MP में गैर-मुस्लिम बच्चों के मदरसों में पढ़ने पर रोक, डीपीआई ने आदेश किया जारी

संविधान के अनुच्छेद 28(3) के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी बच्चे को उसके अभिभावक की सहमति के बिना धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती।
सांकेतिक तस्वीर
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भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों के पढ़ने पर कड़ा रुख अपनाते हुए नया आदेश जारी किया है। सरकार ने मदरसों को साफ चेतावनी दी है कि अगर उनके यहां हिंदू बच्चे पढ़ते हुए पाए गए, तो न केवल उनकी आर्थिक सहायता बंद कर दी जाएगी, बल्कि उनकी मान्यता भी रद्द कर दी जाएगी। इस आदेश के साथ, सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 28(3) का हवाला दिया है, जो कहता है कि बिना अभिभावकों की सहमति के, गैर-मुस्लिम बच्चों को धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती है।

दरअसल, मध्य प्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) की आयुक्त शिल्पा गुप्ता द्वारा जारी इस आदेश में कहा गया है, कि प्रदेश के सभी मदरसों का निरीक्षण किया जाएगा। यह देखा जाएगा कि उनमें कोई गैर-मुस्लिम बच्चे तो नहीं पढ़ रहे हैं। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मदरसों का दौरा करने और आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

सरकार ने स्पष्ट किया है, कि जिन मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों के पढ़ने की पुष्टि होगी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले भी राज्य में कई शिकायतें आई थीं कि कुछ मदरसों में हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं। इन शिकायतों की जांच के दौरान यह भी पता चला था कि कुछ मदरसे केवल कागजों में ही चल रहे हैं और उनमें बड़ी संख्या में हिंदू बच्चे दाखिल हैं। इसके बाद ही सरकार ने यह कदम उठाया है।

इस मामले में, मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा, "प्रदेश में सभी शैक्षणिक संस्थाओं को नियमों का पालन करना होगा। जो शैक्षणिक संस्थाएं नियम के विरुद्ध पाई जाएंगी, उनकी मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई सख्ती के साथ की जाएगी। चाहे वह सहायता प्राप्त स्कूल हो, निजी संस्थान हो या मदरसा, किसी में भी अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।"

यह है संवैधानिक प्रावधान

संविधान के अनुच्छेद 28(3) के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी बच्चे को उसके अभिभावक की सहमति के बिना धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। इस प्रावधान का हवाला देते हुए सरकार ने मदरसों को निर्देशित किया है कि वे इस नियम का पालन करें। नहीं तो उनपर कार्रवाई की जाएगी। मध्य प्रदेश सरकार का यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि धार्मिक शिक्षा के मामले में संविधान का पूर्ण रूप से पालन हो।

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