नई दिल्ली: हैदराबाद विश्वविद्यालय में 11 दिसंबर को विनोद कुमार, जो हिंदी विभाग में एक कार्यालय कर्मचारी थे, की कथित तौर पर अपने वरिष्ठों के उत्पीड़न और दबाव के कारण काम के दौरान मृत्यु हो गई थी। कुछ ही दिन के अंतराल पर 14 दिसंबर को, किचाला प्रवीण, जो एक सफाई कर्मचारी थे, ने कथित तौर पर उत्पीड़न और दबाव के कारण काम पर आत्महत्या कर ली थी। चार दिनों के अंतराल में दो मौतों पर हैदराबाद विश्वविद्यालय में कर्मचारियों और छात्र संगठन ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था.
छात्रों के लगातार विरोध प्रदर्शन का आज पांचवां दिन है. विश्वविद्यालय ने बुधवार को एक नोटिफिकेशन जारी कर जानकारी दी है कि मामले में चार सदस्यीय टीम गठित की गई है, जो उक्त कमर्चारियों की मौतों पर लगाए गए आरोपों की जांच कर 26 दिसंबर को 1 बजे तक रिपोर्ट सौंपेगी.
आपको बता दें कि जिस प्रोफेसर ने रोहित वेमुला को सस्पेंड और हॉस्टल से बाहर किया था, उसी पर अपने अधीनस्थ कर्मचारी को प्रताड़ित करने का आरोप. छात्र संगठन ने विभागाध्यक्ष आलोक पाण्डेय पर कार्रवाई की मांग की है. जो इस मामले में एक मुख्य आरोपी भी हैं.
मामले में हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक छात्र ने द मूकनायक को बताया कि अभी तक किसी भी आरोपी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
हिंदी विभाग में कार्यरत विनोद कुमार, जो ईसाई पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनकी मृत्यु हार्ट अटैक और मेडिकल सुविधाओं को देर से उपलब्ध कराने के कारण बताया जा रहा है, दूसरी ओर लेक व्यू गेस्ट हाउस में एक सफाई कर्मचारी किचाला प्रवीण (दलित कर्मचारी) ने पेस्टीसाइड पीकर आत्महत्या कर ली थी। आरोप है कि दोनों ही कर्मचारी लंबे समय से अपने सुपरवाइजर से परेशान थे। हिंदी विभाग के विद्यार्थियों, स्टूडेंट यूनियन तथा कर्मचारियों ने मिलकर यूनिवर्सिटी प्रशासन को दोनों सुपरवाइजर को अपने पदों से बर्खास्त करने और मृतजनों के परिवार को वाजिब मुआवजा देने की मांग की है।
इन घटनाओं पर 15 दिसंबर को कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में रजिस्टार से मिलकर मामले को अवगत कराया था। छात्रों ने एडमिन बिल्डिंग में शाम 6 के करीब प्रोटेस्ट भी किया था। सूत्रों ने बताया था कि, हिंदी विभाग में एक महीने पहले नए विभागाध्यक्ष की नियुक्ति बाद से ही वहां के ऑफिस कर्मचारी विनोद कुमार परेशान थे। आरोप है कि, विभागाध्यक्ष आलोक पाण्डेय द्वारा काम के अतिरिक्त दबाव, डांट, अपमानित व्यवहार एवं अपशब्दों से परेशान विनोद कुमार ने एक महीने में ही ट्रांसफर के लिए आवेदन दे दिया था। अपने से नीचे पद पर काम करने वाले कर्मचारी के प्रति असंवेदनशीलता इतनी गहरी थी कि घटना के दिन जब विनोद कुमार को हार्ट अटैक के लक्षण दिख रहे थे तब भी विभागाध्यक्ष ने समय पर कोई जरूरी कदम नहीं उठाया।
दूसरी घटना में सैनिटाइजेशन वर्कर किचाला प्रवीण लंबे समय से अपने सुपरवाइजर बसंती मल्लेश द्वारा प्रताड़ित हो रहे थे। आरोप है कि, सुपरवाइजर वर्कर्स को सफाई के लिए ग्लव्स वगैरह नहीं देता और अतिरिक्त काम लेता। यदि कोई भी वर्कर शिकायत करने की कोशिश भी करता तो बसंती मल्लेश उसे काम से निकालने की धमकी देता था.
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