भोपाल- राजधानी भोपाल के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज पर एक स्टूडेंट के पेरेंट्स ने गंभीर आरोप लगाए हैं। रायसेन रोड पर स्थित एलएनसीटी (LNCT) इंजीनियरिंग कॉलेज प्रबंधन पर अर्श सिद्दीकी नाम के एक स्टूडेंट और उसके परिवार को प्रताड़ित करने का आरोप है। इस संबंध में अर्श की माँ शादमा सिद्दीकी ने राज्य मानवाधिकार आयोग को शिकायत की है।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए शादमा सिद्दिकी ने कहा, "मेरा बेटा अर्श सिद्दीकी एलएनसीटी कॉलेज में इंजीनियरिंग का छात्र है। दो साल पहले हमने उसका एडमिशन बीटेक कोर्स के लिए कॉलेज में कराया था, सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन फिर आर्थिक परेशानियों के कारण हम बेटे की चौथे सेमेस्टर की फीस जमा नहीं कर पाए, फीस ड्यू होने के कारण मेरे बेटे को कॉलेज प्रबंधन ने क्लास में तक घुसने नही दिया।"
"बाद में हमने पैसे की व्यवस्था कर कहा, कि हम लेट फीस के साथ सेमेस्टर की पूरी फीस जमा करेंगे लेकिन कॉलेज ने अटेंडेंस शॉर्ट बताकर परीक्षा फॉर्म भरने से इनकार कर दिया। हम कॉलेज के डायरेक्टर अशोक राय से मिले लेकिन उन्होंने भी कुछ नहीं किया। मेरे पति उनसे मिले तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे बेटे को मैं इस परीक्षा में नहीं बैठने दूंगा। डायरेक्टर राय ने मेरे पति को बेइज्जत कर ऑफिस से बाहर निकाल दिया। कॉलेज प्रबंधन टारगेट कर मेरे बेटे का भविष्य खराब करना चाहता है, वह डिप्रेशन में है।" शादमा ने कहा।
उन्होंने शिकायत में कहा कि एलएनसीटी कॉलेज प्रबंधन उनके बेटे अर्श सिद्दीकी को चौथे सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने से रोकना चाहता है, जबकि फीस ड्यू होने के कारण कॉलेज प्रबंधन ने खुद ही बेटे को क्लास में नहीं जाने दिया। और जब हमने लेट फीस के साथ सेमेस्टर फीस भरने को कहा तो उन्होंने शॉर्ट अटेंडेंस बताकर परीक्षा फॉर्म भरने से मना कर दिया।
द मूकनायक से बातचीत में शादमा सिद्दीकी ने बताया कि पहले तो कॉलेज प्रबंधन उन्हें चक्कर कटवाता रहा। बाद में डायरेक्टर अशोक राय ने मना कर दिया कि हम इस साल आपके बेटे को परीक्षा में नहीं बैठने देंगे, वह अगली साल परीक्षा दे। शादमा ने आगे कहा, "मैंने और मेरे पति ने डायरेक्ट अशोक राय से बहुत मिन्नतें की लेकिन वह नहीं माने। जब मेरे पति डायरेक्टर राय से मिलने गए तो उन्होंने भी बेटे के भविष्य के लिए निवेदन किया, लेकिन डायरेक्टर भड़क गए, उन्होंने सुरक्षा कर्मियों से यह तक कह डाला की, इसे बाहर फिकवा दो।"
एलएनसीटी कॉलेज प्रबंधन ने सिर्फ एक सेमेस्टर की फीस जमा न होने पर छात्र को पहले क्लास में जाने से रोका फिर उसे परीक्षा से वंचित करने के लिए परीक्षा फॉर्म की कार्यवाही बढ़ाने से मना कर दिया। कॉलेज की सम्बद्धता राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल से है। लेकिन जब तक कॉलेज की ओर से फार्म आगे नहीं बढ़ाया जाता तब तक छात्र परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर सकता। वहीं छात्र की तीनों सेमस्टर की फीस जमा हुई है।
अर्श के पिता मोअज्ज्म सिद्दीकी ने एलएनसीटी ग्रुप के सचिव डॉ. अनुपम चौकसे से भी फोन पर बात की थी। लेकिन अनुपम ने कहा कि आपके मानवाधिकार आयोग को शिकायत की है, हम वहीं जवाब देंगे। द मूकनायक को मोअज्ज्म ने बताया कि उन्होंने अनुपमा चौकसे से फोन पर बात की थी लेकिन वह भोपाल से बाहर थे, उन्होंने भोपाल आकर बात करने को कहा था। हमने बेटे के भविष्य सुरक्षित करने के लिए मानवाधिकार आयोग को शिक़ायत की थी। हमने बेटे की परीक्षा फॉर्म के बारे में जब दोबारा अनुपम चौकसे को फोन किया तो उन्होंने कहा, अब हम आयोग को ही जवाब देंगे।"
छात्र अर्श सिद्दिकी ने बताया की वह सेकेंड ईयर 2024-25 में एडमिशन ले चुका है। जिसका उसने रजिस्ट्रेशन भी कराया था। थर्ड सेमेस्टर में कॉलेज में हुई एक्टविटीज में भी वह शामिल हुआ था। लेकिन फोर्थ सेमेस्टर की फीस जमा नहीं होने के कारण उसे क्लास में नहीं जाने दिया गया।
द मूकनायक ने एलएनसीटी ग्रुप के डायरेक्टर डॉ. अशोक राय से बातचीत की। उन्होंने इस संबंध में कहा, अर्श सिद्दीकी ने सेमेस्टर का पंजीयन ही नहीं कराया जब उन्होंने प्रवेश ही नही लिया तो फीस कैसे जमा होगी। उन्होंने जो शिकायत मानवाधिकार आयोग को की उसका जवाब बना कर हम भेज देंगे।
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. मोहन सेन ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है। हम कॉलेजों की मनमानी को रोकने के लिए समय-समय पर गाइड लाइन जारी करते है। यदि पेरेंट्स छात्र की फीस जमा करने को तैयार है, और उसे परीक्षा के लिए रोका जा रहा है तो यह गलत है। किसी भी हाल में बच्चे को फीस ड्यू होने के कारण पढ़ने से नहीं रोका जा सकता है। हमें शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई करेंगे।"
इस पूरे मामले एलएनसीटी कॉलेज द्वारा छात्र के संवैधानिक अधिकारों और मूल्यों को हनन किया जा रहा है। फीस के अभाव में कक्षा में जाने से रोकना, एक छात्र को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखना है। इसके साथ छात्र के माता-पिता को बेज्जत करना, समता और न्याय जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक मूल्यों का हनन है।
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