कक्षा 10वीं की किताबों में NCERT ने किया बड़ा बदलाव, अब नहीं पढ़ना होगा पीरियोडिक टेबल

कक्षा 10वीं की किताबों में NCERT ने किया बड़ा बदलाव, अब नहीं पढ़ना होगा पीरियोडिक टेबल
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नई शिक्षा नीति 2020 को स्कूल एजुकेशन में लागू करना शुरू हो चुका है। NCERT ने 10वीं के सिलेबस और किताबों से कई टॉपिक्स कम कर दिए हैं। इससे स्टूडेंट्स पर से पढ़ाई का दबाव कम होने का तर्क दिया जा रहा है। इससे पहले कोविड 19 के दौरान ऑनलाइन एजुकेशन की वजह से भी सिलेबस कम किया गया था।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 10वीं कक्षा का नया सिलेबस जारी किया हैं। इसमें कई महत्वपूर्ण चैप्टर्स को हटाने की जानकारी सामने आई है। NCERT ने अलग-अलग विषयों से एक-दो चैप्टर हटाए हैं। उम्मीद की जा रही है कि पॉलीटिकल पीरियोडिक चैप्टर को हटाने से कक्षा 10वीं के छात्रों पर से पढ़ाई का बोझ कम हो जाएगा।

केमिस्ट्री और सिविक्स में बड़ा बदलाव

NCERT ने कक्षा 10वीं की अपनी किताबों से तत्वों, लोकतंत्र, राजनीतिक दलों (पूरा पेज) और लोकतंत्र की चुनौतियों के आवधिक वर्गीकरण के पूरे अध्याय हटा दिए हैं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने केमिस्ट्री की किताबों से पीरियोडिक टेबल को भी हटा दिया है।

पीरियोडिक टेबल कितना अहम?

भारत में कक्षा 10 अंतिम वर्ष है जिसमें विज्ञान अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। लेकिन अब केवल वे छात्र जो 11वीं व 12वीं में शिक्षा के अंतिम दो वर्षों में रसायन विज्ञान का अध्ययन करने का चुनाव करते हैं, वे ही आवर्त सारणी के बारे में जान पाएंगे।

आवर्त सारणी यानी पीरियोडिक टेबल के बारे में इंडियन एक्सप्रेस ने अमेरिकन रसायनशास्त्री ग्लेन टी सीबॉर्ग के एक बयान का जिक्र किया है। इसमें वह कहते हैं, 'आवर्त सारणी तर्कसंगत रूप से रसायन शास्त्र में सिद्धांत और अभ्यास दोनों में सबसे महत्वपूर्ण अवधारणा है... आवर्त सारणी को जानना किसी भी व्यक्ति के लिए ज़रूरी है जो दुनिया की संरचना को समझना चाहता है और देखें कि यह रसायन शास्त्र, रासायनिक तत्व के मौलिक बिल्डिंग ब्लॉक से कैसे बना है।' मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कैलिफोर्निया में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक विज्ञान-शिक्षा शोधकर्ता जोनाथन ओसबोर्न ने वैज्ञानिक पत्रिका नेचर को बताया है कि आवर्त सारणी रसायनज्ञों की सबसे बड़ी बौद्धिक उपलब्धियों में से एक है क्योंकि यह बताती है कि जीवन के निर्माण खंड कैसे अलग-अलग गुणों वाले पदार्थों को उत्पन्न करने के लिए आपस में घुलते-मिलते हैं।

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नई शिक्षा नीति 2020 से होगा फायदा

भारतीय शिक्षा व्यवस्था में नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया जा रहा है। अब स्किल बेस्ड एजुकेशन पर फोकस बढ़ा दिया गया है। स्टूडेंट्स को भविष्य में काम करने और अपनी स्किल्स को समझने के लिए स्कूल से ही तैयार किया जा रहा है। भविष्य के लिए नई शिक्षा नीति और नए एजुकेशन सिस्टम को बेहतर बताया जा रहा है।

दो दिन पहले 12वीं से हटाई गई थीं खालिस्तान से जुड़ी लाइनें

दो दिन पहले मंगलवा को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा 12वीं की पॉलिटिकल साइंस टेक्स्ट बुक्स से खालिस्तान से जुड़ी लाइनें हटाने का फैसला लिया। यह निर्णय आज विशेषज्ञ समिति की बैठक में लिया गया।

स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने बताया कि कक्षा 12वीं पॉलिटिकल साइंस के पंजाब के चैप्टर में दो-तीन जगह ऐसी लाइन थीं, जिसके सन्दर्भ में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) द्वारा NCERT के सचिव को एक पत्र लिखकर इन्हें हटाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि आनंदपुर साहिब के बारे में गलत जानकारी दर्ज की गई है, इन पर NCERT विचार करें। साथ ही NCERT की किताबों से उस बात का भी हटाया जाए, जिसमें सिखों को अलगाववादियों के तौर पर बताया गया है।

इसके पहले महात्मा गाँधी की हत्या और स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के संदर्भों को कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान से हटा दिया गया था। इसको लेकर NCERT की खूब आलोचना हुई थी। इसके अलावा, परिषद ने पाठ्यपुस्तकों से मुगल इतिहास को भी छोटा कर दिया है।

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चैप्टर के हटाने के सिलसिले में द मूकनायक ने प्रोफेसर हरीश वानखेड़े से बात की। प्रोफेसर हरीश वानखेड़े दिल्ली के जेएनयू में पॉलिटिकल विषय के प्रोफेसर हैं। वह बताते हैं कि "चैप्टर हटाना और फिर नए चैप्टर विषयों में लाना, यह सब शिक्षा नीति के अंतर्गत आता है। यह एक शिक्षा का हिस्सा है। हर 5 से 10 सालों में शिक्षा में परिवर्तन किए जाते हैं। कुछ चैप्टर हटाए जाते हैं और कुछ नए लाए जाते हैं। यह करना जरूरी भी होता है। परंतु अभी जो कंट्रोवर्सी (विवादित) हो रही है, वह इस बात पर है कि जो चैप्टर शिक्षा की बुनियाद है। उन चैप्टर को क्यों हटाया जा रहा है।"

आगे प्रोफेसर कहते हैं कि "अगर आप जरूरी चैप्टर ही हटा देंगे। जिनसे हमारे बच्चों को जरूरी जानकारी मिलती है। तो वह एक अच्छी शिक्षा कहां से पाएंगे, और आखिर हम उन्हें क्या पढ़ाएंगे। देखिए कहीं ना कहीं एक राजनीतिक पार्टी भी इसका एक कारण हो सकती है। क्योंकि जो पार्टी सत्ता में होगी उनके पक्ष में ही शिक्षा में बदलाव भी होंगे, और जब से पार्टी सत्ता में आई है तो कुछ बदलाव हुए हैं। जैसे कि अभी मुगलों से संबंधित चैप्टर भी हटाए गए हैं, तो इतिहास के चैप्टर तो हटाए ही जा रहे हैं। चाहे वह पहले समय की बात हो या अभी के समय की बात। जो सरकार सत्ता में रहती है उन्हीं की सलाह पर इतिहास को पढ़ाया जाता है।"

"जैसा कि अब विश्वविद्यालयों में सावरकर को पढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। तो यह विचारों की लड़ाई है। और जो एनसीआरटी ने तर्क दिया है कि कोरोना की वजह से बोझ कम करने के लिए चैप्टर हटाए गए हैं तो ऐसा कुछ नहीं है, यह सब राजनीतिक विचारों की लड़ाई है और कुछ नहीं।"

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