जयपुर। राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के वंचित-शोषित तबके से आने वाले कुछ उत्साही युवाओं ने आर्थिक परेशानियों से जूझकर पढ़ाई की। उसके बाद उनकी नौकरी लग गई। अब उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने के बाद दलित-आदिवासी व अल्पसंख्यक समाज से आने वाले जरूरतमंद व आर्थिक परेशानी से जूझते छात्रों की निर्बाध पढ़ाई के लिए लाइब्रेरी का निर्माण किया है। इस पुस्तकशाला में हर जाति-समाज के बच्चे नि:शुल्क पढ़ सकते हैं। युवा, जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को पढ़ाई जारी रखने के लिए आर्थिक मदद तो देते ही हैं, साथ ही जनसरोकारी काम भी करते हैं।
इस संस्था के संयोजक व आदिवासी समाज से आने वाले प्रेमलाल मरमट राजस्थान के मलारना चौड़ कस्बे के निवासी हैं। प्रेमलाल द मूकनायक को बताते हैं कि सर्वश्रेष्ठ लाइब्रेरी एजुकेशन फाउंडेशन संस्था रजिस्टर्ड नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन है। सभी वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को संस्था द्वार संचालित लाइब्रेरी में प्रवेश दिया जाता है। 2019 से संस्था गंगापुर सिटी में लाइब्रेरी का संचालन कर रही है।
प्रेमलाल कहते हैं, शोरगुल से दूर शांत माहौल पढ़ाई के लिए सर्वश्रेष्ठ रहता है। संस्थान भी अध्ययन के लिए विद्यार्थियों को ऐसा ही माहौल उपलब्ध करवाता है। लाइब्रेरी में सभी बोर्डस की टेक्स्ट बुक्स्, प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबें-गाइड सहित साहित्य, दर्शन, नाटयशास्त्र अन्य तमाम विषयों की पुस्तकें उपलब्ध हैं।
संस्था से जुड़े पीएल मरमट कहते हैं कि, लाइब्रेरी में देश के जननायकों व महापुरुषों की जयंती के दिवस पर विभिन्न क्षेत्र में कार्यरत नामचीन लोगों को बुलाकर व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इससे बच्चों को विभिन्न विषयों की गहन और गूढ़ जानकारी प्राप्त होती है। इन परिचर्चाओं से उनका व्यक्तित्व का विकास भी होता है।
सर्वश्रेष्ठ लाइब्रेरी एजुकेशन फाउंडेशन संस्था के फाउंडर रामकिशोर मीना बताते हैं कि वह गरीब परिवार से आते हैं। कक्षा 6 से ही चाय की दुकान पर काम किया। काम करते हुए 2003 में गांव के ही सरकारी स्कूल से तृतीय श्रेणी से कक्ष 10वीं पास की। इलेक्ट्रिशियन में आईटीआई के लिए आवेदन किया, लेकिन कम प्रतिशत होने से सरकारी संस्था में नम्बर नहीं आया। निजी संस्था में आवेदन किया। फीस भरने के लिए 30 हजार रुपए नहीं थे। फिर एक रिश्तेदार ने दौसा जिले के लालसोट से 16 हजार रुपए फीस में आईटीआई करवाने के लिए कहा, "हमारे पास 16 हजार रुपए भी नहीं थे।" रामकिशोर कहते हैं कि, उनके पिता ने मां के हाथों के चांदी के कड़े बेंच कर 16 हजार रुपए आईटीआई की फीस भरी। पैसों की कमी के कारण न कोचिंग मिली न अन्य सुविधा मिली। ऐसे में लालटेन की रोशनी में पढ़ाई की। 2009 में रेलवे लोको पायलट में चयन हुआ। तब से ही मन में एक लगन थी कि आर्थिक तंगी किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई में बाधा नहीं बने। 2019 में एक दोस्त ने सलाह दी कि लाइब्रेरी में शिक्षण सुविधाएं उपलब्ध करवा कर निर्धन बच्चों को मदद कर सकते हैं। तब से संस्था बनाकर शिक्षा के क्षेत्र में सेवा दे रहे हैं। रामकिशोर कहते हैं कि, "जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत है। वह बच्चे संस्था को आर्थिक सहयोग भी करते हैं। अनुसूचित जाति, जनजाति व अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता दी जाती है।"
झालावाड़ जिले में सिंचाई विभाग के कालीसिंध बांध पर कनिष्ठ अभियंता के पद पर कार्यरत दिनेश महावर बताते हैं कि, "मैं गरीब घर से हूं। पढाई के दौरान कोचिंग के लिए भी मेरे पास पैसे नहीं थे। सर्वश्रेष्ठ लाइब्रेरी के फाइंडर रामकिशोर मीना से मेरी मुलाकात हुई। उन्हें अपनी मजबूरी बताई तो उन्होंने गंगपुर सिटी में संचालित लाइब्रेरी रहकर नि:शुल्क शिक्षण सामग्री व सुविधा उपलब्ध कराई। अन्य तरह से भी मदद की। आज में इस पद पर इसी संस्था की वजह से हूं। अब मेरी सरकारी नौकरी है। मैं भी संस्था के माध्यम से गरीब वर्ग के बच्चों की मदद करना चाहता हूं।"
सर्वश्रेष्ठ लाइब्रेरी के सौजन्य से नव वर्ष पर गंगापुर सिटी में 5वां रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। इस दौरान सर्वश्रेष्ठ लाईब्रेरी से सरकारी जॉब लगने वाले प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। रक्तदान शिविर की व्यवस्थाएं पार्षद मोहम्मद इस्माइल ने की। इस्माइल ने द मूकनायक को बताया कि, उन्होंने शुरुआत में इसी संस्था की लाइब्रेरी में निशुल्क पढ़ाई की थी। वर्तमान में वह गंगापुर सिटी में पार्षद हैं। इस्माइल कहते हैं कि, "वर्तमान के प्रतिस्पर्धा व पैसों की ललक के इस दौर में भी सर्वश्रेष्ठ लाइब्रेरी फाउंडेशन संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं दे रहा है। यह सराहनीय है।"
रक्तदान शिविर व प्रतिभा सम्मान समारोह में डॉक्टर हरिसिंह मीना, डॉ. नीलम मीना, मलारना चौड़ सरपंच पति व समाज सेवी रामावतार मीना, छात्र नेता अर्जुन महर मौजूद रहे।
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