भोपाल। मध्यप्रदेश में अक्सर शासकीय भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के मामले सामने आते रहते हैं। हाल ही में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MP PCS) की रविवार को आयोजित आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी परीक्षा विवादों में घिर गई है। परीक्षा के प्रश्न पत्र पर कुछ जगह व्हाइटनर लगा मिला है। इसको लेकर परीक्षार्थियों ने आयोग को शिकायत की है। उन्होंने परीक्षा में गड़बड़ी की आशंका जताई है। इस मामले की सोमवार को शासन और पीएससी को उम्मीदवारों ने शिकायत की। जिसमें प्रश्नपत्र में कुछ जगह व्हाइटनर लगा था। अब आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी की परीक्षा सवालों के घेरे में है।
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने 692 पदों के लिए परीक्षा भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में ऑफलाइन आयोजित की थी। इस परीक्षा में 4 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए। परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों ने शिकायत में बताया है कि प्रश्न पत्र के चार सेट थे। इनमें एक सेट में पहले से व्हाइटनर लगा था। उन्होंने प्रश्न पत्र लीक होने की आशंका व्यक्त की है।
भोपाल में महात्मा गांधी स्कूल और एमएलबी को सेंटर बनाया गया था। शिकायत में कई सेंटर पर सीसीटीवी नहीं लगे होने की भी शिकायत की गई है। इस मामले की शिकायत के बाद अब उम्मीदवार प्रश्न पत्र लीक होने की आशंका के चलते एफआईआर करने की भी तैयारी कर रहे है। बता दें प्रदेश में 2015 के बाद आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी की परीक्षा आयोजित हुई थी।
ग्वालियर के परीक्षा केंद्र में सीसीटीवी कैमरे नहीं थे
शिकायतकर्ता डॉक्टर प्रशांत शर्मा ने बताया कि यह परीक्षा कुल 692 पदों के लिए 25 सितंबर 2022 को दोपहर 12 से 3 बजे के बीच आयोजित की गई थी, जिसमें कुल 4999 अभ्यर्थियों में से 4300 अभ्यर्थी उपस्थित रहे। उन्होंने और उनकी पत्नी ने भी परीक्षा दी थी। पत्नी का सेंटर ग्वालियर के पद्मा कॉलेज में था। जहाँ सीसीटीवी कैमरे नहीं थे।
खाली आंसर शीट जमा करने का आरोप-
शिकायतकर्ता के मुताबिक सेट-। पेपर के प्रश्न पत्र क्रमांक पर व्हाइटनर लगा हुआ था। डॉक्टर प्रशांत शर्मा का कहना है कि उनके पास इंदौर और जबलपुर से भी इसी तरह की गड़बड़ी होने के संबंध में कुछ अभ्यर्थियों ने संपर्क किया। उनका कहना है कि उनके पास इस तरह के 10 प्रश्नपत्र है, जो गड़बड़ी की ओर इशारा करते हैं। कुछ अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में खाली आंसर शीट भी जमा की।
संविदा कर्मचारियों को बोनस अंक दिए गए
डॉक्टर प्रशांत ने बताया कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी की परीक्षा का आयोजन करीब 7 से 8 साल बाद किया गया है। आयुर्वेद चिकित्सक इस परीक्षा का वर्षों से इंतजार कर रहे थे। इस परीक्षा में पहले से ही संविदाकर्मियों को 67.5 बोनस अंक देकर अन्याय किया गया है और अब परीक्षा में इस तरीके की गड़बड़ी देखने को मिली है। जबकि इस परीक्षा का पहले से ही विरोध हो रहा था।
कमलनाथ ने कहा डिग्रीधारी आयुर्वेदिक डॉक्टर बेरोजगार-
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गत 12 सितंबर को कहा कि एमपीएससी द्वारा बनाई गई चयन प्रक्रिया न्याय संगत नहीं है। उन्होंने कहा था कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी द्वितीय श्रेणी के 692 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया संचालित कर रहा है परंतु मध्यप्रदेश में लगभग 15000 डिग्रीधारी आयुर्वेदिक डॉक्टर, बेरोजगार हैं।
संशोधन बना विरोध का कारण
अभ्यर्थियों का कहना है कि आयुष विभाग द्वारा मध्य प्रदेश आयुष विभाग सेवा भर्ती नियम 2013 में संशोधन किया गया। इस कारण आयुष चिकित्सक के पद पर कार्यरत अथवा पूर्व में कार्यरत रहे संविदा आयुष चिकित्सकों को भर्ती की लिखित परीक्षा में निर्धारित पूर्णांकों के 3 प्रतिशत अंक प्रतिवर्ष के हिसाब से अधिकतम 5 वर्ष के लिए 15 प्रतिशत बोनस अंक दिए जाने का प्रावधान किया गया। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि मूल भर्ती नियमों में ऐसा प्रावधान नहीं था। शासन द्वारा वर्ष 2018 में नियमों में संशोधन करके संविदा चिकित्सकों को बोनस अंक का लाभ मात्र एक बार देने का निर्णय लिया गया, जिसे वर्ष 2021 में संशोधन के साथ पुनः लागू किया गया।
वर्ष 2015 में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित आयुष चिकित्सा अधिकारी की परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्तकर्ता एवं कटऑफ अंक प्राप्तकर्ता के मध्य मार्क्स का अंतर 67.5 अंकों से अत्यधिक कम रहा है और इस तरह की स्थिति यदि वर्तमान परीक्षा में निर्मित होगी तो नवीन अभ्यर्थियों के चयन की संभावना ही समाप्त हो जाएगी। इस विषय में माननीय उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाएं भी विचाराधीन हैं।
वहीं बेरोजगार चिकित्सकों का कहना है की संविदा पर नियुक्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अवसर प्रदान करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र 05 जून 2018 में जारी निर्देशानुसार मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरे जाने वाले श्रेणी 1,2 के चिन्हित पदों पर संविदा सेवकों को नियमित भर्ती में अवसर देने के लिए कार्यरत अवधि अनुसार अधिकतम 55 वर्ष तक की आयु सीमा में छूट का लाभ प्रदान किए जाने के निर्देश हैं, अन्य कोई निर्देश नहीं है।
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