राजस्थान: कोचिंग नगरी कोटा में नए साल का पहला सुसाइड, सरकारी दिशानिर्देश कितने कारगर?

छात्रों के सुसाइड मामलों को रोकने के लिए बनाए गए सरकारी दिशानिर्देश नहीं हो रहे कारगर, नए साल के पहले माह में ही सामने आया साल का पहला मामला। नीट की तैयारी कर रहे छात्र ने किया सुसाइड।
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सांकेतिक फोटोफोटो साभार- इंटरनेट
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जयपुर। कोचिंग नगरी कोटा छात्रों के लिए सुसाइड हब बनता जा रहा है। एक ही शहर में औसत प्रतिमाह एक छात्र की मौत चिंताजनक है। बीते वर्ष 2023 में कोटा शहर में 26 छात्रों में सुसाइड किया। वहीं वर्ष 2024 के पहले महीने में फिर एक छात्र ने सुसाइड कर छात्रों की मौत रोकने के दावों के साथ काम कर रहे सरकारी सिस्टम की तैयारियो की पाल खोल कर रख दी है।

यह बात अलग है कि प्रतियोगी परीक्षा के दौरान कोचिंग संस्थानों में बढ़ते सुसाइड मामलों को रोकने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार समय-समय अपने-अपने स्तर पर दिशा निर्देश जारी करते रहे हैं। गाइडलाइन की पालना सुनिश्चित करने से संबंधित कोचिंग संस्थान व स्थानीय प्रशासन को सख्त निर्देश दिए गए, लेकिन यहां सरकारी निर्देशों की कितनी पालना हो रही है, यह लगातार बढ़ती सुसाइड की घटनाएं बता रही है।

हाल ही में केन्द्र सरकार ने कोचिंग संस्थानों में सुसाइड रोकन के मकसद से नई गाइड लाइन जारी की है। दिशा निर्देशों में 16 साल से कम उम्र के विद्यार्थी को कोचिंग संस्थान में नहीं लेने के कड़ाई से निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा दर्जनों निर्देश भी शामिल है। जिनकी पालना सुनिश्चित करने के लिए संबंधित कोचिंग संस्थान व प्रशासन को पाबंद किया गया है।

इससे पूर्व राजस्थान सरकार ने भी कोचिंग संस्थानों में बढ़ते सुसाइड मामलों को गंभीरता से लेते हुए एक कमेटी गठित कर सुसाइड के कारण व इसे रोकने के उपायों पर रिपोर्ट मांगी थी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने गाइड लाइन में बदलाव कर 8वीं क्लास से पहले कोचिंग इंस्टिट्यूट में एडमिशन लेने पर रोक लगा दी थी। 

इसके अलावा स्टूडेंट के कोचिंग छोड़ने पर उन्हें आसानी से एग्जिट और रिफंड देने, वीकली और मंथली टेस्ट में आई रैंक के हिसाब से स्टूडेंट्स को बैच अलॉट नहीं करने, वीकली टेस्ट के रिजल्ट पब्लिकली डिस्प्ले नहीं करने, विशेष कर कम स्कोर वीकली टेस्ट के रिजल्ट पब्लिकली डिस्प्ले नहीं करने, कम स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स की काउंसलिंग करने, स्टूडेंट के टेस्ट संडे को नहीं लेने तथा हफ्ते में करीब डेढ़ दिन का वीकली ऑफ देने, टीचर्स, इंस्टिट्यूट मैनेजर्स, स्टाफ मेंबर्स, हॉस्टल ओर हॉस्टल के वार्डन को गेटकीपिंग ट्रेनिंग यानी स्टूडेंट में सुसाइड या डिप्रेशन के लक्षण को पहचानने की ट्रेनिंग देने, कोचिंग में प्रवेश के 45 दिन, 90 दिन व  120 में काउंसलिंग करने तथा कोचिंग इंस्टीट्यूट द्वारा टॉपर्स को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की पाबंदी के साथ दिशा निर्देश जारी किए थे, लेकिन राज्य सरकार के दिशा निर्देशों की ठीक से पालना नहीं हो सकी। यही वजह है कि कोटा शहर में कोचिंग छात्र अवसाद में आकर या सहपाठियों से पिछड़ने व मां-बाप की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरने के कारण ही कैरियर की जगह मौत को चुन रहे हैं।

