नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के नेतृत्व में विभिन्न छात्र संगठनों की ओर से नीट-यूजी दोबारा कराए जाने को लेकर जंतर-मंतर पर धरना जारी रखा है।
गुरुवार को सुबह छात्र जंतर-मंतर पर जुट गए हैं। अपराह्न बिहार की काराकाट लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजाराम सिंह धरने में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि छात्रों की मांग जायज है। सरकार को तुरंत मांगों को मानकर कार्रवाई करनी चाहिए। गत बुधवार को छात्रों ने धरना शुरू किया था, लेकिन शाम को दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। इसके बाद जेएनयूएसयू अध्यक्ष धनंजय ने प्रदर्शन का आह्वान किया है।
बुधवार को ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) और दिल्ली विश्वविद्यालय के क्रांतिकारी युवा संगठन सहित विभिन्न संगठनों से जुड़े सैकड़ों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था। उन्होंने नीट-यूजी परीक्षा के लिए दोबारा परीक्षा लेने और परीक्षाओं के केंद्रीकरण को समाप्त करने की भी मांग की है।
द मूकनायक ने कुछ छात्रों से उनकी मांगों और विरोध के बारे में बात की। दिल्ली विश्वविद्यालय के पीएचडी स्कॉलर मांडवी ने कहा कि छात्रों को लगता है कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। मांडवी ने आगे कहा, "हम एनटीए को खत्म करने और निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष धनंजय भी विरोध प्रदर्शन में मौजूद थे। उन्होंने शिक्षा मंत्री से कहा कि छात्रों का एनटीए पर सेभरोसा खत्म हो गया है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार सब कुछ केंद्रीकृत करने पर जोर दे रही है- एक राष्ट्र, एक राष्ट्र, एक धर्म, एक भाषा और अब एक राष्ट्र, एक परीक्षा- विफल हो रही है। इस जिद के कारण बच्चे खामियाजा भुगत रहे हैं।
कई प्रमुख चेहरे भी विरोध प्रदर्शन को समर्थन दे रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जितेंद्र मीना भी मौके पर मौजूद थे और उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति का असर सिर्फ छात्रों पर ही नहीं बल्कि उनके अभिभावकों और शिक्षकों पर भी पड़ रहा है।
प्रो. लक्ष्मण यादव ने ग्वालियर के एक छात्र के बारे में एक बहुत ही निजी कहानी बताई जिसे वे जानते थे। छात्र आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से था और पैसे कमाने के लिए स्थानीय मोबाइल की दुकान पर पार्ट-टाइम काम करता था और बीच में जो भी समय और संसाधन उसके पास थे, उससे यूजीसी नेट की तैयारी करता था।
वह पिछले कई सालों से पेपर की तैयारी कर रहा था। एंट्रेंस के बाद वह यह सोचकर घर गया कि उसने अच्छा प्रयास किया है और उसे लगभग 94% अंक मिलने की उम्मीद थी। लेकिन प्रवेश निरस्त होने की खबर ने उसे तोड़कर रख दिया।
इसके बाद छात्र ने लक्ष्मण यादव को फोन किया और पूछा, "मैं अपने परिवार को कैसे समझाऊँ कि मैं एक और साल ठीक से कमाई नहीं कर पाऊँगा, वह भी ऐसे कारण से जिसके लिए मैं दोषी नहीं हूँ?"
जेएनयूएसयू ने पीएचडी में प्रवेश के लिए एनटीए की ओर से आयोजित परीक्षा को समाप्त करने की मांग की गई है। बता दें कि परीक्षाओं की “अखंडता” से समझौता किए जाने के इनपुट के बाद यूजीसी-नेट और नेट पीजी सहित एजेंसी द्वारा आयोजित कई परीक्षाएं रद्द कर दी गईं।
शिक्षा मंत्रालय ने एनटीए के महानिदेशक सुबोध सिंह को हटा दिया है और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है।
एनटीए के कामकाज की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की सिफारिश करने के लिए पूर्व इसरो प्रमुख के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया है।
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