उत्तर प्रदेश। यूपी में आजमगढ़ के मातबरगंज में राजकीय अम्बेडकर छात्रावास को 24 जनवरी 2023 को खाली करा दिया गया, जिसमें लगभग 48 छात्र रह रहे थे। जानकारी के मुताबिक 2013 तक सारी सुविधाएं दी जा रही थीं। छात्रों का आरोप है कि यह हॉस्टल आबादी की जमीन पर बना हुआ है। भूमाफियाओं ने मिलकर इस जमीन पर कब्जा कर लिया है। वहीं समाज कल्याण अधिकारी का कहना है यह हॉस्टल 2013 के बाद से विभाग के अधीन नहीं था। इस मामले में छात्रों ने खतौनी भी उपलब्ध कराई है।
यूपी में आजमगढ़ के मातबरगंज में सन 1965 में कुर्सी टोला रोड पर हॉस्टल बनाया गया था। अब तक यहां सैकड़ों छात्रों ने रहकर पढ़ाई की। अधिकांश छात्र अब उच्च पदों पर सरकारी सेवाएं दे रहे हैं। इस हॉस्टल में वर्तमान में 48 छात्र रह रहे हैं, जिसमें लगभग 30 छात्र ग्रेजुएशन कर रहे हैं। जबकि 18 छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करके सरकारी सेवाओं की तैयारी कर रहे हैं।
छात्रों ने बताया, "समाज कल्याण विभाग द्वारा 2013 तक सारी सुविधाएं अनवरत मिल रही थीं। 2013 के बाद सारी सुविधा बन्द कर दी गई। अम्बेडकर छात्रावास को 24 जनवरी 2023 को कोर्ट के एकपक्षीय आदेश पर पुलिस बल द्वारा खाली करा दिया गया।"
छात्रों का आरोप है कि सभी छात्रों के सामान जबरदस्ती पुलिस बल द्वारा 15 मैजिक पर ले जाकर बाल कल्याण समिति के खुले ग्राउण्ड पर छोड़ दिया गया। वहीं हॉस्टल को खाली कराने वाले बचाव पक्ष के वकील का कहना कि हॉस्टल में रहने वाले सदस्य को कोर्ट के जरिये हॉस्टल खाली करने के लिए नोटिस भेजा गया था। आदेश की अवहेलना करने पर यह हॉस्टल पुलिस बल की मौजूदगी में खाली कराया गया।
छात्रों ने बताया, "परीक्षा काफी नजदीक है। हॉस्टल से इस समय बेदखल करने के कारण सभी का भविष्य खतरे में है।"
जानकारी के मुताबिक, छात्रावास की जमीन गाटा सं0 404 में निहित 283 नम्बर पर आबादी के रूप में काबिज है। छात्रावास सन् 1965 से चल रहा है। 24 जनवरी को इसे खाली कराया गया था। छात्रावास में बाबा साहब डॉ० भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति भी लगी हुई।
छात्रों ने बताया कि, "हम छात्रावास में रहकर पढाई करते थे। समाज कल्याण विभाग ने इसकी कभी मरम्मत नहीं कराई। हम सभी छात्र चंदा इकट्ठा करके इसकी मरम्मत करते थे। इस छात्रावास का हम घर जैसा समझते थे।"
इस मामले में एसडीएम सदर का कहना है, "हॉस्टल आबादी की जमीन पर बनी है। आबादी की जमीन किसी के नाम दर्ज नहीं होती। एक लंबे समय तक जो व्यक्ति ऐसी जमीन पर काबिज रहता है या रह रहा है, वह उसका मालिक होता है। दीवानी कोर्ट के जरिये यह फैसला सुनाया गया है।"
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