मध्य प्रदेशः धरने पर दृष्टिबाधित छात्र, कहा- "सरकार नहीं सुनेगी तो भूख हड़ताल करेंगे"

स्कूल के प्राचार्य शंकर कपूर का कहना है कि मांगों को लेकर हमने सरकार को पत्र लिख दिया है। साथ ही स्थानीय स्तर पर जितना हो सकता है, उतना हमने किया है।
सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूल के दृष्टिबाधित छात्रों का आंदोलन जारी है।
सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूल के दृष्टिबाधित छात्रों का आंदोलन जारी है। The Mooknayak
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भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) में पिछले पांच दिनों से अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे दृष्टिबाधित छात्रों (Visually impaired students) का आंदोलन जारी है। छात्रों ने शनिवार को भजन गाए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बता दें कि दृष्टिबाधित छात्रों के स्कूल में मूलभूत सुविधाओं का कई सालों से अभाव है।

क्या है समस्या?

जबलपुर अंधमूक बाईपास के पास सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूल में 80 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं। इस स्कूल में बीते कई सालों से मेंटेनेंस नहीं हुआ है। इमारत जर्जर हो गई है, कई जगह से सीलिंग का सीमेंट गिर रहा है। बीते दिनों भी छात्रावास में खाना खाते वक्त सीलिंग गिर गई थी। छात्रों का कहना है कि 2019 में 10 लाख 80 हजार रुपए हॉस्टल और स्कूल के मेंटेनेंस के लिए शासन से मिले थे, लेकिन उस राशि का क्या हुआ आज तक कुछ नहीं पता चला।

बीते पांच दिनों से छात्र मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। छात्रों ने कहा कि इतने दिनों में सरकार की ओर से कोई सटीक आश्वासन नहीं मिला। हमारी मांगों को अनदेखा करना शुरू कर दिया तो आज हमने भजन के माध्यम से शासन-प्रशासन को जगाने की कोशिश की है।

छात्रों का कहना है कि हमारी कोई बड़ी मांगें नहीं जो कि सरकार मान नहीं सकती है। अधिकारियों से बात की गई पर उन्होंने भी सिर्फ आश्वासन दिया। बीते पांच दिनों बाद भी शासन से बात नही बन पाई है।

छात्रों का कहना है कि हमारी कोई बड़ी मांगें नहीं जो कि सरकार मान नहीं सकती है।
छात्रों का कहना है कि हमारी कोई बड़ी मांगें नहीं जो कि सरकार मान नहीं सकती है। The Mooknayak

धरने पर बैठे छात्र राजाराम का कहना है कि हमारे विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए संगीत की शिक्षा भी दी जाती है। शिक्षक भी हैं, लेकिन संगीत के उपकरण नहीं है। संगीत के शिक्षक ने बताया कि 20 साल पहले उपकरण खरीदे गए थे। उसके बाद से कोई उपकरण नहीं खरीदा गया, इस वजह से ज्यादातर उपकरण बर्बाद हो गए हैं। ढोलक, तबले फटे हुए है। हारमोनियम टूटी हुई है, इसी से ही संगीत के छात्रों को शिक्षा दी जा रही है।

छात्रों का कहना है कि अब समय आ गया है जब सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी करना होगा। अभी तक तो हम धरने पर बैठे हुए है, लेकिन अब मजबूर होकर सभी छात्र भूख हड़ताल पर बैठेंगे।

कक्षाओं का किया बहिष्कार

छात्र शासन और स्कूल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि संगीत की क्लास के लिए 20 साल पुराने वाद्य यंत्र इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके साथ छात्रावास के कर्मचारी छात्रों को नशे की लत लगा रहें हैं। प्रदर्शन के चलते कक्षाएं नहीं लग पाईं। मौके पर मौजूद शिक्षकों ने समझाने की कोशिश की पर छात्रों की मांग है कि जब तक उनकी समस्या का समाधान नहीं होगा तब तक वह क्लास नहीं लगने देंगे।

छात्रों का कहना है कि अपनी समस्याओं को लेकर हमने वरिष्ठ अधिकारियों तक से शिकायत और समस्या रखी, लेकिन समाधान नहीं हुआ। इसलिए न चाहते हुए भी हड़ताल करने को मजबूर हो गए हैं। हालांकि स्कूल के प्राचार्य शंकर कपूर का कहना है कि मांगों को लेकर हमने सरकार को पत्र लिख दिया है। साथ ही स्थानीय स्तर पर जितना हो सकता है, उतना हमने किया है।

सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूल के दृष्टिबाधित छात्रों का आंदोलन जारी है।
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