जमुई- बिहार के जमुई जिले के एक हॉस्टल से शनिवार को 55 छात्राएं फरार हो गई। हॉस्टल में खाना मिलने के कारण छात्राओ ने यह कदम उठाया। घटना रात की है जब गार्ड को अचानक नींद आ गई और छात्राएं गार्ड से चाबी चुराकर गेट खोलकर फ़रार हो गई। जब गार्ड की सुबह नींद खुली तो देखा हॉस्टल में एक भी छात्रा मौजूद नहीं थी। हॉस्टल का गेट भी खुला था। बताया जा रहा है कि ये सभी छात्रा हॉस्टल से भागकर घर चली गई थी। इस घटना के बाद हॉस्टल में अफरा-तफरी मच गई। हालांकि, खोजबीन कर तीन छात्राओं को सोनो चौक से वापस हॉस्टल लाया गया। इधर, शिक्षक और वार्डन ने छात्राओं के परिजनों से संपर्क किया। सभी छात्राओं से हॉस्टल वापस आने के लिए कहा गया, जिसके बाद अब तक 22 छात्राएं वापस आ गई। छात्राओं ने हॉस्टल पर खाना नहीं देने का आरोप लगाया है। सभी लड़कियां क्लास 9-10 की छात्राएं हैं।
बिहार के जमुई के सोनो प्रखंड स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका हॉस्टल पड़ता है। इसी हॉस्टल से 55 छात्राएं फरार हुई.घटना 10 सितंबर की है। छात्राओ का आरोप है कि उन्हें रात में खाना नहीं मिला तो भाग गई। हॉस्टल लौटने वाली छात्राओं का आरोप है कि जब तक हम लोग खाना बनाने में सहयोग नहीं करते हैं, तब तक खाना नहीं बनता और न ही हम लोगों को खाना मिलता है।'
घटना को बताते हुए नाइट गार्ड अविनाश कुमार ने बताया -'मेरी आँख सुबह 3.30 लग गई। उसके बाद लड़कियां अंदर से चाबी लेकर ताला खोल कर निकल गईं। इसके बाद तीन लड़कियों को बाहर से पकड़ कर लाए।'
जानकारी के मुताबिक, शिक्षिका गुड्डी कुमारी ने बताया शनिवार की रात में खाना नहीं बना था। इसलिए सभी लड़कियां भागी। गुड्डी ने बताया कि रात के दो बजे तक मैं भी जाग रही थी और सभी लड़कियों को समझा रही थी। इसके बाद मैं सोने चली गई। थोड़ी देर बाद बाथरूम गई। उसी दौरान मेरे तकिया के नीचे से कब लड़कियां चाबी लेकर वहां से बाहर निकल गईं, पता भी नहीं चला। बाहर आकर देखा तो सभी लड़कियां गायब थीं। इसके बाद मैं बाहर दौड़कर गई, गार्ड को जगाया। तब दोनों बाहर जाकर 3 लड़कियों को पकड़कर लाए। शिक्षिका का कहना है कि मुझे आए सिर्फ 12 दिन ही हुआ है। मुझे नहीं पता यहां की वार्डन का पहले से क्या चल रहा है।'
सोनाली कुमारी और खुशबू कुमारी ने बताया द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया- 'हमें शनिवार दोपहर से खाना नहीं मिला। रात में तो खाना मिलता ही नहीं है। हम लोग भूखे थे, इसलिए अपने घर चले गए। हॉस्टल में इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही है। यहां पर रसोइया मौजूद होने के बावजूद रात को खाना नहीं मिलता है। समय पर खाना नहीं मिलने के कारण सुबह क्लास जाने में भी देरी होती है। देर से क्लास जाने पर टीचर से डांट पड़ती है। वार्डन दो दिन से छुट्टी पर गईं हैं। हम लोग अभी गुड्डी मैडम की देखरेख में हैं। छात्राओं ने आरोप लगाया कि हॉस्टल की फीस भी 1600 की जगह हम लोगों से 2200 रुपए लिए गए हैं। फिर भी व्यवस्था सही नहीं रहती। इसलिए हम सभी बिना बताए एक साथ छात्रावास से निकली और अपने-अपने घर चले गए।'
हॉस्टल वापस लौटी प्रियंका कुमारी ने पूरी घटना के बारे में द मूकनायक प्रतिनिधि को बताते हुए कहा-'रात के दो बज रहे थे। मैडम बाथरूम के लिए गई थी। उसी दौरान हम लोगों ने गेट की चाबी चुराई और हॉस्टल की सभी लड़कियां एक साथ भाग गईं। छात्रा ने बताया कि गेट पर गार्ड नहीं था। वो अपने कमरे में सोया था। गार्ड के सही से ड्यूटी भी नहीं करता है।'
कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय टाइप-4 के प्रभारी प्रिंसिपल सह-संचालक प्रशांत कुमार ने बताया कि इस मामले की जानकारी हुई थी। इसके बारे में पूरी जानकारी वार्डन ही दे सकती हैं। रविवार को मैं घर पर था। सूचना मिलने के बाद छात्रावास पहुंच कर मामले की जानकारी ली। अभी तक 22 छात्राएं लौटकर आ चुकी हैं। मामला बहुत गंभीर था। इसकी जांच की जा रही है।
इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी कपिल देव तिवारी ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया । उन्होंने कहा कि हमें इस तरह की जानकारी नहीं मिली है।
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