भोपाल- मध्य प्रदेश में आयुर्वेदिक महाविद्यालय के छात्र अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर चले गए हैं। प्रदेश के समस्त आयुर्वेदिक कॉलेज के स्नातकोत्तर-स्नातक छात्र, गृह चिकित्सक और इंटर्न अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले चार दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे पर शनिवार को छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। छात्र लंबे समय से स्टायपेंड बढ़ाने, समय पर परीक्षाएं कराने, नए पद सृजित करने और अन्य राज्यों की तरह मेडिकल लीव देने की मांग कर रहे हैं।
अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के सभी आयुष महाविद्यालयों में छात्र 22 सितंबर से शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन मांगों को लेकर कोई आश्वासन नहीं मिला तब, 25 सितंबर से ये सभी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए। इसके बावजूद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद छात्र कॉलेज परिसर में ही भूखहड़ताल पर बैठ गए।
राजधानी के पंडित खुशीलाल आयुर्वेद महाविद्यालय में बड़ी संख्या में छात्र धरने पर बैठे हुए हैं। जिम्मेदारों की ओर से इस और ध्यान नहीं दिया जाने से खफा छात्रों ने भूख हड़ताल का रास्ता चुना है। छात्रों का कहना है कि जब तक उनको लिखित आश्वासन नहीं मिलता है तब तक वे हड़ताल जारी रखेंगे। हड़ताल में आयुर्वेदिक छात्रों के साथ ही होम्योपैथी छात्र भी शामिल हैं। छात्र अपने चार सूत्रीय मांगें पूरी करवाने के लिए धरने और प्रदर्शन कर रहे हैं।
छात्रों ने आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि रिजल्ट से लेकर कोर्स में काफी वक्त लग रहा है। समय पर एग्जाम नहीं हो रहे हैं । यूजी की साढ़े चार की डिग्री परीक्षा नहीं होने से सात साल में पूरी हो पा रही है। छात्रों का महत्वपूर्ण समय खराब हो रहा है। छात्रों ने कहा कि जब उनकी मांगों को नहीं मान लिया जाता तब तक वह आंदोलन जारी रखेंगे।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए भोपाल खुशीलाल होम्योपैथी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एसके मिश्रा ने कहा कि छात्रों की मांगों के संबंध में हमने आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय और शासन को अवगत करा दिया है। छात्रों की मांगों के संबंध में सरकार द्वारा ही कार्रवाई की जानी है। इस संबंध में द मूकनायक ने जबलपुर आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अशोक खंडेलवाल को फोन किया पर उनसे बात नहीं हो पाई।
1. मध्य प्रदेश के आयुर्वेद के प्रशिक्षु गृह चिकित्सकों तथा स्नातकोत्तर अध्येताओं को दिए जाने वाले स्टायपेंड को समय अनुसार संशोधित न किए जाने के कारण विसंगति उत्पन्न हो रही है। अत: भारतीय केंद्रीय चिकित्सा परिषद (NCISM) के नियमानुसार आयुर्वेद अध्येताओं की शिष्यवृत्ति/मानदेय में वृद्धि कर राज्य के अन्य विभागों की तरह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) से जोड़ें तथा शिष्यावृत्ति में प्रतिवर्ष वृद्धि, वर्ष को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर करें।
2. मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा स्नातक एवं स्नातकोत्तर अध्येताओं की परीक्षा एवं शैक्षणिक गतिविधियों को विश्वविद्यालय द्वारा अकादमिक कैलेंडर अनुसार पूर्ण किया जाए। सत्र 2018-19 एवं 2019-20 की विलंब से चल रही शैक्षणिक गतिविधियां समय से पूर्ण कराई जाए।
3. मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत लोकसेवा आयोग द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी हेतु प्रतिवर्ष नवीन पदों को प्रतिवर्ष उपाधि प्राप्त करने वाले स्नातक एवं स्नातकोत्तर अध्येताओं के सम्मिलित अनुपात में नवीन पदों को सृजित किया जाए एवं मध्य प्रदेश शासन के विभिन्न निकाय (नगर निगम, पुलिस विभाग, वन विभाग, जेल विभाग इत्यादि) में प्रतिवर्ष नियमित भर्ती हेतु विज्ञप्ति जारी कर परीक्षा आयोजित कराई जाए।
4. प्रदेश के आयुर्वेद स्नातकोत्तर अध्येताओं को अन्य राज्यों की तरह चिकित्सकीय अवकाश (ML) प्रदान की जाए।
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