मध्य प्रदेश: शिक्षक उधारी से चला रहे मिड-डे-मील की व्यवस्था, सरकार ने छह महीने से नहीं किया भुगतान!

मध्य प्रदेश के दतिया और शाजापुर जिले में मिड-डे-मील योजना के तहत समूहों का नहीं हो रहा भुगतान।
मध्य प्रदेश: शिक्षक उधारी से चला रहे मिड-डे-मील की व्यवस्था, सरकार ने छह महीने से नहीं किया भुगतान!
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भोपाल। पिछले कई वर्षों से सीमा पीतले शाजापुर माध्यमिक शाला के छात्र-छत्राओं को भोजन परोस रहीं हैं। वर्तमान में यहां 190 छात्र हैं। समूह की संचालका के साथ यह रसोईया भी हैं, जिन्हें सरकार चार हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय भी देती है। लेकिन सरकार में बजट के टोटे के चलते पिछले छह महीनों से न इन्हें समूह के राशन के लिए पैसा मिला और न ही मानदेय मिल पाया।

"हम उधारी लेकर मध्यान भोजन की रसोई चला रहे हैं। गेहूं तो हमें शासकीय दुकान से मिल जाता है, बाकी तेल, मसाले, हरी सब्जियां दूध आदि सामग्री, दुकानों से उधार लेना पड़ रहा है। पिछले छह महीनों में हमने 40 हजार रुपए का राशन उधार ले लिया, इसके साथ ही रसोईयों को मानदेय भी नहीं मिला है। घर में छोटे बच्चे हैं, अब तो ठीक से घर चलाना तक मुश्किल हो गया है," यह पीड़ा है मिड-डे-मील की महिला स्वयं सहायता समूह की संचालक और रसोईया सीमा पीतले की।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए सीमा ने बताया कि उनके समूह में दस महिलाएं है, और चार रसोइए हैं। लेकिन उन्हें पिछले साल सितंबर 2023 से न ही मानदेय मिल सका और न ही मिड-डे-मील संचालित करने पैसा मिल पाया है। सीमा ने कहा, "हमने समूह चलाने के लिए दुकानों से 40 हजार रुपयों का राशन उधार ले लिया है। घर में बच्चे छोटे हैं, मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक तंगी बढ़ गई है। हम अधिकारियों से मिले तो उन्होंने बताया कि कुछ तकनीकी परेशानी है, लेकिन हम सब समझते हैं, सरकार के पास बजट नहीं है। इसलिए पैसे नहीं आ रहे।" 

मध्य प्रदेश के दतिया और शाजापुर जिले में मिड-डे-मील योजना के तहत शासकीय स्कूलों में बच्चों के लिए खाना बनाकर परोसने वाले महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को पिछले छह महीनों से भुगतान नहीं किया गया। जिम्मेदार अफसर इसके पीछे तकनीकी समस्या बता रहे हैं। 

जानकारी के मुताबिक, जिले के दतिया ब्लॉक के करीब पांच सौ स्वयं सहायता समूह जो मिड-डे-मील योजनाओं के तहत स्कूलों में रसोई संचालित करते हैं उन्हें नवंबर माह से भुगतान नहीं किया गया। यह महिलाएं अब उधार राशन लेकर रसोई चला रहीं हैं। 

दतिया के बसई की स्वयं सहायता समूह की संचालिका जूली खान ने बताया कि, पिछले छह महीनों से उन्हें भी पैसा नहीं मिला है। वह उधार लेकर मिड-डे-मील चला रही हैं। जूली ने कहा, "अधिकारियों से बात करते हैं तो कहते पैसे अजाएँगे पर अब छह महीने बीत गए, अभी तक एक रुपये नहीं मिला।"

दतिया जिले के मकदारी गाँव के प्राथमिक विद्यालय मिड-डे-मील (एमडीएम) योजना के तहत स्कूलों में बच्चों के लिए गरमा-गरम खाना बनाने वाली रसोइयां सावित्री ने बताया कि, छह महीनों से उन्हें मानदेय नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि वह इसी मानदेय से अपना घर खर्च चलाती हैं। लेकिन अब मुश्किल हो रही है। सावित्री ने कहा, "नौकरी करना हमारी भी मजबूरी है, लेकिन सरकार को समय पर पैसा देना चाहिए।"

मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों को भोजन बनाने के लिए प्रति बच्चे की हिसाब से पैसे दिए जाते हैं। सरकार ने इसके लिए प्राथमिक के छात्रों के लिए प्रति बच्चे पर 4.45 पैसे और माध्यमिक कक्षा के छात्रों के लिए 8.17 पैसे प्रतिदिन बजट का प्रावधान किया है।

बच्चों की संख्या के हिसाब से स्कूल के प्राचार्य प्रतिदिन की संख्या लेकर 30 दिन का हिसाब मिड-डे-मील प्रभारी को भेजते हैं। जिसके बाद ऑनलाइन रिकॉर्ड दर्ज करने के बाद उक्त स्वयं सहायता समूह के बैंक खाते में पैसे भेजे जाते हैं। लेकिन फिलहाल यह राशि पिछले छह महीनों से समूहों को नहीं मिल सकी है।

प्रदेश के कई जिलों में ऐसे ही हालात

प्रदेशभर में मिड-डे-मील संचालित कर रहे स्वयं सहायता समूहों की लगभग यही स्थिति है। किसी को छह महीने से पैसा नहीं मिला तो कई लोगों को चार महीने से मानदेय नहीं मिल पाया है। सूत्रों के मुताबिक मिड-डे-मील के बजट का पैसा आवंटित नहीं हुआ है। जिसके चलते भुगतान नहीं हो रहा है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए दतिया मिड-डे-मील प्रभारी सीमा दंडोतिया ने बताया कि पोर्टल में कोई तकनीकी समस्या है, इसलिए प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी भुगतना नहीं हो रहा है। हमने इस संबंध में भोपाल में राज्य के बरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भी भेज दिया है। जल्द ही यह समस्या दूर हो जाएगी।

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