संबल योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों के दो लाख बच्चों को एग्जाम फीस में छूट देना भूला एमपी बोर्ड!

इस वर्ष जब विद्यार्थियों ने आवेदन पत्र भरे, तो परीक्षा शुल्क में छूट का विकल्प शामिल नहीं था। कई अभिभावकों और स्कूलों ने माशिमं के इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं।
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भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के श्रमिक वर्ग के बच्चों को शिक्षित करने और आर्थिक बोझ कम करने के उद्देश्य से संबल योजना के तहत 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में शुल्क माफी का ऐलान किया था। इस योजना से करीब दो लाख विद्यार्थियों को लाभ मिलना था, परंतु माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) ने आवेदन प्रक्रिया में इस छूट का विकल्प समय पर नहीं दिया। इसके चलते श्रमिक वर्ग के विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा के लिए पूरा शुल्क भरना पड़ा, जिससे उन पर करीब 25 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ा है।

संबल योजना के तहत पंजीकृत श्रमिक परिवारों के बच्चों के लिए माशिमं ने बोर्ड परीक्षा शुल्क माफी का प्रावधान किया था। आवेदन प्रक्रिया 1 जुलाई से शुरू हुई थी, जिसमें सामान्य शुल्क के साथ आवेदन की अंतिम तिथि 30 सितंबर थी। जबकि विलंब शुल्क 100 रुपये के साथ आवेदन करने की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर निर्धारित की गई थी। योजना के तहत पंजीकृत विद्यार्थियों को इस दौरान शुल्क में छूट मिलनी चाहिए थी, लेकिन आवेदन प्रक्रिया में माशिमं द्वारा कोई छूट का विकल्प नहीं दिया गया। इस कारण कई श्रमिक परिवार के बच्चों को शुल्क जमा करना पड़ा, जो कि उनके आर्थिक स्थिति के अनुसार एक बड़ा बोझ साबित हुआ।

इस योजना के तहत दो लाख से अधिक विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा शुल्क माफी का लाभ दिया जाना था। प्रति विद्यार्थी 1250 रुपये का शुल्क निर्धारित है, जिससे इन सभी विद्यार्थियों पर 25 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ा है।

अभिभावकों में नाराजगी

इस वर्ष जब विद्यार्थियों ने आवेदन पत्र भरे, तो परीक्षा शुल्क में छूट का विकल्प शामिल नहीं था। कई अभिभावकों और स्कूलों ने माशिमं के इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं। प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि "श्रमिक वर्ग के बच्चों के लिए यह योजना थी, परंतु आवेदन प्रक्रिया में छूट का कोई प्रावधान नहीं दिया गया, जिससे कई बच्चों के अभिभावकों को मजबूरी में पूरा शुल्क भरना पड़ा।"

उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी योजनाओं की विफलता के कारण अब अभिभावक स्कूलों और शिक्षकों से सवाल कर रहे हैं। शिक्षकों और स्कूल संचालकों ने माशिमं से जवाब की मांग की है कि इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को योजना के लाभ से वंचित क्यों रखा गया है, लेकिन अभी तक माशिमं से कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।

अंतिम तिथि से पांच दिन पहले ही दिया गया था विकल्प

संबल योजना के तहत परीक्षा शुल्क माफी का विकल्प आवेदन की अंतिम तिथि से मात्र पांच दिन पहले, 25 सितंबर को खोला गया। उस समय तक अधिकांश विद्यार्थियों ने सामान्य शुल्क के साथ आवेदन प्रक्रिया पूरी कर ली थी, जिससे बहुत कम विद्यार्थी इस सुविधा का लाभ ले पाए। योजना के तहत पंजीकृत करीब दो लाख विद्यार्थियों को परीक्षा शुल्क माफी का लाभ मिलना था, लेकिन देरी से विकल्प खुलने के कारण इनमें से केवल कुछ ही इसका लाभ उठा सके।

अब विलंब शुल्क 2 हजार रुपये के साथ आवेदन की तिथि 30 नवंबर तक बढ़ा दी गई है, लेकिन यह अतिरिक्त शुल्क कई श्रमिक परिवारों के लिए एक और आर्थिक चुनौती खड़ी कर रहा है।

एमपी बोर्ड की इस लापरवाही के कारण संबल योजना के तहत विद्यार्थियों को समय पर शुल्क माफी का लाभ नहीं मिल पाया। इस स्थिति ने माशिमं की प्रशासनिक पारदर्शिता और योजनाओं के सही क्रियान्वयन पर भी सवाल उठाए हैं। संबल योजना को राज्य सरकार ने श्रमिक परिवारों को आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से लागू किया था, ताकि उनके बच्चों को शिक्षा में मदद मिल सके।

विद्यार्थियों और अभिभावकों ने मांग की है कि माशिमं इस मामले को संज्ञान में लेकर सभी पात्र विद्यार्थियों का परीक्षा शुल्क वापस करे। साथ ही, भविष्य में योजनाओं के क्रियान्वयन में ऐसी लापरवाहियों से बचने के लिए उचित प्रबंधन सुनिश्चित करे।

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