यूपी: नहीं हो पा रही बोर्ड परीक्षा की तैयारी, गांव में नहीं है बिजली, जिलाधिकारी भी नहीं कर सके बिजली की व्यवस्था

बाराबंकी के दलित युवक ने अपने ही गांव के 15 लोगों को अपनी ब्रेड फैक्ट्री में दिया है रोजगार, अब गांव में बिजली नहीं होने से कर रहा चुनौतियों का सामना। बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए भी मुसीबत। बिजली की समस्या की डीएम से गुहार के बाद भी नहीं बनी बात।
गांव में लगा सोलर लाइट
गांव में लगा सोलर लाइटसत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक
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लखनऊ। यूपी में बाराबंकी के फतेहपुर तहसील के एक गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। लगभग 10 दिन पहले जिलाधिकारी ने मामले को संज्ञान में लेकर बिजली पहुंचाने का आश्वासन दिया था। इसके बावजूद गांव के लगभग 25 घर अभी भी अंधेरे में जी रहे हैं। लाईट न होने के कारण पढाई करने वाले छात्रों को बोर्ड की परीक्षा की तैयारी करने में समस्या हो रही है। इसी गांव में रहने वाले एक दलित व्यक्ति ने ब्रेड फैक्ट्री भी लगा रखी है। इस फैक्ट्री में उसने गांव के ही 15 लोगों को नौकरी देकर उनके परिवार का पेट भरने में मदद करने का काम किया है। लेकिन लाइट ना होने के कारण उस व्यक्ति को रोजाना लगभग 3000 रुपए का डीजल लगाकर उत्पादन करना पड़ता है। उसने कई बार संबंधित विभाग को शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वह सीएम और जिलाधिकारी से भी कई बार शिकायत कर चुका है। यह हाल तब है जब उसकी पत्नी खुद उस क्षेत्र से बीडीसी है। इस मामले में जिलाधिकारी कार्यालय से दोबारा क्षेत्र को दिखवाने की बात कही गई।

जानिए क्या है पूरा मामला?

यूपी के बाराबंकी में, फतेहपुर तहसील के निंदुरा ब्लाक के ग्रामसभा दीनपनाह में बिनवापुर गांव में लगभग 25 घर हैं। इनमें सबसे ज्यादा आबादी अनुसूचित जाति के लोगों की है। इसी गांव में राम सिंह रहते हैं। राम सिंह भी अनुसूचित जाति के व्यक्ति हैं। रमेश ने गांव में ब्रेड फैक्ट्री लगाकर गांव के ही लोगों को रोजगार भी दिया है। लेकिन गांव में लाईट न होने के कारण उत्पादन में अधिक लागत आती है। उन्होंने बताया कि, रोजाना लगभग 3 हजार का डीजल जलाकर उत्पादन करना पड़ता है।

गांव में लगा सोलर लाइट
यूपी: दलित युवक ने अपने ही गांव के 15 लोगों को दिया रोजगार, अब गांव में बिजली नहीं होने से कर रहा चुनौतियों का सामना

द मूकनायक ने इस मामले के हर पहलुओं को बारीकी से प्रकाश डाला और खबर प्रकाशित कर लोगों की तकलीफें जिलाधिकारी के समक्ष पहुंचाई थी। इसके बावजूद 10 दिन बाद तक गांव में लाइट नहीं पहुंच सकी है।

शाम को जल्दी खाना ख़ाकर सो जाते हैं लोग

गांव में लाईट न होने के कारण गांव के लगभग 300 से अधिक लोग आज भी इस आजाद भारत मे गुलामी जैसी जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। इस गांव के लोग शाम में जल्दी खाना बनाकर सो जाते हैं।

मार्च में होने है बोर्ड के पेपर बच्चों को पढ़ाई में होती है समस्या

गांव के रहने वाले रमेश बताते हैं, "गांव में लाईट न होने के कारण पढ़ने वाले बच्चों को काफी तकलीफ उठानी पड़ती है। आगामी मार्च में बोर्ड (हाईस्कूल और इंटरमीडिएट) के पेपर होने है। लाइट न होने के कारण बच्चों की पढाई और तैयारी पर भी असर पड़ रहा है।"

महिलाएं और बेटियां सूरज ढलने के बाद घर से नहीं निकलतीं

गांव के रहने वाले रामलखन बताते हैं, "सूरज ढलने के बाद गांव में अंधेरा हो जाता है। लाईट न होने के कारण समस्या होती हैं। गांव में रहने वाली महिलाएं और बेटियां घर से नहीं निकलती हैं। अंधेरे में घटना का डर होने के कारण वह घरों में ही रहती हैं।"

ब्रेड फैक्ट्री को संचालित करने के लिए लगाया गया जनरेटर, जिससे बिजली की आपूर्ति होती है। डीजल के बढ़े दामों के लिजह से यह काफी महंगा है।
ब्रेड फैक्ट्री को संचालित करने के लिए लगाया गया जनरेटर, जिससे बिजली की आपूर्ति होती है। डीजल के बढ़े दामों के लिजह से यह काफी महंगा है। सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

इलेक्ट्रॉनिक सामान लाईट न होने के कारण बेकार पड़े

मोहन बताते हैं, "बिजली न होने कारण टीवी, कूलर, फ्रिज और पंखा उपयोग में नहीं लाये जा सकते हैं। कई बार लोगों को शादी में यह उपकरण मिलते हैं। लाईट न होने के कारण यह उपकरण रखे-रखे खराब हो जाते हैं।"

बिजली न होने के कारण गांव में बेटी का रिश्ता करने से डरते हैं लोग

क्षेत्रीय ग्रामीणों के मुताबिक गांव में बिजली न होने के कारण हमारे गांव के युवकों का विवाह नहीं हो पाता। जब भी कोई रिश्ता लेकर गांव आता है तो बिजली न होने के कारण रिश्ता नहीं हो पाता है।

जानिये क्या कहते हैं जिम्मेदार?

इस पूरे मामले को लेकर 10 दिन पहले जिलाधिकारी बाराबंकी अविनाश कुमार ने द मूकनायक के जरिए मामला संज्ञान में आने की बात कहकर इसका निराकरण करने की बात कही थी। वहीं यह प्रश्न दोबारा करने पर जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा दोबारा इसे दिखवाने की बात कही गई है।

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