सरकार के खिलाफ जारी रहेगी डॉ. कफील खान की लड़ाई; तत्कालीन मुद्दों पर एक्सक्लूसिव बातचीत..

Dr. Kafeel Khan's fight against the government will continue/ The Mooknayak
Dr. Kafeel Khan's fight against the government will continue/ The Mooknayak
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यूपी के गोरखपुर में चर्चित बीआरडी मेडिकल कॉलेज 2017 में बच्चों की मौत के हादसे में राजनीतिक द्वेष का शिकार बने डॉ. कफील खान के साथ द मूकनायक की खास बातचीत।

डॉ. कफील खान का नाम साल 2017 में सुर्खियों में तब आया जब गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण बच्चों की मौत हुई थी। मासूमों की मौत के इस भयावह हादसे में एक ओर जहां डॉ. कफील खान इन मासूमों की जिंदगियों को बचाने का हर संभव प्रयास कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर डॉ. काफ़िल को इस हादसे का गुनाहगार बनाने की राजनीतिक साजिश शुरू हो चुकी थी। अंततः उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने डॉ. कफील को ही इस पूरे मामले का आरोपी बना दिया।

एक दिन में ही डॉ. कफील जीवनदान देने वाले डॉक्टर से जिंदगियों को खत्म करने के आरोपी बन गए। इस तरह साल 2017 ने डॉ. कफील के लिए सब कुछ बदल दिया। 

22 अगस्त 2017 को डॉ. खान को सेवाओं से निलंबित कर दिया गया था। 2017 से लेकर 2021 तक डॉ. कफील खान वो नाम बन गया जो शायद अब एक बेबाक..बुलंद और बेगुनाह शब्दों को दर्शाता है। डॉ. कफील खान ने योगी सरकार के सभी जुल्मों को सहा, और उनकी पत्नी, बच्चे साथ ही पूरे परिवार को तरह-तरह की सामाजिक, मानसिक, आर्थिक यातनाएं भी झेलनी पड़ी।

कानून की धज्जियां उड़ाते हुए इस सरकार ने डॉ. कफील खान से अपनी आवाज सरकार के खिलाफ बुलंद करने का बदला लिया। जो जुल्म उनपर हुए वो तो हम सब जानते हैं लेकिन आज द मूकनायक ने डॉ. कफील के उन शब्दों को कैमरे में कैद किया है जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुनी। 

हमेशा से ध्वस्त थी स्वास्थ्य व्यवस्था

कोरोना के इस कठिन दौर में हमने देखा कि, किस तरह देश ऐसी बड़ी महामारी से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। देश को आजाद हुए 70 साल हो गए हैं। इन 70 सालों में देश के कोने-कोने में मंदिर और मस्जिद तो बनें लेकिन देश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए अस्पताल इतनी बड़ी संख्या में नहीं बने।

सरकारें आती और जाती रहीं लेकिन ये स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई रही। डॉ. कफील खान ने कोरोना के इस टफ-टाइम (मुश्किल हालात) में लोगों की सेवा की। उस पूरे कोरोना काल को लेकर डॉ. खान का कहना है कि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था अभी नहीं बल्कि ये हमेशा से ही ध्वस्त थी। इस ध्वस्त व्यवस्था को बस कोविड ने एक्सपोज (खुलासा) कर दिया।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जो हमारी रीढ़ की हड्डी है वो टूटी हुई है, प्राइवेट सेक्टर ने देश के 72 प्रतिशत स्वास्थ्य व्यवस्था पर अपना कब्जा कर लिया है और उसका लाभ बस बड़े शहरों में हैं जिसके चलते हमारा एक वर्ग इन सुविधाओं से वंचित रह जाता है। 

डॉ. कफील खान का मानना है कि, इसको बदलने का जो जरिया है वो हमसे ही शुरु होता है। इस ध्वस्त सिस्टम को बदलने के लिए एक ऐसे नेता की जरुरत है जो काम करने का इच्छुक हो और ये हमारा दायित्व है कि हम ऐसे नेता को वोट करे जो हमारे लिए काम करे। स्वास्थ्य को एक मौलिक अधिकार बनाने की हमारी मांग है। 

धर्म की हो रही है राजनीति

डॉ. कफील खान ने कहा कि बीजेपी जहां-जहां हारती है वहां धर्म की राजनीति करती है। बीजेपी एक बार फिर से यूपी में धर्म की राजनीति करेगी। 

