नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने संबद्ध संस्थानों और विभागों को सुबह 8 से रात 8 बजे तक कैंपस खोलने का निर्देश दिया है। डीयू ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के एक निर्देश का हवाला दिया है। डीयू ने नोटिफिकेशन जारी कर संबद्ध संस्थानों से एक्शन टेकन रिपोर्ट भी 31 मई से पहले मांगी है। निर्देश में बताया गया कि सभी कार्य दिवसों पर कक्षाओं और प्रयोगशाला सुविधाओं को सुबह 8 से रात 8 बजे तक खोला जाना चाहिए। वहीं, डीयू के इस निर्देश का विरोध भी शुरू हो गया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डीयू रजिस्टर प्रोफेसर विकास गुप्ता का कहना है कि "यूजीसी ने 11 जनवरी को सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संसाधनों को कहा है कि यूनिवर्सिटी में मौजूद संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए कदम उठाए जाएं। यूजीसी की गाइडलाइन में कहा गया है कि सभी अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रैजुएट स्टूडेंट्स और पीएचडी स्कॉलर्स की सुविधाएं बढ़ाने के लिए क्लासरूम और लैब सुविधा को कम से कम सुबह 8:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खोला जाए। सभी कॉलेजों और विभागों को यह कदम उठाने के लिए कहा गया है।"
टीचर्स और कर्मचारियों ने इस अधिसूचना का एतराज जताते हुए कहा है कि 12 घंटे क्लासरूम और लैब खोलने के फैसले को बिना एग्जिक्यूटिव काउंसलिंग में चर्चा और मंजूरी के लाया है। डीयू कर्मचारियों का भी कहना है कि इसे लागू करने के लिए स्टाफ चाहिए। जबकि पहले ही स्टाफ की कमी से जूझ रही है।
द मूकनायक ने इस मामले पर डीयू की एक छात्रा से बात की। छात्रा बताती हैं कि "हमारे कॉलेज में भी नया टाइम टेबल बनाया गया है। इस तरह से टाइम टेबल बना है कि हम और कोई कार्य नहीं कर सकते हैं। मेरी कुछ दोस्त हैं, जो बहुत दूर-दूर से आती हैं। कुछ गुरुग्राम नोएडा जैसी जगहों से भी आती हैं। यदि इतनी देर तक कॉलेज में रहना पड़ेगा तो सोचिए घर कब पहुंचा जाएगा। क्योंकि कुछ छात्राओं को आने जाने में दो-दो घंटे लग जाते हैं। मेरा कोर्स मार्क्स कम्युनिकेशन है जिसमें आसपास में हो रहे चीजों के बारे में पता होना चाहिए। तो इस टाइम टेबल से कैसे सब हो सकता है। क्योंकि सिर्फ क्लास या लेक्चर से पर्याप्त जानकारी नहीं मिल सकती। उसके लिए बाहर में भी जानकारी मिलनी चाहिए, और छात्र अपनी निजी जिंदगी की कुछ चीजों से जुड़े होते हैं। अपनी बेसिक बातें कैसे कर पाएंगे।अगर 8 का समय हो जाता है तो एक छात्र या छात्रा को आने-जाने में दोनों चीजों में संघर्ष करना होगा।"
मिरांडा हाउस कॉलेज में प्रिंसिपल और डेमोक्रेटिक्स टीचर्स फ्रंट की पदाधिकारी आभा देव हबीब का कहना है कि ऐसे समय में जब कॉलेजों में मूलभूत सुविधाओं व संसाधनों का अभाव है, तब ऐसे में यह निर्णय अनुचित है। सबसे बड़ी मुश्किल छात्राओं व हॉस्टल में न रहने वाले छात्रों को लेकर है। छात्रों के पास अपने लिए कोई समय नहीं होगा। छात्राओं की सुरक्षा भी इसी के अंतर्गत आती है।
12 घंटे समय के मामले पर उपजे विवाद को लेकर द मूकनायक ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी से बात की, "पहले तो यह जानना जरूरी है कि किन परिस्थितियों और क्यों यह सूचना जारी की है। यह सब तो विश्वविद्यालय प्रशासन ही बता सकता है कि ऐसा क्यों किया गया है। अगर एक आम आदमी की तरह से हम से पूछा जाए तो यह बहुत गलत है। क्योंकि 12 घंटे कार्य करना या कॉलेज में रहना यह विद्यार्थी और शिक्षकों दोनों के लिए कठिन होगा," नाम न लिखने की शर्त पर उन्होंने कहा।
वह कहते हैं कि "बाबा साहब ने कार्यों के लिए 8 घंटे का समय रखा था परंतु कई जगह पर 8 घंटे से ज्यादा काम लिया जाता है। बाबा साहब की इस बात को भी अनदेखा किया गया है। एक महिला शिक्षिका के लिए जो घर भी देखती है, और विद्यालय में भी पढ़ाती है, उसके लिए 12 घंटे की नौकरी करना बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है, और विद्यार्थियों को भी इससे परेशानी होगी क्योंकि वह विश्वविद्यालय के अलावा किसी और चीजों को समय नहीं दे पाएंगे। मान लीजिए ऐसी व्यवस्था हो भी जाती है कि 12 घंटे कार्य का समय कॉलेजों को दिया जाए, परंतु इसकी सुख सुविधाओं का ध्यान भी विश्वविद्यालय को सोचना पड़ेगा। जैसे कैंटीन की सुविधा, लाइब्रेरी की सुविधा, बच्चों के आने-जाने की सुविधा आदि की सुविधाओं के बारे में सोचना होगा। जब दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों की इतनी किल्लत है। आधे से ज्यादा शिक्षक कॉन्ट्रैक्ट पर हैं। तो कैसे यह फैसला लिया जा सकता है। यह शिक्षक और विद्यार्थियों दोनों के लिए परेशान करने वाली बात है।"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी शुक्रवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के पोस्ट ग्रैजुएट मेंस हॉस्टल पहुंचे और स्टूडेंट से बातचीत की। उन्होंने स्टूडेंट्स के साथ लंच भी किया। वह स्टूडेंट्स के बीच काफी उत्साहित नजर आए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राहुल ने उनसे उनके कैरियर के प्लान के बारे में बातचीत की और उनकी समस्याओं और उनके मुद्दों पर भी चर्चा की। स्टूडेंट्स ने बताया कि राहुल ने उनसे बेरोजगारी, यूनिवर्सिटी और हॉस्टल के मुद्दों पर चर्चा की। राहुल ने स्टूडेंट्स के कैरियर को लेकर भी बातचीत की।
आपको बता दें कि, पिछले महीने राहुल गांधी मुखर्जी नगर में भी स्टूडेंटड के बीच गए थे। जहां उन्होंने एस एस सी और यूपीएससी से बातचीत की थी।
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