"तू एजेंडा चलाने वाला पत्रकार है... तेरा तो एनकाउंटर कर दूंगा", द मूकनायक के पूर्व पत्रकार का पुलिस पर पिटाई का आरोप

लखनऊ के गोमतीनगर में बारिश के दौरान सड़क पर हुड़दंगियों द्वारा महिला के साथ छेड़छाड़ के मामले में बनाए गए आरोपियों की रिपोर्टिंग करने के दौरान पुलिस अधिकारियों का पक्ष लेने गए पत्रकार सत्य प्रकाश भारती के साथ कथित रूप से पुलिस ने मारपीट की, उनका मोबाइल फार्मेट कर दिया गया और उन्हें प्रताड़ित किया। हालत बिगड़ने पर उन्हें छोड़ा गया।
पत्रकार सत्य प्रकाश भारती
पत्रकार सत्य प्रकाश भारतीफोटो- द मूकनायक
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यूपी/लखनऊ। गोमतीनगर में 31 जुलाई को हुए एक छेड़छाड़ मामले में कुछ युवकों को पुलिस ने आरोपी बनाया था। आरोपियों में से एक पवन यादव ने दावा किया कि वह बेगुनाह है। इस मामले की पड़ताल के लिए द मूकनायक के पूर्व पत्रकार ने न्यूजलांड्री के लिए स्टोरी बनाने के लिए आरोपी सहित अन्य युवकों से मुलाकात की। पत्रकार ने अपने सोशल मीडिया पर घटना का जिक्र करते हुए लिख कि, उन्होंने पाया कि कई युवकों का दावा था कि पुलिस ने उन्हें बेवजह जेल भेज दिया। इसी बारे में वह पुलिस अधिकारी का पक्ष लेने DCP ऑफिस पहुंचे थे। इस केस में कुछ युवकों की उस दिन पेशी भी थी।

सोशल मीडिया एक्स पर पूरी घटना को विस्तार से बताते हुए पत्रकार सत्य प्रकाश भारती ने लिखा कि, "मैंने नियमानुसार पर्ची लिखी और अधिकारी के समक्ष भेजी गई। मैंने बुलाने तक अपनी बारी का इंतजार किया। कई लोगों को अंदर बुलाया गया जिसमें जनता और पत्रकार शामिल थे। मैं चुपचाप बैठा रहा और फिर अपनी बारी का इंतजार करने लगा। एक-एक कर सभी अपनी बात बताकर कमरे से बाहर निकल गए।"

"मैं और एक बुजुर्ग व्यक्ति और PRO ही कमरे में रह गए। DCP ने पहले मुझसे पूछा। मैंने परिचय दिया कि मैं एक संस्था के लिए रिपोर्ट तैयार कर रहा हूँ और फ्रीलांस हूँ। मैंने पूरा प्रकरण समझाया। मैंने उनसे पूछा आपने यूपी सीएम के दबाव में तो कार्रवाई नहीं की। क्योंकि कुछ युवकों का दावा है कि उन्हें निर्दोष होने पर भी जेल भेज दिया गया। IPS शशांक ने कहा कि क्या कभी कोई अपराधी कहता है कि मैंने गलती की है। मैंने इसका प्रमाण दिया कि पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को पकड़ा जो वहां नहीं था सिर्फ उसकी बाईक लेकर कोई गया था।"

"पुलिस ने निर्दोष होने के बावजूद उस युवक को देर रात तक थाने में बैठाया। जो व्यक्ति उसकी गाड़ी ले गया था उसे बुलाया गया, तब जाकर पुलिस ने गाड़ी मालिक को छोड़ा और गाड़ी सीज कर दी और गाड़ी ले जाने वाले को गिरफ्तार कर लिया। सभी युवक यही कह रहे थे उन्होंने लड़की पर पानी नहीं डाला।"

मैंने पवन यादव और अरबाज का नाम लिया। वह (पुलिस अधिकारी) इस पर भड़क गए। उन्होंने कहा तुम खबर का पोस्टमार्टम क्यों कर रहे हो। पुलिस की कार्रवाई पर सवाल क्यों उठा रहे हो, तुम एजेंडा चलाने वाले पत्रकार हो। तुम समाजवादी पार्टी के लिए काम करते हो। तुम्हे तो जेल भेजूंगा।
पत्रकार, सत्य प्रकाश भारती

