दिल्ली। जाकिर हुसैन कॉलेज के सहायक प्रोफेसर लक्ष्मण यादव को बर्खास्त करने के बाद लगातार शिक्षक और छात्र, शिक्षकों पर हो रही कार्यवाहियों का विरोध कर रहे हैं। इसी क्रम में अब देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत हो रही है। 18 दिसंबर को देश भर में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपें जाएंगे, साथ ही शिक्षा क्रांति जुलूस में लोग क़लम क़िताब लेकर सड़क पर उतरेंगे।
जानकारी के मुताबिक आगामी सोमवार को इस आंदोलन से जुड़े लोग 6 सूत्री मांगों को लेकर देशभर में आंदोलन का आगाज करेंगे। राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर देश के समस्त विश्वविद्यालय का भगवाकरण और भेदभाव जैसे तमाम मामलों में कार्रवाई की मांग करेंगे। जिसमें प्रोफेसर्स की नियुक्ति भेदभाव और उन्हें बिना कारण संस्थान से निलंबित और बर्खास्त कर देने की कार्यवाही के मुद्दे अहम हैं।
यह हैं मांगें-
1. देश भर के विश्वविद्यालयों पर एक विचारधारा को थोपा जा रहा है, जिससे उच्च शिक्षा का स्वायत्त, निष्पक्ष, तटस्थ, समावेशी व संविधान पर आधारित चरित्र नष्ट हो रहा है।
2. विश्वविद्यालयों में प्रोफ़ेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया बेहद भेदभावकारी, अपारदर्शी और भ्रष्टाचारी है। जिसके चलते वास्तविक प्रतिभा का हनन हो रहा। कम प्रतिभावान लोगों के हाथों विद्यार्थियों का भविष्य संकट में है। बिहार, यूपी में नियुक्ति प्रक्रिया ज़्यादा पारदर्शी व न्यायप्रिय है। योग्यता को परखने की पात्रता अर्थहीन है। इसलिए नियुक्ति प्रक्रिया तत्काल बदली जाए।
3. केंद्रीय विश्वविद्यालयों के भीतर हर स्तर पर जातिगत, लैंगिक और अन्य कई क़िस्म के शोषण व भेदभाव बदस्तूर जारी हैं, जिसके चलते देश भर के विश्वविद्यालयों से वंचित शोषित जमात के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और प्रोफ़ेसरों के साथ अनवरत अन्याय हो रहा है।
4. सरकार व एक विचारधारा विशेष के प्रभाव में पाठ्यक्रम बदले जा रहे हैं, पीएचडी एडमिशन तक में घोर धांधली की जा रही है, विद्यार्थियों की सीटों व फ़ेलोशिप में कटौती हो रही, फ़ीस बेतहाशा बढ़ाई जा रही है, उच्च शिक्षा का क्रमिक निजीकरण किया जा रहा है।
5. अभी हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय से तक़रीबन एक हज़ार से ज़्यादा बेहद प्रतिभावान, अनुभवी शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया है। जो बेहद आपत्तिजनक है।
6. शिक्षकों को ठेके पर रखकर विश्वगुरु बनने का ख़्वाब देखा जा रहा है, जो बेहद ख़तरनाक है। छात्र शिक्षक अनुपात के वैश्विक मानक के तहत सभी पदों पर स्थाई नियुक्ति होनी चाहिए।
इधर, ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज के छात्र समुदाय ने सहायक प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मण यादव को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। छात्रों ने लिखा-
आदरणीय लक्ष्मण सर्,
यह पत्र हम छात्रों की तरफ़ से एक छोटा सा विदाई पत्र है। हम सब छात्र जो आपसे पढ़े हैं और जो आपको आपकी शैक्षणिक और सामाजिक ज्ञान की वज़ह से जानते हैं, उन सभी का दिल यह ख़बर पढ़कर दुखी है जो आपके साथ हुआ। आपका कक्षा में आना और हमें संबोधित करना शायद हमारे कॉलेज के सबसे खूबसूरत पल थे, जो अब यादें बन चुके हैं।
हम सब जानते हैं कि आपको इस तरह बिना किसी तर्क या कारण के निकाला गया है, उसके पीछे गहरी राजनीति है। जिन सामाजिक आदर्शों को आपसे कक्षा में पड़ते आए हैं, जमीनी स्तर पर उन सबकी धज्जियां उड़ता देख रहे हैं। लेकिन आपके ये पाठ हमारे लिए सिर्फ आदर्श मात्र नहीं हैं बल्कि जीवन व्यापन करने के महत्वपूर्ण अवमूल्यन बन चुके हैं। सामाजिक समानता, एकता, बन्दुत्व और न्याय की आदर्शवादी बातें जो हमने आपसे सीखी है। अब उन सबको जमीनी स्तर पर लागू कराने के लिए लड़ना चाहते हैं...। "
पत्र के अंत में यह लिखा
"आख़िर में यही लिखना चाहते हैं कि आपके दिखाए रास्ते पर हम चलते रहेंगे और आपके विचारों को इन कक्षाओं और कैंपस में जिंदा रखेंगे, हम सब आपके लिए इस क्रूर व्यवस्था से लड़ते रहेंगे, जैसा पाश लिखते हैं कि हम लड़ेंगे और लड़ते रहेंगे कि जब तक लड़ने की जरूरत बाकी है।"
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.