कौन हैं प्रोफेसर रतनलाल, जिनकी गिरफ्तारी को लेकर बहुजनों में है भारी आक्रोश?

प्रोफेसर रतनलाल की गिरफ्तारी को लेकर बहुजनों में है भारी आक्रोश / फोटो साभार - ट्विटर
प्रोफेसर रतनलाल की गिरफ्तारी को लेकर बहुजनों में है भारी आक्रोश / फोटो साभार - ट्विटर
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दिल्ली— वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) में शिवलिंग के दावों पर सोशल मीडिया पर टिप्पणी को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. रतन लाल (Assistant Professor Dr. Ratan Lal) को गिरफ्तार कर लिया गया है. बता दें कि हाल ही में सुप्रीम के वकील विनीत जिंदल की शिकायत के आधार पर डॉ. रतन लाल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

सोशल मीडिया पर उनकी गिरफ्तारी की निंदा की जा रही है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की जा रही है.

रतनलाल की गिरफ्तारी के बाद बहुजन कार्यकर्ताओं में आक्रोश देखने को मिल रहा है और #ReleasedrRatanlal हैशटैग चलाया जा है. तो आखिर कौन हैं डॉक्टर रतनलाल जिनकी सोशल मीडिया पर पोस्ट से गिरफ्तारी को लेकर बहुजनों में आक्रोश हैं और सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आये हैं?

प्रो. रतनलाल की पृष्ठभूमि

प्रोफेसर डॉक्टर रतनलाल बिहार मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं. शुरुआती शिक्षा के बाद उन्होंने देशबंधु कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई की. बाद में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में इतिहास में मास्टर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई की। डॉक्टर रतनलाल लगभग दो दशकों से अध्यापन और शोध कर रहे हैं और वर्तमान में हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर हैं.

उन्होंने जाति, मानवाधिकार और लिंग सहित विभिन्न आधुनिक राजनीतिक और बौद्धिक विषयों पर हिंदी प्रकाशनों और सोशल मीडिया साइटों पर व्याख्यान दिए और विभिन्न निबंध भी लिखे.

रतनलाल भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार, पुरातत्व के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के विद्वान् एवं हिन्दी साहित्यकार काशी प्रसाद जायसवाल के कार्यों के तीन-खंड संग्रह के संपादक के साथ-साथ "और कितने रोहित?" के लेखक भी हैं.

अपने शिक्षण करियर के अलावा, वह एक दलित कार्यकर्ता और शिक्षार्थी भी हैं. उन्होंने एक मेहनती सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में दलित और मानवाधिकार समस्याओं पर अनगिनत साहसिक और सफल अभियानों का नेतृत्व किया है. डॉक्टर लाल 'आंबेडकरनामा' के संस्थापक और प्रधान संपादक भी हैं.

मौजूदा दौर में भी रतनलाल बेबाकी से अपने मुद्दों को रखते आये हैं. सोशल पोस्ट को लेकर मिल रही धमकी के बाद उन्होनें इसे बोलने की आज़ादी पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि कल को मुझे कुछ होता हैं तो ये पूरे बहुजनों पर हमला है, देश के संविधान पर हमला है.

प्रोफ़ेसर रतन लाल की गिरफ़्तारी के खिलाफ आधी रात को दिल्ली पुलिस के साइबर थाने पर जमा हुए सैकड़ों दलित एक्टिविस्ट, शिक्षक और छात्र [Photo – Twitter]
प्रोफ़ेसर रतन लाल की गिरफ़्तारी के खिलाफ आधी रात को दिल्ली पुलिस के साइबर थाने पर जमा हुए सैकड़ों दलित एक्टिविस्ट, शिक्षक और छात्र [Photo – Twitter]

#ReleaseDrRatanLal हैशटैग के साथ जल्द रिहाई की उठी मांग

फिलहाल डॉक्टर रतनलाल पुलिस हिरासत में हैं. उनके खिलाफ इस कार्रवाई को लेकर बहुजनों में गुस्सा साफ देखा जा सकता हैं. सोशल मीडिया पर भी डॉक्टर रतनलाल को जल्द रिहा करने की मांग किया जा रहा है.

मामले पर वरिष्ट पत्रकार दिलीप मंडल लिखते हैं कि, "प्रो. रतन लाल की गिरफ़्तारी के खिलाफ, विमर्श का दायरा घटाने की RSS और BJP की कोशिशों के खिलाफ, रतन लाल सर के साथ एकजुटता जताने के लिए रात तीन बजे साइबर पुलिस स्टेशन, दिल्ली पर वकील, शिक्षकों, छात्रों का जमावड़ा। शनिवार 11 बजे दिन में DU में विरोध प्रदर्शन।"

दिलीप मंडल अपने एक अन्य ट्वीट में लिखते हैं कि, "हिंदू धर्म द्वारा नीच बताए गए कई समुदाय इसलिए हिंदू बने रह गए क्योंकि वे हिंदू धर्म की आलोचना करके भी हिंदू बने रह सकते हैं. रतनलाल सर से आलोचना का अधिकार छीनकर हिंदू धर्म वालों ने उनको हिंदू धर्म से बाहर कर दिया है। अब उन्हें नया ठिकाना तलाश लेना चाहिए।

आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष, चंद्र शेखर आजाद ने लिखा, "कल रात @ratanlal72 जी को झूठे मामले मे केंद्र सरकार शासित पुलिस ने अपनी शक्तियो का दुरुपयोग कर गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। हम इस गिरफ्तारी का विरोध करते है। दिल्ली पुलिस को रत्न लाल जी की तत्काल रिहा करना चाहिये।"

डॉ. रतनलाल की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर लक्षमण यादव लिखते हैं कि "जब लक्षणा व व्यंजना अपराध हो जाएँ और सब कुछ अभिधामय हो जाए, तो यह बतौर समाज उसके बौद्धिक पतन की बानगी है. प्रोफ़ेसर @ratanlal72 के तंज़ से उनकी धार्मिक भावना आहत हो गई तो धमकी, गाली, और जेल का हम बतौर नागरिक विरोध करते हैं और अपने प्रोफ़ेसर के साथ खड़े हैं."

पत्रकार समरराज लिखते हैं कि "प्रो. रतन लाल की गिरफ्तारी का कोई भी बहाना दिया जाए मगर सच तो यही है कि किसी एक ट्वीट की वजह से नहीं की गई है। वो सालों से व्यवस्था पर चोट कर रहे थे, तभी से निशाने पर थे. भावनाओं को ठेस वाला बहाना अच्छा है, जबकि वो जिस दलित समाज से आते हैं, उसकी भावनाओं की कभी कद्र ही नहीं की गई।"

सामाजिक कार्यकर्ता नितिन मेशराम लिखते हैं कि "हमारी परिकल्पना के अनुसार, दलितों के खिलाफ भाजपा का दमन आधिकारिक तौर पर डॉ. रतन लाल की गिरफ्तारी के साथ शुरू होता है। सतर्क रहें, प्रेरित रहें, मजबूत रहें और संयुक्त रहें! और जय भीम कहना कभी न भूलें!

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