मामले पर लखनऊ पुलिस ने एक बयान जारी करते हुए मामले में बताया है कि, "17 अगस्त को कार्यालय में जन सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति (सत्य प्रकाश भारती) चोरी चुपके से अपने मोबाईल से स्टिंग ऑपरेशन करते हुए बातचीत को अवैध तरीके से रिकार्ड कर रहा था तभी वहाँ उपस्थित लोगों द्वारा इस पर आपत्ति प्रकट की गयी तो अपने को पत्रकार बताते हुए अक्रामक होकर अनर्गल वार्तालाप करने लगा जिससे पूछताछ की गयी तो सत्य प्रकाश भारती उपरोक्त द्वारा यह स्वीकार किया गया कि व वर्तमान में पत्रकारिता नहीं कर रहा है। बल्कि रुपये की आवश्यक्ता के कारण एक षड्यंत्र के तहत सनसनी फैलाने के लिए गलत तरीके से कार्यालय में गोपनीय तरीके से रिकार्डिंग (स्टिंग आपरेशन) कर रहा था।"

लखनऊ पुलिस के बयान का स्क्रीनशॉट
लखनऊ पुलिस के बयान का स्क्रीनशॉटफोटो साभार- ट्विटर

"लगातार आक्रामक होने के कारण जनसुनवाई बाधित हो रही थी तथा सरकारी कार्य प्रभावित हो रहा था, परिशान्ति भंग के निवारणार्थ व संज्ञेय अपराध कारित होने के आशंका के दृष्टिगत सत्य प्रकाश भारती उपरोक्त का अंतर्गत धारा 170/126/135 बीएनएसएस की निरोधात्मक कार्यवाही की गयी थी। थाना कार्यालय/परिसर सीसीटीवी से आच्छादित है। पुलिस के द्वारा विधिपूर्ण कार्यवाही विधिक दायरे में करने के अतिरिक्त किसी तरह की मारपीट व गाली गलौज व कोई भी अमानवीय व्यवहार नहीं किया गया है," लखनऊ पुलिस ने अपने बयान में कहा।

जबकि पत्रकार ने मामले में आगे बताया कि, "DCP ऑफिस में कैमरा लगा है, ऐसे में लखनऊ पुलिस द्वारा स्टिंग की बात कहना मूर्खता से कम नहीं है। DCP ने मेरा मोबाईल PRO से लिया, उसे फार्मेट करने को बोला। मेरा चश्मा निकाल लिया और पीटने को बोला गया लेकिन बुजुर्ग बैठे थे इसलिए वहां हाथ नहीं लगाया। पहले क्राइम टीम को बुलाया गया। जब वह नहीं आई तो थाना गोमतीनगर से पुलिस बुलाई गई। थानेदार राजेश त्रिपाठी मुझे धक्के मारते हुए DCP कार्यालय से बाहर लाये और गाड़ी में पीछे बैठाकर पेट, मुंह और जबड़े पर घूसा मारा। फिर रास्ते भर पीटते हुए थाने ले गए।"

इंस्पेक्टर के कमरे के पीछे एक कमरा बना है वहां ले जाकर मुझे पीटा गया। मुझसे जबरन बयान लिखवाया गया। मुझे पीटकर कहा गया- 'लिख कि मैं चोरी से रिकार्डिंग कर रहा था।' हत्या के डर के कारण उन्होंने जो कहा मैंने कर दिया। पीटने के बाद मुझे 6-7 घण्टे जमीन पर बैठाये रखा।
पत्रकार, सत्य प्रकाश भारती

"दो दिन से मैंने कुछ भी नहीं खाया था बस खबर पर फोकस कर रहा था। भूखे प्यासे मैं जमीन और बैठा था। मेरा नीचे का हिस्सा खून जमने के कारण सुन्न हो गया।मेरा पेट का हिस्सा बुरी तरह दर्द हो रहा था। मेरा बदन अकड़ने लगा। मैं बेसुध हो गया, पुलिस यह देखकर घबरा गई, मुझे टांग कर बाहर लाया गया। मेरा बदन ठंडा पड़ा जा रहा था। थाने लाये गए अन्य आरोपी से पुलिस ने मेरे हाथ-पैर रगड़ने को कहा। मुझे एक कार में टांग कर लिटाया गया। पुलिस मुझे पत्रकार पुरम के नोवा अस्पताल ले गई। वहां डॉक्टर नहीं मौजूद थे। अस्टिटेंट डॉक्टर ने मुझे कोई दवा लगाई। मेरी हालत खराब होती जा रही थी।"

"डाक्टरो ने पुलिस को मुझे लोहिया अस्पताल ले जाने की सलाह दी। लेकिन लखनऊ पुलिस खुद को फँसता देख रही थी इसलिए मुझे सरकारी संस्थान न ले जाकर मिठाई वाला चौराहे के पास एम्बुलेंस के जरियर मेट्रो एन्ड ट्रामा सेंटर ले जाया गया। अस्पताल के ICU में मुझे भर्ती कराया गया", पत्रकार सत्य प्रकाश ने बताया।

मामले की जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कई लोगों ने लखनऊ पुलिस के खिलाफ नाराजगी भी जाहिर की है। वरिष्ठ पत्रकार गीता सुनील पिल्लई ने लिखा कि, "लॉ एंड ऑर्डर का तो पता नहीं लेकिन कहानियां बनाने में राजस्थान हो या उत्तरप्रदेश, पुलिस विभाग नंबर 1 है, कोई शक!"

