जयपुर। कोचिंग संस्थानों की मनमानी व प्रतिस्पर्धा के युग में लगातार बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने नई गाइड लाइन जारी की है। राजस्थान की कोचिंग नगरी कोटा शहर की बात करें तो बीते वर्ष 2023 में अकेले शहर में दो दर्जन से अधिक विद्यार्थियों ने मौत को गले लगा लिया था। लोगों में सुगबुगाहट है कि सरकार की नई गाइड लाइन कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर अंकुश लगाने के साथ ही बढ़ते आत्महत्या के आंकड़ों में कमी लाने का काम करेगी?
केन्द्र सरकार ने 2024 में कोचिंग संस्थानों के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इन गाइडलाइंस के अनुसार, अब कोई भी कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के बच्चों को दाखिला नहीं दे पाएगा। इससे पहले तक कोचिंग संस्थान 12वीं कक्षा से पहले भी कम उम्र के बच्चों को दाखिला दे सकते थे। नई गाइड लाइन की पालना कराने में सरकारी सिस्टम कामयाब रहा तो अब कोचिंग संस्थान किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी नहीं दे सकेंगे। अपने संस्थान में छात्रों की रैंक या अच्छे अंक की गारंटी देना गाइडलाइन के दिशानिर्देशों का उल्लंघन माना जाएगा। भ्रामक जानकारी देने वाले संस्थानों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
सरकार का मानना है कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोचिंग हानिकारक हो सकती है। प्रतिस्पर्धा के चलते बच्चे मानसिक दबाव के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं। सरकार ने यह भी माना है कि 16 साल से कम उम्र के बच्चे कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई के लिए पर्याप्त रूप से तैयार नहीं होते हैं। इन दिशानिर्देशों का मुख्य कारण कोचिंग में बच्चों के आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकना है। पिछले कुछ वर्षों में, कोटा जैसे शहरों में कई बच्चों ने आत्महत्या कर ली है। इनमें से कई मामलों में, आत्महत्या का कारण कोचिंग में पढ़ाई का दबाव बताया गया है।
नई गाइडलाइन के तहत कोचिंग संस्थानों को छात्रों को फीस की रसीद देना होगा। साथ ही अलग-अलग कोर्स का उल्लेख करते हुए एक प्रॉस्पेक्ट्स जारी करना होगा। प्रॉस्पेक्ट्स और नोट्स भी विद्यार्थियों को बिना शुल्क के देने होंगे। यदि विद्यार्थी ने पाठ्यक्रम के लिए पूरी फीस जमा कर दी है और बीच में ही कोचिंग छोड़ रहा है, तो बची हुई फीस 10 दिन के भीतर वापस करनी होगी।
कोचिंग संस्थानों को नए दिशानिर्देशों की पालना करना जरुरी होगी। इनमें मुख्य रूप से कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के बच्चों को एडमिशन नहीं दे सकेंगे। किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी नहीं दिया जाएगा। अच्छे नंबर या रैंक दिलाने की गारंटी नहीं दिया जा सकता, कोचिंग संस्थान ग्रेजुएट से कम योग्यता वाले शिक्षकों को नियुक्त नहीं करेगा. कोचिंग संस्थान किसी भी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त नहीं करेगा जो नैतिक कदाचार से जुड़े किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो। कोचिंग संस्थान के पास एक परामर्श प्रणाली होना। कोचिंग संस्थान की वेबसाइट पर शिक्षकों की योग्यता, पाठ्यक्रम/पाठ्य सामग्री, पूरा होने की अवधि, छात्रावास सुविधाएं और लिए जाने वाले शुल्क का अद्यतन विवरण होना।
इसी तरह संस्थान को टेस्ट से पहले स्टूडेंट्स को उस टेस्ट के डिफिकल्टी लेवल के बारे में बताना होगा। छात्रों को अन्य करियर ऑप्शन्स के बारे में भी बताया जाए। मेंटल हेल्थ को लेकर समय-समय पर वर्कशॉप का आयोजन करना होगा। दिव्यांग स्टूडेंट्स को सपोर्ट करने के लिए कोचिंग उन्हें उनके मुताबिक सुविधाएं प्रदान करेगा।
सरकार के नए दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए, सभी कोचिंग संस्थानों को 3 महीने के भीतर पंजीयन कराना होगा। माता-पिता/छात्रों को कोचिंग सेंटर में दाखिला दिलाने के लिए भ्रामक वादे या रैंक या अच्छे अंक की गारंटी नहीं दे सकते। कोचिंग की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कोचिंग सेंटर किसी भी प्रकार का भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेंगे. संस्थान में पर्याप्त सीटों के अतिरिक्त नामांकन करने पर पंजीयन रद्ध किया जा सकता है।
केंद्र सरकार द्वारा कोचिंग संस्थानों के लिए जारी की गाइड लाइन का उलंघन करने पर संस्थान पर जुर्माना लगाने का प्रावधान भी शामिल किया गया है। पहली बार उलंघन करने पर कोचिंग संस्थान पर 25000 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। कोचिंग गाइडलाइन के उलंघन के लिए लगने वाले जुर्माने की राशि एक लाख रुपये तक भी हो सकती है। जुर्माने के अलावा, कोचिंग संस्थान का पंजीकरण भी रद्द किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने कोचिंग सेंटरों के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इन गाइडलाइंस का मकसद कोचिंग सेंटरों की मनमानी को रोकना और छात्रों के हितों की रक्षा करना है। शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के उप सचिव देवेन्द्र कुमार शर्मा द्वारा जारी रिपोर्ट को आगे बढ़ाते हुए पत्र में कहा गया है कि सभी कोचिंग सेंटरों को इन दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए तीन महीने का समय दिया जाएगा। पत्र में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकारों को इन दिशानिर्देशों को प्रसारित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
