दिल्ली: MCD स्कूलों में कम हुए बच्चे-नामांकन भी घटा, जानिए क्या है कारण?

टीचर नहीं देते पढ़ाई पर ध्यान, इसलिए अभिभावक दूसरे स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने को मजबूर।
दिल्ली: MCD स्कूलों में कम हुए बच्चे-नामांकन भी घटा, जानिए क्या है कारण?
Published on

नई दिल्ली: एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज हुई है। पिछले साल एमसीडी के 1535 स्कूलों में 8.74 लाख बच्चे पढ़ रहे थे। वहीं इस साल बच्चों की संख्या 7.88 लाख है। पिछले साल के मुकाबले इस साल बच्चों की संख्या में 86 हजार की कमी आई है। इतना ही नहीं इस साल पिछले साल के मुकाबले 109867 बच्चों के कम दाखिले हुए है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एमसीडी कमिश्नर ने अपने बजट भाषण में एजुकेशन विभाग सहित अन्य सभी विभागों की उपलब्धियों के बारे में डिटेल में बात की। एमसीडी कमिश्नर ने बताया कि किस तरह से एमसीडी के स्कूलों की व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव किया जा रहा है। एमसीडी स्कूलों को दिव्यांग फ्रेंडली बनाने के लिए प्लानिंग चल रही है। लेकिन एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में काफी कमी आई है। साल 2022-23 में एमसीडी स्कूलों की संख्या 1535 थी। पिछले साल तक इन स्कूलों में 8.74 लाख बच्चे पढ़ रहे थे। पिछले साल 3,02,4097 बच्चों के लिए नए दाखिले लिए थे। इस साल एमसीडी स्कूलों में 7.88 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। यानी 1 साल में 86000 बच्चे काम हो गए हैं। जबकि इस साल टीचर्स की संख्या पिछले साल के मुकाबले 18326 से बढ़कर 19618 हो गई। इस साल 2,14, 230 बच्चों के दाखिले हुए हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल एक 109867 कम दाखिले हुए।

बच्चों की संख्या घटने के बारे में एजुकेशन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना से पहले जो बच्चे पब्लिक स्कूलों में पढ़ रहे थे। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्हें अपने बच्चों का एडमिशन एमसीडी स्कूल में कर दिया था। पिछले साल तक कोरोना का प्रभाव रहा। इस साल ज्यादातर पेरेंट्स की आर्थिक स्थिति बेहतर होते ही, उन्होंने अपने बच्चों को एमसीडी स्कूल से निकालकर प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करा दिया।

द मूकनायक ने एमसीडी में पढ़ने वाली एक छात्रा रीना (बदला हुआ नाम) से बात की। वह बताती है कि "हमारे स्कूल में ज्यादातर पढ़ाई नहीं होती। बहुत ही कम पढ़ाई होती है। हमारे अध्यापक है जो ठीक-ठाक ही पढ़ाते हैं। परंतु कुछ अध्यापक एक-एक दिन छोड़ छोड़ कर आते हैं, जिससे हमारी पढ़ाई पर फर्क पड़ता है, लेकिन अब पहले से सुधार हो रहा है। अभी बहुत सुधार की जरूरत है।"

द मूकनायक ने एमसीडी स्कूल के एक अध्यापक से भी बात की। नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त उन्होंने बताया कि "एमसीडी स्कूलों में पढ़ाई ही नहीं होती है। इसलिए ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल से निकलवा लेते हैं। अध्यापक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वह स्कूल तो आते हैं, लेकिन ज्यादातर उनका समय स्टाफ रूम में ही गुजरता है। जब पीरियड के लास्ट 10 मिनट बचते हैं। तब अध्यापक क्लास में जाते हैं। बताइए पढ़ाई कैसे होगी। इसमें गलती प्रिंसिपल से लेकर हर उस टीचर की है जो बच्चों पर ध्यान नहीं दे रहा है। अब उच्च अधिकारियों ने औचक निरीक्षण शुरू किया है जिससे पढ़ाई पर ध्यान दिया जा रहा है।"

दिल्ली: MCD स्कूलों में कम हुए बच्चे-नामांकन भी घटा, जानिए क्या है कारण?
उत्तर प्रदेश: हर्ष फायरिंग में दलित किशोर की मौत, थम नहीं रहे गैरइरादतन हत्या के मामले
दिल्ली: MCD स्कूलों में कम हुए बच्चे-नामांकन भी घटा, जानिए क्या है कारण?
मध्य प्रदेश: 11 साल बाद भी नहीं हुआ भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों का रिकॉर्ड डिजिटलाइजेशन
दिल्ली: MCD स्कूलों में कम हुए बच्चे-नामांकन भी घटा, जानिए क्या है कारण?
ऐतिहासिक फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को ठहराया वैध, कश्मीर मसले के संघर्ष पर विराम!

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com