मध्य प्रदेश नर्सिंग घोटाले पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: 50 हजार छात्रों के लिए राहत, परीक्षा परिणाम होंगे जारी

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सीबीआई जांच में जिन कॉलेजों में खामियां पाई गई हैं, उनकी सूची और पाई गई कमियों को नर्सिंग काउंसिल की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट.
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भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा मामले में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिससे सत्र 2019-20 और 2020-21 के नर्सिंग छात्रों को बड़ी राहत मिली है। जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अंचल कुमार पालीवाल की डिवीजन बेंच ने छात्रों के परिणाम जारी करने की अनुमति मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी को दे दी है। इस निर्णय के बाद 50 हजार से अधिक छात्रों का भविष्य साफ हो गया है।

अमानक कॉलेजों की सूची होगी सार्वजनिक

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सीबीआई जांच में जिन कॉलेजों में खामियां पाई गई हैं, उनकी सूची और पाई गई कमियों को नर्सिंग काउंसिल की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि छात्रों का भविष्य प्रभावित नहीं होना चाहिए, लेकिन गड़बड़ियों में शामिल कॉलेजों को दंडित किया जाएगा।

रिजल्ट जारी करने का आदेश

हाईकोर्ट के आदेश पर मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने नर्सिंग छात्रों की वार्षिक और सेमेस्टर परीक्षाएं आयोजित की थीं। हालांकि, न्यायालय की अनुमति न मिलने के कारण परिणाम रुके हुए थे। अब हाईकोर्ट के इस फैसले से छात्रों के परिणाम जारी किए जा सकेंगे।

कोर्ट ने सरकार के उस संशोधन को अस्वीकार कर दिया, जिसमें नर्सिंग कॉलेजों की संबद्धता का अधिकार क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों को सौंपा गया था। याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने तर्क दिया कि क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों के पास स्वास्थ्य शिक्षा की विशेषज्ञता नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि सत्र 2024-25 की संबद्धता प्रक्रिया मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ही पूरी करेगी।

2020 में हुआ था घोटाले का खुलासा

मध्यप्रदेश नर्सिंग घोटाला 2020 में उजागर हुआ था, जब यह सामने आया कि कई नर्सिंग कॉलेज कागजों पर ही चल रहे थे या किराए के कमरों में संचालित हो रहे थे। कई कॉलेजों के पास आवश्यक अस्पताल संबद्धता भी नहीं थी। इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जिसने राज्य के 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंपी।

सीबीआई ने सभी कॉलेजों की जांच के बाद रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट में पेश की। हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट की कॉपी नर्सिंग काउंसिल और याचिकाकर्ता को सौंपी। अदालत ने पाया कि कई कॉलेज सुटेबल की श्रेणी से बाहर हो गए हैं। अब इन कॉलेजों की सूची और खामियां सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया है।

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। हालांकि, घोटाले में शामिल कॉलेजों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि आगामी सत्रों में नर्सिंग शिक्षा का स्तर बनाए रखने के लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी को ही जिम्मेदारी सौंपी जाए।

विशाल बघेल, लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और याचिकाकर्ता, ने कहा कि यह फैसला छात्रों और स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता के लिए मील का पत्थर है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह स्वास्थ्य शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए।

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