन किया है। इसे उच्च अधिकारियों को भेज दिया गया है। स्कूल परिसर में नमाज़ पढ़ने या अन्य धार्मिक गतिविधियों के आरोप निराधार है। मैंने कभी किसी शिक्षक को स्कूल परिसर में धार्मिक गतिविधि करते नहीं देखा है।"

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