नई दिल्ली। आज बुधवार को देशभर में दलित संगठनों सहित कई पार्टी के समर्थकों ने भारत बंद के मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उसकी क्रम भारत बंद को समर्थन देते हुए दिल्ली के जंतर-मंतर पर आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद चंद्रशेखर आजाद अपने समर्थकों सहित धरने पर बैठे रहे। सांसद द्वारा भारत बंद के समर्थन में नारेबाजी की गई और दलित आरक्षण में वर्गीकरण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया गया। इस दौरान चंद्रशेखर आजाद ने द मूकनायक से खास बातचीत में बताया कि यह भारत बंद कितना सफल रहे और आगे की रणनीति क्या रहेगी।
आज आप जंतर मंतर पर भारत बंद के समर्थन में आए हैं, क्या आपको लग रहा है इसका असर होगा?
चंद्रशेखर आजाद: भारत बंद तो पूरे भारत में सम्पूर्ण रूप से शांतिपूर्वक, अनुशासित रूप से हमारे लोगों ने कर दिया है। देश में कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक भारत बंद है। समाज के लोग सड़कों पर हैं। अपनी मांगों को लेकर, अपने मुद्दों को उठा रहे हैं। सरकार की नींद हराम हो गई है। अब आगे सरकार को सोचना है।
हम अपने लोगों के अधिकारों के विरोध में नहीं हैं। अगर हमारे भाई को कुछ मिलेगा तो हमें सबसे ज्यादा खुशी होगी। लेकिन सरकार के नीयत में खोट है। सरकार देना चाहती तो दे चुकी होती, अभी तक 4%-5% आरक्षण ही क्यों पूरा हुआ? 15% क्यों नहीं पूरा हुआ? 52 प्रतिशत ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण क्यों दिया? हम तो सरकार की मंशा को जानते हैं। वह आरक्षण को खत्म करके इसको आर्थिक आधार पर ले जाना चाहती है।
जब EWS करके आप सामान्य वर्ग को बिना आंकड़े जुटाए, बिना जनगणना कराए 10 प्रतिशत दे सकते हो तो हमारे उन भाईयों को 10% आरक्षण क्यों नहीं दे रहे हो जिन्हें आप देने की बात कर रहे हो। असल में आप देना नहीं चाहते हैं। आप बंटवारा करना चाहते हैं। चुनाव में अपने राजनीतिक वोट को साधन चाहते हैं। हम लोग बेवकूफ नहीं रहे हैं। हम लोग समझदार हो गए हैं। देखिए देश का क्या माहौल हैं? पिछले 7-8 साल से भीम आर्मी ने क्रांति पैदा की है।
भारत बंद होने के लिए सबसे जरूरी होता है दुकानों का बंद होना। जब व्यापार उनके पास है, प्रतिष्ठान उनके पास है। संसाधन उनके पास हैं। तो उनके बंद सफल हुआ करते थे। लेकिन पिछले 5 सालों में आप देखिए भीम आर्मी के नौजवानों ने जो क्रांति पैदा की है उसकी वजह से आज हम लोग पांचवी बार भारत बंद करके दिखाया। और यह साबित किया कि वह दिन अब चले गए। हम तो संवैधानिक मर्यादा में हैं। लाठियां भी खा रहें हैं, गोलियां भी खा रहे हैं। लेकिन अपने अधिकारों को इतनी आसानी से जाने नहीं देंगे। यह अधिकार हमें मांगने से नहीं मिले हैं, बाबा साहब अंबेडकर के संघर्षों से मिले हैं। यह अधिकार हम छीनने नहीं देंगे। और जो इसे छीनने का प्रयास करेगा उसे हम सूद समेत वापस लौटाएंगे।
कई सारे नेता समर्थन में तो दिखे हैं लेकिन सड़कों पर पर नहीं दिखे, क्यों?
चंद्रशेखर आजाद: मैं तो एक कार्यकर्ता हूं। मैं सड़कों की लड़ाई भूला नहीं हूं। मैं पार्लियामेंट पहुंचा, वह भी सड़क से होकर पहुंचा। और आगे भी सड़क सड़क का रास्ता नहीं छोड़ने वाला हूं। क्योंकि सड़क ही है जो हमें जोड़ती है। सड़क ही है जो हमें जमीनी एहसास से जोड़ कर रखती है। इसलिए अपने लोगों के अधिकारों के लिए सड़क पर उतरना पड़ा, चाहे पसीना बहाना पड़ा या जान भी देनी पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे। मैं तो वह शख्स हूं जिसने भारतीय राजनीति में चार-चार गोलियां खाई है। यह गोलियां इस लिए खाया हूं क्योंकि मैं अपने लोगों के प्रति ईमानदार हूं। इसी बात का सरकार को डर है। यह आंदोलन खत्म होने दीजिए। हम लोग अपने भाईयों के साथ बैठकर हल निकाल लेंगे। हमें सरकार की जरूरत नहीं है। दो भाईयों की बात है, हम भाई आपस में बैठ जाएंगे, हम उनके अधिकारों के प्रति सरकार से ज्यादा सचेत हैं। लेकिन यह जो नीति है, सरकार की नीयत है, इसमें सरकार की खोट को हम लोग समझते हैं। इसलिए हम लोग संघर्ष कर रहे हैं।
हम कोर्ट की परवाह नहीं करते क्योंकि जनता की कोर्ट सबसे बड़ी है। कोर्ट को जनता को भावनाओं के अनुसार काम करना पड़ेगा। अगर नहीं करेंगे तो अभी तो हमारा 11 सितंबर को एक बड़ा प्रोटेस्ट बाकी है। आप देखना पूरी दिल्ली नीली हो जाएगी।
अन्य जातियों को साथ लाने के लिए आप क्या करेंगे, क्योंकि अन्य जातियां नाराज हैं?
चंद्रशेखर आजाद: सबके साथ बैठकर टेबल-टॉक करेंगे। उनसे वार्ता करेंगे, उनकी सुनेंगे और अपनी सुनाएंगे। उन्हें हालातों को समझाएंगे, सरकार की मंशा को बताएंगे। हम उनके खिलाफ नहीं हैं, वह हमारे भाई हैं। मैं वचन देकर कहता हूं कि उनके अधिकारों की बात आएगी तो हम अपना पेट काटकर उन्हें दे देंगे। लेकिन हमें और उन्हें बैठकर बात करके समझना और हालात को जानना चाहिए कि सरकार की इसके पीछे की मंशा क्या है। जब EWS में 10% आप सामान्य जाति को दे सकते हो जिनका प्रतिनिधित्व 70-80% है तो आप हमारे उन भाईयों को 10% आरक्षण सीमा बढ़ा कर क्यों नहीं दे सकते। आपने तो रोटी का टुकड़ा तोड़कर फेंक दिया कि भाई-भाई आपस में लड़े। लेकिन मैं नहीं लड़ने दूंगा।
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