भोपाल। मध्य प्रदेश के अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के स्कूली छात्रों को अभी तक स्कॉलरशिप नहीं मिली है। प्रदेशभर के कक्षा पहली से 12वीं तक के छात्रों का सत्र 2023-24 पूरा होने को है। लेकिन विद्यार्थियों के बैंक खातों में शासन की ओर से यह राशि ट्रांसफर नहीं की गई है।
वर्तमान सत्र में 67 लाख स्कूली विद्यार्थी छात्रवृत्ति के लिए पात्र पाए गए हैं। करीब 13 लाख विद्यार्थी केंद्र सरकार की छात्रवृत्ति योजना में शामिल हो गए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षा पोर्टल पर विद्यार्थियों के बैंक खाता से लेकर नाम की सूची भी अपडेट कर दी गई है, लेकिन वित्त विभाग से बजट नहीं आने के कारण अब तक विद्यार्थियों के खातों में राशि नहीं भेजी गई है।
जानकारी के मुताबिक सरकार की ओर से छात्रवृत्ति के संबंध में नई सूची की जानकारी राज्य लोक शिक्षण संचालनालय से मांगी गई है। अभी तक प्रदेश के करीब 80 लाख बच्चों को शासन की ओर से विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्ति दी जाती थी। लेकिन अब पात्र विद्यार्थी 67 लाख के करीब हो गए हैं।
विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लाडली बहना योजना के चलते स्कूली विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति अटक गई है। जानकारी मिली है कि लाड़ली बहना योजना के कारण इस बार समय से न तो विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिल सकेगी और न ही साइकिल सहित अन्य कोई भी योजना का लाभ ही मिल पाएगा।
अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के स्कॉलरशिप के लिए 357 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान है। लेकिन यह राशि अभी तक विभाग को आवंटित नहीं की गई है। छात्रवृत्ति की राशि हर साल नवंबर या दिसंबर तक दे दी जाती थी। लेकिन अब तक सरकार की ओर से बजट ही नहीं मिला है। पहली से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए शासन की ओर से 20 तरह की विभिन्न योजना संचालित की जाती हैं। इसके तहत विद्यार्थियों को 50 रुपये से लेकर 550 रुपये तक की छात्रवृत्ति मिलती है।
द मूकनायक ने इस संबंध में प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह से बातचीत की। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा, "छात्रवृत्ति जारी नहीं होने की जानकारी है। प्रक्रिया चल रही है, बजट स्वीकृत हो चुका है। जल्द ही लाभार्थी विद्यार्थियों के खाते में राशि पहुँच जाएगी। अभी मैं दिल्ली अधिवेशन में हूँ, इस संबंध में बाद में बात करूंगा।"
मध्य प्रदेश में एक दर्जन से भी ज्यादा छात्रवृत्ति योजनाएं संचालित हैं। जिनमें प्रमुख रूप से निशक्तजन छात्रवृत्ति योजना, राज्य शासन की अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति, राज्य शासन अनुसूचित जनजाति छात्रवृत्ति, पितृहीन कन्याओं की छात्रवृत्ति, प्री- पोस्ट मैट्रिक योजना, सुदामा प्री-मैट्रिक योजना, स्वामी विवेकानंद पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति एवं इकलौती बेटी को शिक्षा विकास छात्रवृत्ति योजनाएं शामिल हैं।
साल 2023 में तत्कालीन शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना के लिए सरकार ने पांच साल के लिए 60 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान किया था। एक हजार हर महीना देने की लाड़ली बहना योजना के लिए पहले साल के 12 हजार करोड़ की राशि आवंटित की गई थी। अब योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि सरकार ने बढ़ाकर 1250 रुपए कर दी है।
अगर सरकार लाड़ली बहना योजना में वर्तमान में दी जाने वाली राशि को बढ़ाकर तीन हजार करती है तो एक अनुमान के मुताबिक 1 लाख 80 हजार करोड़ रुए खर्च होंगे। वहीं योजना के लिए पात्रता की उम्र 23 साल से घटाकर 21 साल करने के सरकार के फैसले के बाद योजना के उपर खर्च करने वाली राशि में और अधिक इजाफा हुआ है। प्रदेश में 1 करोड़ 30 लाख महिलाओं को योजना का लाभ दिया जा रहा है।
इसी महीने 12 फरवरी को डॉ. मोहन सरकार का अंतरिम बजट (लेखानुदान) पेश किया गया था। डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा के पटल पर वर्ष 2024-25 के लिए एक लाख 45 हजार करोड़ रुपए का लेखानुदान पेश किया।
वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंतरिम बजट में आदिवासी कल्याण के लिए 4287 करोड़ रुपए, अनुसूचित जाति विभाग के लिए 787 करोड़ रुपए, ओबीसी और अल्प संख्यक कल्याण के लिए 514 करोड़ रुपए और स्कूल शिक्षा विभाग के लिए 11674 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। लेखानुदान के माध्यम से विभागों को अप्रैल से जुलाई 2024 तक विभिन्न योजनाओं में खर्च के लिए राशि आवंटित की गई है। लेखानुदान में नए प्रस्ताव और खर्च की नई मद शामिल नहीं है।
मध्यप्रदेश में वर्तमान में सरकार करीब 3 लाख 90 हजार करोड़ के भारी भरकम कर्ज के बोझ तले दबी है। कर्ज इतना है कि सरकार हर साल केवल 24 हजार करोड़ का ब्याज भर रही है। साल 3023 में रिजर्व बैंक की राज्यों को लेकर राज्यों की स्टेट फाइनेंसेज: स्टडी ऑफ बजट्स ऑफ 2022-23 प्रकाशित रिपोर्ट में राज्यों पर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जताई गई है।
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