उत्तर प्रदेश: सरकारी स्कूल प्रबंधन ने रद्दी के भाव बेच दी किताबें!

कौशाम्बी जिले में किताबों को रद्दी के भाव बेचने का मामला आया सामने
कौशाम्बी जिले में किताबों को रद्दी के भाव बेचने का मामला आया सामने
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यूपी के सरकारी विद्यालयों में समय से किताबों की आपूर्ति नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित। दूसरी ओर कौशाम्बी जिले में किताबों को रद्दी के भाव बेचने का मामला प्रकाश में आने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने किया विरोध।

लखनऊ। यूपी के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में किताबों की कमी के कारण छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं कौशाम्बी जिले में एक सरकारी विद्यालय की किताबें रद्दी के भाव गत रविवार को बेच दी गईं। जैसे ही इसकी सूचना ग्राम प्रधान को हुई तो उन्होंने हंगामा कर दिया। पिछले सत्र की किताबें कबाड़ी के घर मिलने के मामले ने तूल पकड़ लिया। जानकारी मिलने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रकाश सिंह खुद जांच के लिए गांव पहुंचे।

जानिए क्या है पूरा मामला?

यूपी के कौशाम्बी के मंझनपुर तहसील के कम्पोजिट विद्यालय अगियौना में मौजूदा समय में 438 बच्चे रजिस्टर्ड हैं, जिनमें 250 बच्चे नियमित पढ़ाई के लिए आते हैं। स्कूल में पिछले सत्र 2021-22 की किताबें जो बच्चों से वापस कराई गई थीं, वह रखी थीं। जिसे रसोइया ने कबाड़ी को बेच दिया। हालांकि, ग्राम प्रधान ने प्राइमरी सेक्शन की प्रिंसिपल प्रेमलता सिंह पर किताबें बेचने का आरोप लगाया है।

ग्राम प्रधान संदीप कुमार चौधरी ने बताया, उन्हें सुबह बच्चों ने सरकारी स्कूल की किताब कबाड़ी के घर में होने की बात बताई। मौके पर देखने और जानकारी किए जाने पर पता चला कि पाठ्यपुस्तक गांव के स्कूल की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले सत्र में बच्चों को किताबें न बांट कर अध्यापकों ने उसे रख कर पूरा सत्र बिता दिया। जिसे अब कबाड़ी के हाथ बेच दिया गया है। कबाड़ी ने किताबों को रसोइए से 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से 150 किलो खरीद लिया है। इसका वीडियो गाँव के किसी शख्स ने बना कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

जानिए क्या कहा जिम्मेदारों ने..

सरकारी पाठ्य पुस्तक के बेचे जाने के मामले की जानकारी होने पर रविवार को बेसिक शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में प्रकरण की जांच करने खुद बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रकाश सिंह अगियौना गांव पहुंचे। यहां बीएसए ने ग्राम प्रधान और कबाड़ी वाले का बयान लेकर पाठ्यपुस्तकों को अपने कब्जे में लिया। बीएसए के मुताबिक प्रथम दृष्टया प्रधानाध्यापिका की शिथिल कार्यशैली की वजह से ऐसी स्थिति संज्ञान में आई है। निश्चित रूप से प्रधानध्यापिका के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।

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