उन्होंने आगे कहा कि, जहां तक मुझे लगता है योगी जी 5 साल पहले जहां से आए थे एक बार फिर से वहीं वापस जा रहे हैं। यानि की 2022 में योगी जी एक बार फिर से गोरखपुर वापस जाएंगे। पिछले 72 साल से देश की जनता रोटी, कपड़ा , मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य और  रोजगार यहीं 6 मांग कर रही है। लेकिन इस जनता को भरमाने के लिए श्मशान, कब्रिस्तान और अब्बा जान के नारे लगाए गए हैं। धर्म और जाति की राजनीति में अगर जनता उलझी रहेगी तो हमारा विकास नहीं होगा। 

कोर्ट ने डॉ. काफ़िल को माना निर्दोष

डॉ. कफील खान ने कहा कि बीआरडी मामले में भले ही मुझे बर्खास्त कर दिया गया हो और सरकार ने मुझे दोषी माना हो लेकिन कोर्ट ने मुझे क्लीन चिट दे दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट और 6 इंक्वायरी कमेटी ने मुझे क्लीन चिट दी है। बर्खास्तगी के लेटर में भी यहीं माना गया है कि मैंने बच्चों की जान बचाने का प्रयास किया है। मुझे न्यायालय पर भरोसा है। डॉ. कफील ने कहा कि मेरी बर्खास्तगी सिर्फ चुनाव के चलते किया गया है। डॉ. कफील ने कहा कि सरकार ने इस पूरे मामले को छुपाने का पूरा प्रयास किया, नई-नई कहानिया गढ़ी गईं हैं। 

मुझे मेरी नौकरी ही चाहिए

डॉ. कफील ने कहा कि, मैं कहीं और नौकरी नहीं करूंगा बल्कि मुझे सिर्फ मेरी ही नौकरी चाहिए। मैं इस सरकार के खिलाफ केस करने जा रहा हूं क्योंकि मुझे मेरी वहीं नौकरी और सम्मान चाहिए।

डॉ. खान ने कहा कि, "मेरी अम्मी जान कहती थी कि अगर तुम्हारे सामने कोई जुल्म हो रहा है और तुमने आंख बंद कर ली तो तुम भी गुनहगार हो। तो बोलना तो पड़ेगा। इसलिए मैं उन सभी के लिए अपनी आवाज उठाऊंगा जिनके साथ अत्याचार हो रहा है।"

खान के नाम से बिकती है स्टोरी

डॉ. कफील खान ने कहा कि अगर मेरी जगह कोई कफील मिश्रा होता तो उसके साथ भी उस वक्त सीएम योगी यही करते क्योंकि उस वक्त उत्तर प्रदेश की राजनीति में सुगबुगाहट शुरु हो गई थी। यहां तक की खुद बीजेपी में गहमागहमी शुरु हो गई थी जिसे खत्म करने के लिए किसी को तो सामने लाना था। लेकिन कफील खान होने से स्टोरी जल्दी बिक गई। लोगों ने विश्वास भी जल्दी कर लिया। 

योगी ने मुझे मेरे बच्चों से दूर कर दिया

जेल में जब मैं था तब मेरे बच्चे बड़े हो रहे थे। सीएम योगी ने मुझे मेरे बच्चों से दूर कर दिया। जब मेरे बच्चे बड़े हो रहे थे तब मैं उनके साथ नहीं था। ये शायद मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा। 

राजनीति में नहीं आऊंगा

डॉ. कफील खान ने साफ कहा कि वो किसी भी राजनीतिक पार्टी के साथ नहीं आएंगे। उन्होंने कहा, मुलाकात नेताओं से होती है लेकिन मैं कोई पार्टी नहीं ज्वाइन कर रहा। जब मुझे लगेगा तब इस बारे में सोचा जाएगा फिलहाल मैं इंसाफ के लिए अपनी आवाज बुलंद करता रहूंगा। 

साक्षात्कार के अंत में डॉक्टर कफील खान ने कहा कि मेरे साथ जेल में भी बदसलूकी की गई। मेरे धर्म को लेकर मुझ पर कटाक्ष किया गया। मेरे भाई को गोली वहां मारी गई जहां से कुछ ही दूर पर योगी मौजूद थे लेकिन आज तीन साल बाद भी इस केस में कुछ नहीं हो सका। हमें इंसाफ नहीं मिला, 3 साल हो गए कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। डॉ. कफील खान ने कहा मुझे बचपन में ही सिखाया गया है कि मारने वाला भी अल्लाह है और बचाने वाला भी अल्लाह है तो बस उसी के सहारे आगे बढ़ते जा रहे है। आगे भी ये लड़ाई जारी रहेगी।

यहां देखें साक्षात्कार की पूरी विडिओ:

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