जयपुर। गणतंत्र दिवस पर सरकारी स्कूल में सरस्वती देवी की पूजा से इनकार कर "बच्चों की देवी सावित्रीबाई फुले" बताने वाली दलित महिला शिक्षक हेमलता बैरवा की कानूनी एवं आर्थिक मदद के लिए सामाजिक संगठन आगे आ रहे हैं। अजाक (अनुसूचित जाति कर्मचारी अधिकारी संगठन) ने हेमलता बैरवा (प्रबोधक, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई, जिला बारां) को विधिक सहायता के लिए 50,000 रुपए की आर्थिक मदद की है। इधर, दलित महिला शिक्षक ने निलंबन की कार्रवाई को सक्षम न्यायालय में चुनौति दी है। न्यायालय ने शिक्षा विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
अजाक संगठन से जुड़ी रजनी बृजेश, कैलाश नारायण, डॉ. सतीश चंद एवं कोटा से इंजीनियर सुमेर सिंह ने (हेमलता बैरवा) को पचास हजार रुपए की राशि का चेक सौंपा। यह राशि हेमलता के सरकारी आदेश के खिलाफ कानूनी लड़ाई में काम आने वाली है।
अजाक के संरक्षक सेवानिवृत आईपीएस सत्यवीर सिंह ने द मूकनायक से कहा "हमारा संगठन कर्मचारी, अधिकारियों के संवैधानिक हक और प्रोटक्शन के लिए काम करता है। हेमलता मामले में संगठन ने लीगल मदद के लिए कहा था। हालांकि उन्होंने अपने स्तर पर वकील की व्यवस्था कर सरकार के निलंबन आदेश के खिलाफ न्यायिक लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है।"
उन्होने कहा "संगठन उनकी क्षतिपूर्ति के लिए जो आर्थिक मदद कर सकता है, वो करने का प्रयास किया है। ताकि कर्मचारी का मनोबल बना रहे। उसको आर्थिक संबल मिले। इससे लोगों को संगठनों से जुड़ कर एक जुटता की प्रेरणा भी मिलेगी। इनके अलावा पूजा बुनकर और मुकेश बुनकर भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वेषभावना से सरकारी प्रताड़ना का शिकार हुये हैं। उन्हे भी संगठन ने 15-15 हजार रुपए की मदद की है।"
हेमलता ने सरकारी शिक्षण संस्था में संविधान की पालना की बात की। इसके बावजूद सरकार ने उसी पर कार्रवाई की। इस पर पूर्व आईपीएस सत्यवीर सिंह ने कहा "बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में भारतीय संविधान बना, उसमें यह विचार रखा गया था कि धीरे-धीरे सभी लोग वैज्ञानिक दृष्टि अपना कर आगे बढ़ेंगे। व्यक्ति के स्वतंत्रता के अधिकारों की संविधान के तहत रक्षा की जाएगी।"
द मूकनायक ने हेमलता बैरवा से बात की। उन्होंने फिर दोहराया "मैंने क्या गलत किया? संविधान के तहत सरकारी शिक्षण संस्था में किसी भी धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती। न ही पूजा पाठ किया जा सकता है। गणतंत्र दिवस पर मुझ पर सरस्वती की पूजा का दबाव बनाया गया। संविधान का हवाला देकर मैंने पूजा से इनकार कर दिया। बच्चों की देवी सावित्रीबाई फुले को बताया।"
हेमलता ने सवाल करते हुए कहा "संविधान की बात करने वालों से इतना परहेज क्यों? मैंने संविधान की बात की तो, मुझ पर एक तरफा कार्रवाई की गई। प्रताड़ित करने के लिए निलंबित कर नियम विरुद्ध मुख्यालय, 600 किलोमीटर दूर बीकानेर किया गया। मैं दलित हूं इसलिए मुझ पर ही कार्रवाई की गई। इस घटना में दूसरे शिक्षक भी शामिल थे, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई?"
अजाक से मिली आर्थिक मदद पर उन्होंने कहा- "अजाक ने वैधानिक सहायता के लिए आर्थिक सहयोग किया है। मुझे चेक दिया गया है। इस राशि को अन्याय के खिलाफ कानूनी लड़ाई में काम लूंगी।" उन्होंने कहा "मुझे संविधान पर भरोसा है। सच्चाई की जीत होगी।" वो कहती है- " विभागीय आदेश के खिलाफ न्यायालय में अपील की है। बीते दिवस सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद न्यायालय ने राजस्थान शिक्षा विभाग को शोकॉज नोटिस जारी किया है।" उन्होंने कहा "स्थानीय पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।"
एफआईआर के बाद दबाव के सवाल पर कहा- "हां... कुछ लोगों ने गांव वालों के माध्यम से मुकदमा वापस लेने के लिए कहा है। यह भी कहा है कि मुकदमा वापस लेने पर उन्हें उसी स्कूल में पोस्टिंग दिला दी जाएगी।" वे कौन लोग है? पूछने पर उन्होंने कहा "में नहीं जानती। सीधे मुझ से बात नहीं हुई है।" उन्होंने कहा "मैं न्याय के लिए आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ूंगी। कानून पर मुझे भरोसा है। मुझे प्रताड़ित किया जा सकता है। पराजित नहीं कर सकते। हेमलता बैरवा ने अभी तक आदेश की पालना में निदेशालय शिक्षा विभाग बीकानेर जॉइन नहीं किया है।
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