69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला: कोर्ट ने चयन सूची को माना अवैध, बेसिक शिक्षा विभाग को फिर से नवीन चयन सूची बनाने का दिया आदेश

कोर्ट ने कहा कि, 69000 शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर आरक्षण घोटाला हुआ है, अतः हम पूरी चयन सूची को अवैध मानते हैं, और बेसिक शिक्षा विभाग को फिर से नवीन चयन सूची बनाने का आदेश देते हैं जिसमे ’उत्तर प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994’ का पालन हो.
ग्राफिक- द मूकनायक
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उत्तर प्रदेश। लगभग चार सालों के लंबे संघर्ष के बाद 69000 शिक्षक भर्ती में हुए आरक्षण घोटाले की वजह से 6800 अभ्यर्थियों की नियुक्तियाँ अभी तक लटकी हुईं थीं, अब उन्हें जाकर राहत मिली है। 13 अगस्त को न्यायाधीश बृज राज सिंह और अत्ताउ रहमान मसूदी की लखनऊ हाईकोर्ट डिविजन बेंच की ओर से आदेश जारी कर नई चयन सूची जारी करने का आदेश दिया गया है.

मंगलवार को जारी आदेश में, कोर्ट ने कहा कि, "69000 शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर आरक्षण घोटाला हुआ है, अतः हम पूरी चयन सूची को अवैध मानते हैं, और बेसिक शिक्षा विभाग को फिर से नवीन चयन सूची बनाने का आदेश देते हैं जिसमे ’उत्तर प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994’ का पालन हो."

"यदि आरक्षित श्रेणी का अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित योग्यता के समकक्ष योग्यता प्राप्त करता है, तो मेधावी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी को आरक्षण अधिनियम, 1994 की धारा 3(6) में निहित प्रावधानों के अनुसार सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।"
लखनऊ हाईकोर्ट डिविजन बेंच

अपने आदेश में कोर्ट ने आगे कहा, "सेवा नियम, 1981 के नियम 14 में उल्लिखित गुणवत्ता बिन्दुओं के आधार पर चयन सूची तैयार करने के पश्चात आरक्षण अधिनियम, 1994 की धारा 3(6) के अन्तर्गत आरक्षण नीति अपनाई जाएगी।"

नियुक्ति के लिए नई चयन सूची तैयार करते समय, यदि कार्यरत अभ्यर्थियों में से कोई भी राज्य सरकार/सक्षम प्राधिकारी की कार्रवाई से प्रभावित होता है, तो उन्हें सत्र लाभ दिया जाएगा, ताकि छात्रों को नुकसान न हो। इस आदेश की प्राप्ति की तिथि से तीन महीने की अवधि के भीतर इस निर्णय के अनुसार पूरी प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
लखनऊ हाईकोर्ट डिविजन बेंच

कोर्ट के आदेश आने के बाद प्रतियोगी छात्र व लंबे समय से अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे बृजेश सिंह ने द मूकनायक से खुशी जाहिर करते हुए बताया कि, "अंततः हम लोगों की जीत हुई।"

आपको बता दें कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण की गड़बड़ी की वजह से 6800 अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हो सकी थी, जो लगातार सालों से सरकार से नियुक्ति की मांग को लेकर अड़े रहे। कभी बारिश तो कभी तेज धूप में अभ्यर्थियों ने धरना प्रदर्शन किया, तो कभी हड्डी कंपा देने वाली ठंढ में नियुक्ति की मांग को लेकर खुले आसमान के नीचे कई रातें गुजारी। हालांकि मामले में अब जाकर उन्हें राहत मिली है।

अभ्यर्थियों का आरोप था कि भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण को लेकर गड़बड़ी की वजह से उनकी नियुक्ति लटक गई है। अभ्यर्थियों का कहना था कि पिछली योगी सरकार में तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी की बात स्वीकार करते हुए शेष बचे अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की बात कही थी लेकिन उसके बाद से आज तक नियुक्ति नहीं मिली है।

गौरतलब है कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण में हुई गड़बड़ी की वजह से कुल 6800 अभ्यर्थियों की नियुक्ति अभी भी लटकी हुई है। इसमें 5800 ओबीसी, 1100 एससी और 100 दिव्यांग अभ्यर्थी शामिल हैं।

कोर्ट आदेश की कॉपी-

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SPLA(L)_172_2023 (1).pdf
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