राजस्थान: फातिमा शेख अवार्ड पा गदगद हुई छात्राएं, उच्च शिक्षा प्राप्त करने का लिया संकल्प

फाउंडेशन के मीडिया प्रभारी मोइन खान ने बताया कि "फातिमा शेख" जयंती के अवसर पर जिला मुख्यालय स्थित खेरदा राजकीय विद्यालय की छात्राओं के बीच प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई।
राजस्थान: फातिमा शेख अवार्ड पा गदगद हुई छात्राएं, उच्च शिक्षा प्राप्त करने का लिया संकल्प
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जयपुर: प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षक फातिमा शेख की जन्मजयंती पर देश भर में विविध कार्यक्रम आयोजित हुए। राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में मंगलवार को वतन फाउंडेशन "हमारा पैगाम भाईचारे के नाम" के तत्वावधान में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने में फूले दंपति का साथ देने वाली महान समाजसेविका फातिमा शेख के जन्मदिन के अवसर पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई। विद्यार्थियों को फातिमा शेख के जीवन व महिला शिक्षा को बढ़ावा देने में किए गए संघर्षों के बारे में बताया गया।

फाउंडेशन के मीडिया प्रभारी मोइन खान ने बताया कि "फातिमा शेख" जयंती के अवसर पर जिला मुख्यालय स्थित खेरदा राजकीय विद्यालय की छात्राओं के बीच प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई। विजेता छात्रों को "फातिमा अवार्ड" से सम्मानित किया गया तथा उपस्थित लोगों द्वारा फातिमा शेख को श्रद्धांजलि प्रस्तुत की गई।

इस अवसर पर वतन फाउंडेशन की ओर से चलाए जा रहे मिशन 'दर्द का एहसास' के तहत विद्यालय के बच्चों को गर्म कपड़े, टोपे व जरूरतमंदों को कंबल का भी वितरण किया गया। कार्यक्रम में अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम बैरवा, सहायक प्रशासनिक अधिकारी शाकिर अली अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

वतन फाउंडेशन की महिला विंग की अध्यक्ष सुनीता मधुकर ने कहा कि फाउंडेशन एक अलग प्रकार से देश के महापुरुषों को श्रद्धांजलि प्रस्तुत करता है और इस कड़ी में महान आत्मा एवं देश की प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख की जयंती पर उनको याद किया है।

अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम बैरवा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि समाज में नारी शिक्षा की क्रांतिज्योति ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, उस्मान शेख और बहन फातिमा शेख ने मिलकर जलाई।

रोमा नाज ने कहा कि फातिमा शेख ने देश का पहला बालिका स्कूल शुरू करने में अहम भूमिका निभाई। नतीजतन 1848 में महिलाओं के लिए देश का पहला स्कूल खोला गया। फातिमा शेख ने 1856 तक सावित्रीबाई के साथ पढ़ाना जारी रखा। अपना पूरा जीवन समाज सुधार में व्यतीत किया।

फाउंडेशन के हुसैन आर्मी ने कहा कि फातिमा शेख वह महिला थीं, जिन्होंने सावित्रीबाई फूले के साथ भारतीय शिक्षा को नया स्वरूप दिया और पुनर्जीवित किया। आज 9 जनवरी को उनकी जयंती है। फातिमा शेख, ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले का सहयोग, मिलन और समन्वय भारतीय सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक था।

विद्यालय के संस्था प्रधान कैलाश सिसोदिया ने बताया कि हमारे इतिहास ने फातिमा शेख के साथ न्याय नहीं किया। शिक्षक और समाज सुधारक के बारे में बहुत कम जानकारी है और उनकी जन्मतिथि पर भी बहस होती है।

हालांकि, फातिमा शेख जो सावित्रीबाई फुले और ज्योतिराव फुले के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी थीं। उन्होंने जीवन भर रूढ़िवादी रीति-रिवाजों के खिलाफ संघर्ष किया। उसने फूले के भिडेवाड़ा स्कूल में लड़कियों को पढ़ाने का काम किया, घर-घर जाकर परिवारों को अपनी लड़कियों को स्कूल भेजने और स्कूलों के मामलों के प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर सुनीता गोमे, मंजू गंगवाल, सुनीता मधुकर, नरेंद्र शर्मा, सलीम खान व अली हुसैन सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे।

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