साल 2023 में भारत में कोचिंग सेंटरों में आत्महत्याओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में कोचिंग सेंटरों में आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या 2022 की तुलना में लगभग 50% अधिक थी। इसकी कई वजहें हो सकती हैं। एक वजह यह है कि कोचिंग सेंटरों में छात्र बहुत अधिक दबाव में रहते हैं। उन्हें परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस वजह से वे तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं।
दूसरी वजह यह है कि माता-पिता के बढ़ते दबाव भी एक कारण हो सकते हैं। माता-पिता अपने बच्चों से बहुत अधिक उम्मीदें रखते हैं और उन पर बहुत अधिक दबाव डालते हैं। इस वजह से बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं और आत्महत्या का खतरनाक कदम उठा सकते हैं।
कोचिंग संस्थान को निर्देश दिया गया है कि, छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें, छात्रों के साथ नियमित रूप से व्यक्तिगत बातचीत करें, छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान करें और छात्रों को तनाव और डिप्रेशन से निपटने के लिए कौशल सिखाएं।
अपने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक रहें। अपने बच्चों के साथ बातचीत करें और उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करें। अपने बच्चों को तनाव और डिप्रेशन से निपटने के लिए स्किल सिखाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोटा कोचिंग संस्थानों पर रोक लगाने के लिए साफ इनकार करते हुए कहा था कि राजस्थान के कोटा में छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं के लिए कोचिंग संस्थानों को दोषी ठहराना उचित नहीं है, क्योंकि माता-पिता की उम्मीदें भी बच्चों को जीवन लीला समाप्त करने के लिए विवष कर रही हैं। कोर्ट ने कहा कि बच्चे माँ-बाप की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं, इसलिए वह आत्महत्याएं कर रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों के बीच कड़ी प्रतिस्पदृर्धा और उनके अभिभावकों का दबाव आत्महत्या के बढ़ते मामलों की वजह है।
केन्द्र सरकार की कोचिंग संस्थानों के लिए जारी किए गए नए दिशा निर्देशों का समाज सेवी एवं उपभोक्ता मामलों के जानकार एडवोकेट हरीप्रसाद ने कहा कि सरकार द्वारा कोचिंग सेंटर के लिये जो गाइड लाईन बनाई गई है, बेहद ही सराहनीय है। अभिभावकों के हित में है, लेकिन इसके साथ ही एडवोकेट योगी ने सरकार को सलाह देते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में भी शैक्षणिक व्यवस्था में गुणवत्ता का स्तर बढ़ाना चाहिये जिससे कि अभिभावकों पर कोचिंग और ट्यूशन के लिये दबाव नहीं हो। उन्होंने कहा कि, देखा गया है कि कई शिक्षण संस्थानों में प्रेक्टिकल में नंबर नहीं देने और स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता नहीं होने के कारण अभिभावकों को मजबूरी वश कोचिंग एवं ट्यूशन के लिये बच्चों को भेजना पड़ता है। जहां बच्चों में भारी मानसिक दबाव होता है.
एडवोकेट अब्दुल हसीब का कहना है कि प्रारंभिक शिक्षा से ही अभिभावकों व बच्चों में कोचिंग या ट्यूशन से ही सफलता की बात दिमाग में घर कर गई है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिस्पर्धा का का दौर है। हर कोई अपने नौनिहालों को काबिल इंसान बनाना चाहता है, लेकिन काबिलियत की होड़ में अभिभावक अपने नौनिहालों को इंसान की जगह मशीनरी बनाने पर तुले हैं। अभिभावकों को समझाना होगा कि इंसानियत के साथ ली गई शिक्षा ही किसी को काबिल बना सकती है। सरकार के साथ ही अभिभावकों को इस पर जोर देना होगा। प्रारंभिक स्तर से ही स्कूलों में शिक्षा को लेकर गुणवत्ता परख सुधार होगा तो कोचिंग संस्थान की परंपरा से छुटकारा मिल सकता है।
कोटा शहर में कोचिंग संस्था संचालक दिनेश जैन ने द मूकनायक से कहा कि केन्द्र सरकार के दिशा निर्देशों को सिक्के के दोनों पहलुओं के तौर पर देखने की जरुरत है। 16 साल से कम उम्र के बच्चों को काचिंग संस्थान में दाखिला नहीं देंगे। यह एक पहलु है। दूसरा पहलु यह भी देखना होगा कि प्रारंभिक स्तर पर कोचिंग संस्थान में बच्चों को विशेषज्ञ शिक्षकों से मार्गदशर्न मिलता है, वे इससे वंचित रह जाएंगे। आगे चल कर इसके दूर्गामी परिणाम ठीक नहीं हो सकते। देश को जो टेलेंट चाहिए वो तैयार नहीं हो पाएगा।
जैन ने फीस वापस लौटाने के दिशा निर्देशें पर कहा कि, हो सकता है शुरुआत में बच्चे को विषय समझने में कठिनाई हो और वह संस्थान छोड़ दें। इसमें संस्थान की क्या गलती है। उन्होंने उदहारण देकर कहा कि आप थियेटर में फिल्म देखने जाए। शुरुआत में आपकों फिल्म समझ नहीं आई तो आप टिकट का पैसा किससे वापस लेंगे। कोचिंग संस्थान में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों पर राशि खर्च की जाती है। अन्य व्यवस्थाएं भी होती हैं। ऐसे तो यह सभी संस्थान ही बंद हो जाएंगे।
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