भोपाल। मध्य प्रदेश के चर्चित नर्सिंग घोटाले में अन्य आरोपियों के नाम बढ़ सकते है। इस मामले में सीबीआई तेजी से जांच कर रही है। नर्सिंग कालेजों की जांच में रिश्वत लेने के आरोपी सीबीआई अधिकारी व अन्य के विरुद्ध सीबीआई दिल्ली पूरक चालान (आरोप पत्र) जल्द ही कोर्ट में पेश कर सकती है। बताया जा रहा है, की सीबीआई इसमें कुछ और नए नाम जोड़ सकती है।
सीबीआई ने नर्सिंग घोटाले मामले में 23 नामजद आरोपित के अतिरिक्त अन्य सरकारी कर्मचारी एवं निजी लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की थी, पर 16 जुलाई को भोपाल की विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किए गए आरोप पत्र में 14 आरोपियों के ही नाम हैं।
जानकारी के मुताबिक भोपाल में नर्सिंग कालेजों की जांच के मामले में सीबीआई जल्द ही पूरक चालान पेश कर सकती है। मौजूदा चालान में 14 आरोपितों के नाम हैं, लेकिन जांच के आधार पर कुछ और लोगों के नाम जोड़े जा सकते हैं, जिनमें एक सीबीआई अधिकारी की पत्नी भी शामिल हो सकती है।
आरोप पत्र के अनुसार, इस मामले में कुछ और लोगों के विरुद्ध साक्ष्य मिले हैं, जिनका एफआईआर में नाम नही है, उनका पूरक चालान में नाम आ सकता है। कॉल डिटेल, वाट्सएप मैसेज पर बातचीत और पूछताछ के आधार पर जांच एजेंसी को मिले साक्ष्य के आधार पर पूरक चालान में उनका नाम जोड़ा जा सकता है।
इसमें एक सीबीआई अधिकारी की पत्नी को भी आरोपित बनाया जा सकता है। पहले चालान में सीबीआई ने इस मामले में 116 लोगों को गवाह बनाया है। फोन कॉल और मैसेज से ही सीबीआई दिल्ली की टीम ने रिश्वत कांड का पर्दाफाश किया था। सीबीआई ने मार्च, 2024 से ही संदिग्धों के फोन कॉल और मैसेज की निगरानी शुरू कर दी थी।
मामले में मास्टर माइंड सीबीआई के निरीक्षक राहुल राज की गिरफ्तारी के बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त भी कर दिया गया है। राहुल राज को सीबीआई ने एक नर्सिंग कॉलेज संचालक दंपती से 18 मई को 10 लाख रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। नर्सिंग मामले की जांच के लिए सीबीआई में अटैच मध्य प्रदेश पुलिस के निरीक्षक सुशील कुमार मजोका को भी राज्य सरकार ने पहले निलंबित किया बाद में मुख्यमंत्री के निर्देश पर सेवा समाप्त कर दी गई।
साल 2020-21 में कोरोना काल के दौरान कुछ अस्पताल खोले गए थे। इसी की आड़ में कई नर्सिंग कॉलेज भी खोल दिए गए थे। कॉलेज खोलने के लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी और चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा बनाए नियमों के मुताबिक नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए 40 हजार स्क्वेयर फीट जमीन का होना जरूरी होता है। साथ ही 100 बिस्तर का अस्प्ताल भी होना आवश्यक है। इसके बाबजूद प्रदेश में दर्जनों ऐसे नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई, जो इन नियमों के अंर्तगत नहीं थे। इसके बाद भी इन्हें मान्यता दे दी गई।
याचिकाकर्ता और जबलपुर हाई कोर्ट में वकील विशाल बघेल ने ऐसे कई कॉलेज की तस्वीरें और जानकारी कोर्ट को सौंपी थी। इसमें बताया कि कैसे कॉलेज के नाम पर घोटाला चल रहा है। हाई कोर्ट ने इस मामले को देखते हुए नर्सिंग कॉलेज में होने वाली परीक्षाओं पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, बीते तीन वर्षों से नर्सिंग कॉलेजों में परीक्षा नहीं हुई है। परीक्षा नहीं होने की वजह से छात्र परेशान हैं। अब यही छात्र आंदोलन कर सरकार से जनरल प्रोमोशन की मांग कर रहे है। छात्रों का कहना है कि यदि कॉलेजों ने गलत किया है तो इसकी सजा छात्रों को क्यों मिल रही है।
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