नए साल का पहला सुसाइड

नए वर्ष 2024 में कोटा में नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट ने सुसाइड किया है। छात्र की मौत के बाद परिजनों के आने पर पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया। हालांकि, पुलिस मौत के कारणों तक अभी नहीं पहुंची है। घटना बीते मंगलवार रात की है। जवाहर नगर थाना क्षेत्र के न्यू राजीव गांधी नगर इलाके में रह रहे उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद निवासी मोहमद जैद (19) हॉस्टल में ही फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जैद नीट के दूसरे अटेंप्ट की तैयारी कर रहा था। इससे पहले एक बार विफल हो चुका था। मंगलवार सुबह से लेकर रात तक वो अपने कमरे से बाहर नहीं निकला। शक होने पर हॉस्टल में रहने वाले अन्य स्टूडेंटस ने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा नहीं खुलने पर हॉस्टल संचालक को सूचित कर मौके पर बुलाया गया।

मौके पर पहुंचे हॉस्टल संचालक ने रात 10 बजे पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने कमरे का दरवाजा तोड़ा तो जैद छत के पंखे पर रस्सी से फंदा लगाकर लटक रहा था। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार हॉस्टल में रहने वाले अन्य छात्रों ने बताया कि मोहमद जैद अक्सर रात को पढ़ाई करता था और दिन में सोता रहता था। मृतक छात्र के चेहरे से कभी उदासी या अवसाद नहीं झलकता था। वह रात को अनुपम नाम के एक दोस्त के साथ खाना खाया था। इसके बाद बाहर टहलने भी गया था। रात को सोने के बाद मंगलवार सुबह उससे किसी की बात नहीं हुई।

जुनैद शाम के वक्त अक्सर रूम से बाहर आ जाता था, लेकिन मंगलवार शाम तक रूम से बाहर नहीं निकला। साथी छात्रों ने गेट खटखटाया। गेट नहीं खुला, तब हॉस्टल संचालक को बताया। जानकारी के अनुसार जुनैद बीते कई दिनों से नियमित कोचिंग नहीं जा पा रहा था। बीच में डेगू होने से भी पढ़ाई प्रभावित हुई थी। इन दिनों स्कोर भी ठीक नहीं था। यह बात उसने घर वालों को भी बताई थी।

गत वर्ष 26 छात्रों ने कैरियर की जगह मौत को चुना

बीते वर्ष 2023 में कोटा में कोचिंग नगरी कोटा में कैरिअर चुनने आए छात्रों में से 26 छात्रों ने मौत को चुना था। यहां एक साल में 26 छात्रों ने सुसाइड किया था। लगातार बढ़ते छात्र सुसाइड का मामला विधानसभा में भी उठा था। इसके बाद राज्य सरकार ने कोचिंग व हॉस्टल संचालकों के लिए अलग-अलग गाइडलाइन जारी की थी। एक एक्सपर्ट कमेटी भी गठित की गई थी। इसके बावजूद सरकारी प्रयासों का असर नहीं दिखाई देर हा है।

क्या सोचते हैं अभिभावक?

सवाईमाधोपुर जिले के खण्डार निवासी श्रीकांत के बच्चे भी कोटा में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। श्रीकांत कहते हैं कि कम उम्र में बच्चों पर आप कैरियर चुनने की जिम्मेदारी दे रहे हो। प्रतिस्पर्धा के युग में दौड़ती भीड़ के बीच जब मासूम बालक पिछड़ता है तो हताश होना स्वभाविक है। यहां उसे हौसले की जरुरत होती है, लेकिन जब पीछे मुड़ कर देखता है तो तन्हा रहता है। उपर से कानो में कौंधते अभिभावकों के वो शब्द कि फेल हुआ तो शक्ल मत दिखाना, छात्र का हौसला तोड़ देते हैं।

श्रीकांत कहते हैं कि उन्होंने बच्चों के साथ उनकी मां को रखा है। वह खुद हर सप्ताह जाकर बच्चों को संभालते हैं। अपने स्तर पर काउंसलिंग कर हौसला देते हैं। कभी भी उन्हें उनके हाल पर नहीं छोड़ा। अन्य अभिभावक भी प्रतिस्पधा के युग में अपने नौनिहालों को अकेला नहीं छोड़े। उन्हें हौंसला दें। सरकार गाइडलाइन जारी करने के बाद उसकी क्रियान्विति को फॉलो नहीं करती है। सही से पालना हो तो सुसाइड के मामलों में गिरावट हो सकती है।

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