MP: सरकारी स्कूलों में बच्चों के नामांकन में कमी से सरकार चिंतित, अब कलेक्टरों को दिए यह निर्देश?

राज्य शिक्षा केंद्र ने सभी जिला कलेक्टरों को जारी निर्देश में कहा, कि वे प्रत्येक जिले में इस गिरावट का समग्र विश्लेषण करें और यह सुनिश्चित करें कि अनमैप विद्यार्थियों को पुनः स्कूलों में नामांकित किया जाए।
स्कूली बच्चे
स्कूली बच्चेफोटो साभार- मिंट
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भोपाल। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों के नामांकन में इस वर्ष गिरावट दर्ज की गई है, जिससे राज्य सरकार चिंतित है। इस समस्या के समाधान के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि वे नामांकन में आई कमी के कारणों का विश्लेषण करें और संबंधित उपायों को लागू करें। विभाग का मानना है, कि बच्चों के नामांकन को बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद नामांकन में कमी आना राज्य की शिक्षा व्यवस्था के लिए चिंता का विषय है।

राज्य शिक्षा केंद्र के अनुसार, नामांकन में कमी के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि पिछले वर्ष की तुलना में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को स्कूल से अनमैप करके ड्रॉपबॉक्स में डाल दिया गया है। अनमैपिंग का अर्थ है कि विद्यार्थी वर्तमान सत्र में किसी स्कूल में नामांकित नहीं हैं। इस स्थिति के चलते, राज्य शिक्षा केंद्र ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इस गिरावट का विश्लेषण किया जाए और सुधार के लिए कदम उठाए जाएं।

क्या है ड्रॉपबॉक्स?

ड्रॉपबॉक्स एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जिसमें देशभर के अनमैप्ड स्टूडेंट्स की जानकारी होती है। इसमें ऐसे विद्यार्थी शामिल होते हैं जो पिछले सत्र में किसी स्कूल में नामांकित थे, लेकिन इस सत्र में किसी भी स्कूल में नामांकित नहीं हैं। ड्रॉपबॉक्स में विद्यार्थियों का नामांकन होने का मतलब है कि वे इस समय किसी भी शैक्षणिक संस्था से जुड़े नहीं हैं।

स्कूल शिक्षक, विद्यार्थियों के प्रोग्रेशन के दौरान, अगर किसी विद्यार्थी की जानकारी नहीं मिलती है, तो बिना समुचित जांच-पड़ताल के उन्हें ड्रॉपबॉक्स में भेज देते हैं। इससे कई बार भ्रम की स्थिति बन जाती है, क्योंकि इन विद्यार्थियों का भविष्य अनिश्चित हो जाता है। ड्रॉपबॉक्स में होने के कारण ऐसे विद्यार्थियों को राज्य सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे निशुल्क पाठ्य-पुस्तक, गणवेश और छात्रवृत्ति आदि का लाभ भी नहीं मिल पाता।

शासन से समीक्षा के निर्देश

राज्य शिक्षा केंद्र ने सभी जिला कलेक्टरों से कहा है कि वे प्रत्येक जिले में इस गिरावट का समग्र विश्लेषण करें और यह सुनिश्चित करें कि अनमैप विद्यार्थियों को पुनः स्कूलों में नामांकित किया जाए। इसके लिए कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जिले में स्कूलवार और विद्यार्थीवार जानकारी प्राप्त करें और उनकी समीक्षा करें। राज्य शिक्षा केंद्र ने निर्देश दिया है कि मैपिंग की प्रक्रिया 31 अक्टूबर तक अनिवार्य रूप से पूरी की जाए और साप्ताहिक आधार पर इसकी प्रगति की समीक्षा की जाए।

विभाग ने यह भी कहा है, कि जिन विद्यार्थियों को ड्रॉपबॉक्स में डाला गया है, उन्हें पुनः ट्रैक कर स्कूलों में नामांकित किया जाए, ताकि वे शैक्षणिक और अन्य योजनाओं का लाभ उठा सकें। इस कार्य के लिए विकासखंड स्तर और जनशिक्षा केंद्रों को भी अनमैप्ड विद्यार्थियों की जानकारी और उनकी मैपिंग का लक्ष्य दिया गया है।

वर्तमान में यह है स्थिति

अभी की स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि अगर समय रहते अनमैप्ड विद्यार्थियों की समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो इससे प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। राज्य शिक्षा विभाग का प्रयास है कि इस समस्या को जल्द से जल्द सुलझाया जाए और बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जाए।

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