अस्पताल में भर्ती पत्रकार की एक फोटो शेयर करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज काका ने लिखा कि, "भयावह खबर!! एक दलित पत्रकार सत्य प्रकाश भारती को लखनऊ पुलिस ने बीती रात सच दिखाने पर थाने ले गयी, उसे गालियॉ दी गयी खूब पिटाई की गयी, थाने मे देर रात पत्रकार का कमर से नीचे का हिस्सा सुन्न पड़ने लगा तब पुलिस घबराई फिर अस्पताल ले गयी, मामला विगड़ता देख देर रात मे बेल दी गयी अभी उनका पूरा परिवार दहशत मे है,जब यूपी के राजधानी मे एक पत्रकार के साथ ये हो सकता है तो आमजन कैसे जिए?"

इस घटना में पुलिस द्वारा बनाए गए आरोपियों की पड़ताल कर रहे थे सत्य प्रकाश भारती

31 जुलाई को लखनऊ के गोमती नगर में बारिश से सड़क पर भरे पानी में दर्जनों लड़के हुड़दंग कर रहे थे और आने जाने वाले राहगीरों पर हाथ से पानी फेंक कर उन्हें परेशान कर रहे थे। उसी दौरान एक युवक और एक युवती मोटरसाइकिल से वहां से गुजर रहे थे, जिनपर वहां मौजूद युवाओं की भीड़ उनपर टूट पड़ती है। मनचलों की भीड़ उनपर पानी फेंकती है और कथित रूप से उनके साथ छेड़छाड़ की जाती है. इस घटना की वीडियो तेजी से वायरल होता है, जिसपर सीएम योगी आदित्यनाथ के अपराधियों पर लगाम लगाने के दावे की जमकर फजीहत होती है।

घटना के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ नाराज हुए और तत्काल डीसीपी, एडीसीपी, एसीपी हटा दिए गए. SHO समेत पूरी चौकी सस्पेंड की गई. हुड़दंगियों की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की गई थी. जिसमें अब तक 20 आरोपियों की गिरफ्तार हो चुकी है. अफसरों पर कार्रवाई होने पर पुलिस कमिश्नर ने मोर्चा संभाला और पांच टीम का गठन कर हुड़दंगियों की गिरफ्तारी का आदेश दिया. पांचों टीम ने करीब ढाई सौ वीडियो खंगाले, 700 सीसीटीवी फुटेज खंगाले, सोशल मीडिया अकाउंट चेक किए गए और फिर सुनील और पवन यादव को गिरफ्तार किया गया. इसके दूसरे दिन अरबाज और विशाल धरे गए. इन्होंने पूछताछ में सात और लड़कों के नाम बताए और फिर धीरे धीरे 20 आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया गया.

उस दिन की घटना के वीडियो का एक अंश
उस दिन की घटना के वीडियो का एक अंश

इस घटना के साथ राजनीति भी शुरू हो चुकी थी। जमानत पर छूटे आरोपी पवन यादव ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की और कहा कि शायद यादव होने की वजह से मुझे फंसाया जा रहा है. जिसके बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव का भी बयान आया और उन्होंने कहा कि गोमतीनगर घटना पर पुलिस सरकार के इशारे पर काम कर रही है. सरकार को न्याय करना चाहिए. सभी दोषियों के मां बाप केसाथ नाम जारी करना चाहिए. सूची में बीजेपी वाले हैं, उनके नाम जारी करने चाहिए.

अखिलेश यादव के बयान के बाद लखनऊ पुलिस की तरफ से भी एक बयान जारी किया गया. लखनऊ पुलिस की तरफ से कहा गया कोर्ट ने आरोपी को दोषमुक्त नहीं किया है. पवन पर तीन मुक़दमे पहले से ही दर्ज हैं, जिनमें चार्जशीट लग चुकी है. पुलिस ने कहा कि पवन यादव को क्लीनचिट नहीं दी गई है और सबूतों के आधार पर ही कार्रवाई की गई है. कोर्ट ने भी उसे दोषमुक्त नहीं किया है. मामले में अभी भी विवेचना जारी है.

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