BBAU के छात्रों के बीच उलझता जा रहा मामला, संघमित्रा महिला छात्रावास में सरस्वती पूजन पर शुरु हुआ था विवाद

महिला छात्रावास में सरस्वती पूजा के दिन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के चित्र पर कथित रूप से अपशब्द कहे जाने के बाद शुरु हुआ था विवाद।
बीबीएयू लखनऊ के छात्रों ने पैदल मार्च निकाला
बीबीएयू लखनऊ के छात्रों ने पैदल मार्च निकालाफोटो- प्रतीक्षित सिंह, द मूकनायक
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लखनऊ। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) लखनऊ के संघमित्रा महिला छात्रावास में सरस्वती पूजा को लेकर हुआ विवाद अब और आगे बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि सरस्वती पूजा वाले दिन यानी 26 जनवरी के दौरान कुछ छात्राओं ने अंबेडकर जी की मूर्ति पर माला नहीं पहनाई और कथित रूप से अपशब्द भी कहे थे। आरोप था कि कुछ छात्राओं ने अंबेडकर जी की मूर्ति पर माला नहीं चढ़ाई और टोकने पर अपशब्द और जातिसूचक शब्द कहे थे जिसके विरोध में कई छात्र प्रदर्शन पर बैठ गए थे। विश्वविद्यालय के प्रशासन भवन के सामने बैठे छात्रों का यह सातवां दिन है।

बीबीएयू लखनऊ के छात्रों ने पैदल मार्च निकाला
बीबीएयू में बाबा साहब अंबेडकर के चित्र को लेकर विद्यार्थी की वह हरकत जिसके बाद धरने पर बैठे दलित छात्र

प्रशासनिक भवन के सामने बैठे छात्रों के दबाव में आकर प्रशासन ने 3 छात्राओं को निलंबित कर दिया है। छात्राओं के निलंबन की खबर से स्टूडेंट्स में काफी आक्रोश दिखा। शुक्रवार को बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स ने कुलपति आवास का घेराव किया। फिलहाल कुलपति आवास के बाहर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य स्टूडेंट्स को समझाने की कोशिश किए, लेकिन छात्रों का धरना जारी है। बाबा साहब के अपमान का हवाला देते हुए स्टूडेंट आरोपी छात्राओं को 6 महीने के लिए निष्कासन करने की मांग कर रहे हैं।

गुरुवार को उन छात्राओं के खिलाफ निलंबन जारी कर दिया गया जो प्रदर्शन में शामिल होकर बाबा साहब के खिलाफ हुए अपमान के लिए धरने पर बैठे थे। एक छात्रा ने बताया कि, "हम बाबा साहब के लिए धरने पर बैठे हैं, और यहां उपस्थित सभी धरने में बैठे हुए स्टूडेंट के खिलाफ घरों पर पत्र भेजे गए हैं। नेता विधायक द्वारा हमारे घरों पर फोन कराया जा रहा है कि आप अपने बच्चों को धरने से उठाएं। हमें मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है। हमें 15 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है, जबकि हमारी तो कोई गलती भी नहीं है।" प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा, आरोपी छात्राओं को और हमें एक समान सजा दी गई है। हमें उनके बराबर क्यों सजा दी है? उन्हें हमसे ज्यादा दंडित किया जाना चाहिए।

विश्वविद्यालय के संघमित्रा आवास प्रशासनिक की संरक्षिका ने छात्राओं के घर पर पत्र भेजकर उन्हें सूचित किया कि वह अपनी बेटियों को छात्रावास से ले जाए। पत्र में लिखा गया है कि पुत्री ने हॉस्टल मैनुअल का उल्लंघन किया है। चीफ प्रॉक्टर की बैठक में उनको 15 दिन के लिए बाहर किया जाता है। पत्र में यह भी कहा गया कि यह कदम छात्रा के भविष्य को ध्यान में रखते हुए और विश्वविद्यालय में शांति बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

बीबीएयू लखनऊ के छात्र प्रशासनिक भवन के सामने
बीबीएयू लखनऊ के छात्र प्रशासनिक भवन के सामनेफोटो- प्रतीक्षित सिंह, द मूकनायक

छात्रों का यह धरना बीते 7 दिनों से चल रहा है। धरने में शामिल छात्र प्रशासन से एक्शन की मांग कर रहे हैं। इसी बीच प्रॉक्टर बोड ने मोर्चा संभालते हुए स्टूडेंट्स को समझाने की कोशिश की। बोर्ड ने जांच की बात कहकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की, लेकिन छात्र अपनी बात पर अड़े रहे। हालांकि, जांच पड़ताल में बाबा साहब के अपमान के प्रमाण अभी तक नहीं मिले हैं।

विद्यालय प्रशासन की तरफ से 7 दिनों बाद आरोपी छात्राओं को निलंबित कर 15 दिनों के लिए हॉस्टल से बाहर कर दिया गया है। इस निलंबन के बाद दूसरा गुट आक्रोशित हो गया है। निलंबन के विरोध में एबीवीपी के छात्र कुलपति आवास के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। उनका आरोप है कि "दलित संगठन के छात्रों के प्रदर्शन के दबाव में आकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने बसंत पंचमी वाले दिन सरस्वती पूजन मामले में छात्राओं को निलंबित कर दिया है। यह सरासर गलत है।"

विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों से बात करने के लिए शुक्रवार 3:00 बजे मीटिंग निर्धारित की थी। लेकिन छात्र मीटिंग में उपस्थित नहीं हुए। प्रशासन का यह भी कहना है कि इस मामले में वह एक कमेटी गठित करेंगे जो इस मामले की जांच पड़ताल करेगी। इसी बीच धरने पर बैठे छात्र प्रशासन के पास गए और बोले कि "हमारे खिलाफ जो निलंबन है उसे वापस ले ली‌ जाए।"

द मूकनायक को मिली जानकारी के अनुसार, 13 फरवरी को राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू विश्वविद्यालय में होने वाले दीक्षांत समारोह मैं आने वाली हैं। इसलिए प्रशासन इस मामले को जल्द से जल्द निपटाना चाहता है।

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