केरल उच्च न्यायालय ने एक दलित युवक को पुलिस थाने की रेलिंग पर हथकड़ी लगाने पर हैरानी जताते हुए राज्य के पुलिस प्रमुख को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, न्यायालय ने इस घटना में शामिल दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में बताया गया है.
इस मामले को लेकर न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कोल्लम के थेनमाला के राजीव द्वारा पुलिस उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दायर एक याचिका पर यह आदेश जारी किया. अदालत ने कहा कि पुलिस उपाधीक्षक, कोल्लम ग्रामीण ने इस संबंध में एक रिपोर्ट दायर की है. रिपोर्ट के अनुसार, "कम से कम दो पुलिस अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के साथ अकल्पनीय बर्बरता के साथ व्यवहार किया था साथ ही उसे थाने की रेलिंग से हथकड़ी लगा दी और उसके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए क्योंकि उसने पुलिस शिकायत प्राधिकरण के सामने की गई शिकायत को लेकर सवाल करने का साहस किया था.
अदालत ने पाया कि घटनाएं चौंकाने वाली थीं, लेकिन इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात सरकारी वकील की दलील है. जिसमें कहा गया है, "इसमें शामिल अधिकारी अभी भी सेवा में हैं, उनके खिलाफ कोई अंतिम जांच नहीं हुई है." डीवाईएसपी की रिपोर्ट निश्चित रूप से सही दिशा में एक कदम है, लेकिन अगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, तो "यह वास्तव में पुलिस व्यवस्था के पतन का संकेत देता है,".
याचिकाकर्ता ने कहा कि दलित युवक को अमानवीय यातना का शिकार होना पड़ा है क्योंकि वह समाज के कमजोर तबके से ताल्लुक रखता है। इस पर अदालत ने कहा, "मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस महान राष्ट्र की संवैधानिक अनिवार्यताओं को देखते हुए ऐसे लोगों को कानूनी व्यवस्था के सही समर्थन की आवश्यकता है। वहीं राज्य के पुलिस प्रमुख निश्चित रूप से इस अदालत को अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसे ध्यान में रखेंगे।" .
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